नमस्कार दोस्तों, बिहार राज्य का नाम भारत देश के सबसे बड़े राज्यों की सूची में आता है यह एक कॉफी बिहार राज्य है तथा यहां की जनसंख्या भी काफी बड़ी है। दोस्तों बिहार राज्य के क्षेत्रफल के बड़े होने के साथ-साथ यहां पर वनों का क्षेत्रफल भी काफी बड़ा है तथा यहां पर काफी बड़ी मात्रा में वन पाए जाते हैं। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि बिहार का कितना क्षेत्र वनों से आच्छादित है, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि बिहार का कितना क्षेत्रफल वनों से आच्छादित है। इसके अलावा इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में शेयर करने वाले हैं, तो ऐसे में आज का यह आर्टिकल आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है, तो इसको आज तक जरूर पढ़िए।
बिहार का कितना क्षेत्र वनों से आच्छादित है?
दोस्तों दिया है काफी बड़ा राज्य है जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 94163 वर्ग किलोमीटर है। इसके अलावा बिहार राज्य के काफी बड़े क्षेत्र में जंगल तथा वन पाए जाते हैं। अगर दोस्तों बिहार राज्य के वनों से आच्छादित क्षेत्र की बात की जाए तो, बिहार का कुल 7288 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वनों से आच्छादित है। यह बिहार राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 7.77% है। इसके अलावा बिहार राज्य के अंतर्गत 73 वर्ग किलोमीटर के अंतर्गत गैर संरक्षित वन पाए जाते हैं।
बिहार राज्य के वनों के प्रकार
अगर दोस्तों बिहार राज्य के अंतर्गत पाए जाने वाले वनों के प्रकारों के बारे में बात की जाए तो बिहार राज्य में कुल 2 प्रकार के वन पाए जाते हैं:-
- गीली लकड़ी के बाद
- शुष्क पर्णपाती वन
1. गीली लकड़ी के वन
तो दोस्तों आप इस के नाम से ही अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि यहां पर वर्षा काफी ज्यादा होती है। तो दोस्तों बिहार राज्य के अंतर्गत दिल्ली लकड़ी के वन उस क्षेत्र में पाए जाते हैं जहां पर वार्षिक वर्षा 120 सेंटीमीटर से अधिक होती है। बिहार के अंतर्गत इन गीली लकड़ी के वनों के अंदर मुख्य रूप से शीशम, शाल, खैर के वृक्ष पाए जाते हैं।
2. शुष्क पर्णपाती वन
दोस्तों इन वनों के अंतर्गत गिरी लकड़ी के मनके तुलना में कम बारिश होती है। बिहार राज्य के अंतर्गत ही यह शुष्क पर्णपाती वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां पर 120 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है। इन वनों के अंतर्गत मुख्य रूप से महुआ, आम, कटहल आदि वृक्ष पाए जाते हैं।
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बिहार की सार्वजनिक स्वास्थ्य
बिहार आमतौर पर अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में स्वास्थ्य परिणामों में सबसे कमजोर स्थान पर है। जबकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, 2010 का नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम, और अधिकार प्राप्त कार्य समूहों (ईएजी) का गठन स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुधार के लिए संघीय वित्त पोषण प्रदान करता है, इस धन का पूरी तरह से उपयोग करने की बिहार की क्षमता को कम कर दिया गया है। एक कमी है।
अनुसंधान इंगित करता है कि बिहार जनता को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए निजीकृत अस्पतालों पर निर्भर है, निजी से सार्वजनिक खर्च और उच्च स्तर के भ्रष्टाचार के लिए भारतीय राज्यों में दूसरा सबसे बड़ा अनुपात है। ये कारक धीमी स्वास्थ्य सेवा वितरण और स्वास्थ्य देखभाल की भारी लागत से जुड़े हैं। भ्रष्टाचार सक्षम है क्योंकि बिहार में स्वास्थ्य रिपोर्टिंग की निरंतरता और पारदर्शिता का अभाव है, जैसा कि 2010 के नैदानिक स्थापना अधिनियम द्वारा आवश्यक है। बदले में, यह सरकार को नीतिगत परिवर्तनों और अस्पताल की प्रभावशीलता के बारे में साक्ष्य-आधारित निष्कर्ष बनाने से रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप बेहिसाब खर्च पैटर्न होता है। और असंगत भर्ती।
बिहार की केरल से तुलना करते समय, प्रत्येक अस्पताल में स्वास्थ्य पेशेवरों (पंजीकृत नर्सों, सहायक नर्सों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों सहित) की संख्या काफी कम है, और समय के साथ स्थिर रहती है जबकि केरल में उनकी संख्या लगातार बढ़ती जाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सबसे बड़ी कमी 75 फीसदी डॉक्टरों और विशेषज्ञों की है। बिहार में केवल 50% उप-स्वास्थ्य केंद्र, 60% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 9% सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जो राष्ट्रीय आपूर्ति-से-जनसंख्या मानकों के लिए आवश्यक हैं। 2008 और 2015 के बीच बिहार में सार्वजनिक अस्पताल के बिस्तरों की संख्या में कमी आई। राज्य के उच्च जनसंख्या घनत्व को देखते हुए, बिहार स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की संख्या में बहुत पीछे है, जिन्हें नियोजित किया जाना चाहिए। इन कमियों के बावजूद, बिहार ने महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मृत्यु दर, और शिशु, नवजात, बाल और मातृ मृत्यु दर में सुधार के क्रमिक संकेत दिखाए हैं।
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आज आपने क्या सीखा
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल के अंतर्गत आपने जाना की बिहार राज्य का कितना क्षेत्र वनों से आच्छादित है, हमने आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार से दी है। इसके अलावा हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से बिहार के वनों से जुड़ी सभी जानकारियां दी है कि बिहार में कितने प्रकार के वन पाए जाते हैं।
हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर जरूर करें तथा नीचे हमें अपनी राय कमेंट में जरूर दें।
FAQ
बिहार में कितने भौगोलिक क्षेत्र?
बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 94163 वर्ग किलोमीटर है और बिहार में कुल वन क्षेत्र 7288 किलोमीटर है। इस प्रकार बिहार के वनों का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 7.84 प्रतिशत है।
बिहार में कितना वर्ग मीटर वन क्षेत्र है?
सही उत्तर 2612 वर्ग मीटर है। बिहार की वन रिपोर्ट: अविभाजित बिहार में, कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 17% 29.48 लाख हेक्टेयर था।
बिहार में सर्वाधिक वन वाला जिला कौन सा है?
वहीं, कैमूर के पास बिहार में वन क्षेत्र की दृष्टि से सबसे अधिक भूमि है। पूरे बिहार का क्षेत्रफल 7305 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें से 1134 वर्ग किलोमीटर कैमूर में ही है।
बिहार की भौगोलिक स्थिति क्या है?
बिहार का भौगोलिक विस्तार 24°21’10” से 27°31’15” उत्तरी अक्षांश और 83°19’50” से 88°17’40” पूर्वी देशांतर के बीच है। उत्तर से दक्षिण तक बिहार की लंबाई 345 किमी और पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 483 किमी है।
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