ग्रामीण स्थानीय सरकार का अन्य नाम क्या है?

दोस्तों, भारत एक ऐसा राष्ट्र है जहां विभिन्न स्तर पर लोग अपनी सरकार बनाते हैं, जैसे कि राज्य स्तर पर, ग्रामीण स्तर, और राष्ट्रीय स्तर पर भारत में सरकारें अलग-अलग प्रकार से बनाई जाती है।

लेकिन वह सभी एक संविधान पर कार्य करती है, और इतनी सरकारों के बनाने के पीछे का उद्देश्य यह होता है कि विभिन्न स्तर पर लोगों की समस्याओं का समाधान केवल स्थानीय लोग कर पाते हैं, और इसीलिए स्थानीय लोगों को अपनी सरकार बनाने का अधिकार होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि Gramin sthaniya sarkar ka anya naam kya hai? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं आज हम आपको बताएंगे कि ग्रामीण (local government in the village is also known as) इसके अलावा ग्रामीण स्थानीय सरकार सबसे पहले भारत में कब स्थापित की गई, और इसके संबंधित हम मुद्दों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं

ग्रामीण स्थानीय सरकार का अन्य नाम क्या है? | Gramin sthaniya sarkar ka anya naam kya hai?

दोस्तों, भारत में आज के समय ग्रामीण स्थानीय सरकार को पंचायत के नाम से जाना जाता है, और जिस व्यवस्था से ग्रामीण स्थानीय सरकार काम करती है कुछ व्यवस्था को पंचायती राज व्यवस्था कहा जाता है। यानी कि वह व्यवस्था जिसके माध्यम से ग्रामीण स्थानीय सरकार राजकीय शासन कर सकें या राजकीय शासन में भागीदारी कर सकें

पंचायती राज व्यवस्था क्या है? (Panchayati Raj Vyavastha kya hai)

Gramin sthaniya sarkar ka anya naam kya hai?
ग्रामीण स्थानीय सरकार को क्या कहा जाता है | local government of rural areas is also known as

पंचायती राज व्यवस्था अपने आप में एक व्यापक व्यवस्था है जिसे भारतीय संविधान में 73वें संविधान संशोधन के दौरान जोड़ा गया था। पंचायती राज व्यवस्था का मुख्य लक्ष्य जिले, जोन या फिर गांव के अंतर्गत लोगों की खुद की सरकार बनाना और उन सरकारों को स्थानीय स्तर पर व्यवस्थित रूप से चलायंमान रखना होता है।

कोई भी व्यक्ति जो भारत सरकार के अंतर्गत काम करना चाहता है उसे पंचायती राज व्यवस्था के बारे में मालूम होना चाहिए। क्योंकि भारत की लगभग एक तिहाई आबादी आज भी गांव में रहती है, और इसीलिए गांव के बारे में सोचना और गांव में रहने वाले लोगों के रहन-सहन को समझना उनकी सरकारों को समझना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

आप लोगों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी सरकार बनाने और चलाने के तौर पर पंचायती राज व्यवस्था का तरीका एक प्रकार से आजादी से पहले से इस्तेमाल किया जा रहा था। हालांकि इससे पंचायती राज व्यवस्था का नाम आजादी के बाद दिया गया।

शताब्दियों से भारत में पंचायती राज व्यवस्था का कल्चर चला आ रहा है, और प्राचीन भारत में पंचायतें विभिन्न प्रकार की शक्तियों के साथ काम करती थी, जैसे कि कार्यकारी शक्तियां, न्यायिक शक्तियां, और अन्य शक्तियों के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत को महान शक्तियां मिली हुई थी। अंग्रेजों के समय और मुगल आक्रांताओं के समय भी पंचायती राज व्यवस्था भारत में अपनी पूरी शक्ति से कार्यरत थी।

बलवंत राय मेहता कमेटी और पंचायती राज

सन 1957 में आजादी के तकरीबन 10 वर्ष पश्चात भारत सरकार ने भारत में रहने वाले लोगों की तरफ से अपना ध्यान आकर्षित किया, जो गांव में रहते थे, तथा एक चरमराई राज व्यवस्था के अंतर्गत अपना काम चला रहे थे।

क्योंकि शक्तियों का केंद्रीकरण अपने चरम पर था, इसलिए भारत सरकार ने एक कमेटी का गठन किया। और बलवंत राय मेहता के द्वारा नेतृत्व की जा रही बलवंत राय मेहता कमिटी ने यह सुझाव दिया, कि ग्रास रूट लेवल पर भारत सरकार को राजनीतिक शक्तियों का विकेंद्रीकरण करना होगा, जिसके लिए लोकल गवर्नमेंट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

