राजस्थान अपने पारंपरिक इतिहास के लिए काफी लोकप्रिय है और राजस्थान का एक सबसे पारंपरिक इतिहास ब्लू पॉटरी भी है जिसे विश्व भर में काफी पसंद किया जाता है और यह पूरे भारत में प्रचलित है।
आज के इस लेख में हम इसी ब्लू पॉटरी के बारे में चर्चा करने वाले हैं। साथ ही हम आपको ब्लू पॉटरी का प्रमुख केंद्र कौन सा है इसके बारे में भी बताएंगे। यदि आप भी ब्लू पॉटरी एवं उसके प्रमुख केंद्र के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस लेख को पढ़ना जारी रखें।
ब्लू पॉटरी क्या है?
ब्लू पॉटरी एक प्रकार की हस्तशिल्प कला कृति है जो कि मिट्टी की बनी होती है और नीले एवं हरे रंगों से कलाकृति होती हैं। मिट्टी के बर्तनों को रंगने वाली नीली एवं आकर्षक डाई के कारण इस हस्तशिल्प कला का नाम ब्लू पॉटरी पड़ा। ब्लू पॉटरी के अलग-अलग बर्तन जैसे- प्लेट, कटोरी इत्यादि मिलते हैं।
इन आने वाले बर्तनों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि नीले मिट्टी के बर्तनों में कोई दरार नहीं होती है, और नीले मिट्टी के बर्तन भी अभेद्य, स्वच्छ और दैनिक उपयोग के लिए उपयुक्त होते हैं। ब्लू पॉटरी बनाते समय जब बर्तन को घुमाया जाता है तो इसे ब्रश से खूबसूरती से सजाया जाता है।
ब्लू पॉटरी का प्रमुख केंद्र कौन सा है?
ब्लू पॉटरी का प्रमुख केंद्र भारत के जयपुर राज्य, जो कि राजस्थान में स्थित है, को माना जाता है। राजस्थान के अलावा यह कला सांगानेर, महलन, और नेटा मैं भी काफी प्रसिद्ध है। यह कला चौथी सदी में भारत में आई थी और 17वीं सदी तकिया पूरे जयपुर में काफी प्रचलित हो गई। मूल रूप से यह ब्लू पॉटरी फारसी एवं तुर्कियों द्वारा जयपुर में लाया गया था।
ऐसा माना जाता है कि जब मुग़ल 14वीं शताब्दी में जयपुर आए थे तो वह कई वास्तु कलाओं में ब्लू पॉटरी का इस्तेमाल करते थे और जयपुर के लोगों द्वारा इसे काफी पसंद किया गया था। 17वीं शताब्दी में यह ब्लू पॉटरी दिल्ली में पेश किया गया और 17वीं शताब्दी में ही इस कला को जयपुर के लगभग सभी शिल्पकारों द्वारा सीख लिया गया था।
ब्लू पॉटरी को राजस्थान में कौन लाया?
ब्लू पॉटरी शिल्प के अन्य विवरण द्वारा यह पता चलता है कि 19वीं शताब्दी की शुरुआत में शासक सवाई रामसिंह द्वितीय के द्वारा नीली मिट्टी के बर्तन यानी ब्लू पॉटरी को जयपुर में लाया गया था। यह कार्य शासक रामसिंह द्वितीय ने 1835 से 1880 के बीच मैं किया था।
जयपुर के शासक ने शिल्प कला में प्रसिद्ध होने के लिए अपने स्थानीय कारीगरों को दिल्ली भेजा था। हालांकि यह 1950 के दशक तक जयपुर से गायब हो चुका था। क्योंकि चीनी मिट्टी के बर्तन बाजार में आ गए थे और उसके कुछ नमूने राजाओं को दिखाए गए और लोगों द्वारा चीनी मिट्टी के बर्तनों को अधिक पसंद किया गया।
1950 के दशक में ब्लू पॉटरी के खत्म होने के बाद चित्रकार कृपाल सिंह शेखावत ने अपने कई प्रयासों के माध्यम से ब्लू पॉटरी को जयपुर में फिर से पेश किया गया था और उनका यह प्रयास सफल रहा पुलिस उनके इस प्रयास द्वारा जयपुर में दोबारा ब्लू पॉटरी लोकप्रिय हो गई।
ब्लू पॉटरी से संबंधित कुछ तथ्य:-
ब्लू पॉटरी से संबंधित कुछ ऐसे तथ्य हैं जिनके बारे में आपको ज्ञात नहीं होगा और इसकी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं।
- ब्लू पॉटरी भारत की नहीं है बल्कि इसका उत्पादन तुर्किश में हुआ है।
- ब्लू पॉटरी को मिट्टी से नहीं बल्कि अलग-अलग पदार्थों द्वारा बनाया जाता है।
- उत्पादों पर अक्सर पाए जाने वाले नीले और हरे रंग कोबाल्ट ऑक्साइड और कॉपर ऑक्साइड के उपयोग के कारण होते हैं।
- मध्य एशिया में इमारतों को सजाने के लिए ब्लू वॉटर का इस्तेमाल किया जाता था जैसे लोग नीली टाइलें कहते थे।
ब्लू पॉटरी को खरीदने के लिए कुछ लोकप्रिय स्थान
नीचे हम कुछ ऐसे स्थानों का पता बताने जा रहे हैं जहां से आप बहुत आसानी से ब्लू पॉटरी खरीद सकते हैं।
ब्लू पॉटरी: कृपाल कुम्भो
पता बी-18, शिव मार्ग, बनीपार्क, कांटी नगर, बानी पार्क, जयपुर, राजस्थान 302016
भारतीय हस्तशिल्प: राजस्थानी
ऑपोजिट, एमआई रोड, अजमेरी गेट, जयंती मार्केट, पिंक सिटी, जयपुर, राजस्थान 302001
सस्ते कपड़े और सहायक उपकरण: बापू बाज़ार
सौदा-शिकारी जयपुर के मुख्य बाजार – बापू बाजार की गलियों में घूमते हैं, जो पुराने शहर में न्यू गेट और सांगानेरी गेट के बीच सड़क के किनारे स्थित है।
दस्तकारी वस्त्र: अनोखी
पता अनोखी हवेली खीरी गेट, आमेर, जयपुर, राजस्थान 302028
आभूषण (सस्ती): चांदी की दुकान
51, हाथरोई किला, हरि किशन सोमानी मार्ग, अजमेर रोड, हाथरोई, जयपुर, राजस्थान 302001
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको बताया की ब्लू पॉटरी का प्रमुख केंद्र कौन सा है? उम्मीद करते हैं कि आपको ब्लू पॉटरी से संबंधित कई तरह की जानकारियां मिल पाई होंगी। यदि आप इससे संबंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
FAQ
राजस्थान में ब्लू पॉटरी कौन लाया था?
जयपुर की नील मृद्भांड (ब्लू पॉटरी) प्रसिद्ध है। इसमें पारंपरिक हरे और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है। यह कला अकबर के समय ईरान से लाहौर आई थी। इसके बाद जयपुर के महाराजा राम सिंह प्रथम इसे लाहौर से जयपुर ले आए।
ब्लैक पॉटरी के लिए कौन सा जिला प्रसिद्ध है?
निजामाबाद की विश्व प्रसिद्ध काली पत्री, जो हमेशा नए चेहरे को छूती रहती है, उसे अब किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है।
ब्लू पॉटरी पर चित्रांकन के लिए प्रसिद्ध शिल्पकार कौन थे?
मऊ शिखर ब्लू पॉटरी के जादूगर कृपाल सिंह शेखावत ने 25 रंगों का उपयोग करके एक नया खोल कृपाल शैली बनाया। इस कला के लिए उन्हें 1974 में पद्मश्री और 1980 में कलाकार की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
जयपुर में ब्लू पॉटरी कौन लेकर आया था?
जयपुर के नील मृद्भाण्ड (‘ब्लू पॉटरी) प्रसिद्ध है। इसमें पारंपरिक हरे और नीले रंग का प्रयोग किया जाता है। यह अकबर के समय में ईरान से लाहौर आया था। इसके बाद मानसिंह सिंह सबसे पहले इसे लाहौर से जयपुर ले आए।
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