संविधान के अंतर्गत कार्यरत हो और इसे पंचायती राज व्यवस्था का नाम दिया गया। बलवंत राय मेहता समिति के पश्चात कई अन्य समितियां अभी बनाई गई थी जिनका उद्देश्य पंचायती राज व्यवस्था मैं बदलाव और उन्हें सुधीर बनाना था लेकिन पंचायती राज व्यवस्था की एक सुदृढ़ नीव सबसे पहले बलवंत राय मेहता कमेटी के द्वारा रखी गई।

बलवंत राय मेहता की पंचायती राज व्यवस्था के मुख्य फीचर्स

rural local government is called
ग्रामीण स्थानीय सरकार को कहा जाता है | gramin sthaniya sarkar ko kya kaha jata hai
  • पंचायती राज व्यवस्था त्रिस्तरीय होगी, जिसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, और जिला परिषद नामित होंगे।
  • ग्राम पंचायत में अपने रिप्रेजेंटेशन देने के लिए व्यक्ति को सीधे तौर पर चुना जाएगा, जबकि जिला परिषद तथा पंचायत समिति में अप्रत्यक्ष तौर पर प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाएगा।
  • पंचायत समिति ग्राम पंचायत और जिला परिषद का मुख्य कार्य पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत अपने स्थानीय निकाय का डेवलपमेंट, और डेवलपमेंट के लिए प्लानिंग करना होता है।
  • पंचायत समिति एक एग्जीक्यूटिव बॉडी होती है और जिला परिषद एक एडवाइजरी बॉडी होती है।
  • पंचायती अपना काम सही ढंग से कर सके इसलिए राज्य सरकारी और केंद्र सरकार सीधे तौर पर संसाधनों की आपूर्ति के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था की मदद करती है, जिससे वे अपने कर्तव्यों और दायित्वों का पालन कर सकें।

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निष्कर्ष

आज के लेख में हमने जाना कि ग्रामीण स्थानीय सरकार को क्या कहते हैं? (gramin sthaniya sarkar ko kya kahate hain), इसी के साथ हमने आपको पंचायती राज व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। हम आशा करते हैं कि आप समझ चुके होंगे कि ग्रामीण स्थानीय सरकार का अन्य नाम क्या होते है। यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते तो कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

धन्यवाद

FAQ

स्थानीय सरकार कितने प्रकार के होते हैं?

यह सरकार का तीसरा स्तर है। स्थानीय सरकारें दो प्रकार की होती हैं – ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतें और शहरी क्षेत्रों में नगरपालिकाएँ।

स्थानीय सरकार का क्या अर्थ है?

स्थानीय सरकार लोक प्रशासन का एक रूप है जो अधिकांश स्थानों पर किसी राज्य या राष्ट्र की सबसे निचली रैंकिंग वाली प्रशासनिक इकाई होती है। इसके ऊपर जिले, प्रांत, राज्य या राष्ट्र का प्रशासन होता है, जिसे राज्य सरकार, राष्ट्रीय सरकार, संघीय सरकार आदि नामों से जाना जाता है।

स्थानीय सरकार का महत्व क्या है?

स्थानीय सरकार राज्य सरकारों को सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोगों से संबंधित आवश्यक जानकारी और डेटा प्रदान करती है। स्थानीय सरकार जनसंख्या, आय, पुरुषों, महिलाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, भूमि, उत्पादन आदि के बारे में जानकारी प्रदान करती है।

गांव में स्थानीय सरकार को क्या कहा जाता है?

पंचायती राज को ग्रामीण स्थानीय सरकार के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत सरकार की वह शाखा है जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र का प्रत्येक गाँव अपनी गतिविधियों और विकास के लिए जिम्मेदार है। यह एक प्रकार का स्थानीय निकाय है जो ग्रामीण क्षेत्रों के कल्याण के लिए कार्य करता है।

पंचायती राज के जनक कौन है?

सही उत्‍तर है → बलवंत राय मेहता। बलवंत राय मेहता को पंचायती राज संस्थाओं का जनक कहा जाता है। बलवंत राय मेहता समिति (1957): सामुदायिक विकास कार्यक्रम की कार्यप्रणाली को देखने के लिए गठित।

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