नमस्कार दोस्तों आशा करते है की आप अच्छा होंगे, आज के इस पोस्ट में हम हड़प्पा सभ्यता के बारे में जानेंगे, हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की तथा आज के वर्त्तमान समय में हड़प्पा कहा है इस बात पर भी विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। हड़प्पा सभ्यता आज से करीब 8000 वर्ष पुरानी है, दोस्तों आपको यह तो मालूम ही होगा की सिंधु घाटी सभ्यता प्राचीन काल में एक बहुत ज्यादा उन्नत सभ्यता थी, और यह भारत के प्राचीन इतिहास की उनत्ति का जीता जगता प्रमाण भी है, प्राचीन सभ्यताओं में हड़प्पा का नाम हमेशा से शामिल होता आ रहा है और आगे भी होता रहेगा।
सिंधु घाटी सभ्यता को हम हड़प्पा के नाम से भी जानते है, जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में फैली हुई थी, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान के तीन शुरुआती कालक्रमों में से एक थी, और इन तीन में से हड़प्पा सबसे व्यापक तथा सबसे चर्चित थी। इसका विकास सिन्धु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ था। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा और राखीगढ़ी इसके प्रमुख केन्द्र थे। दिसम्बर 2014 में भिरड़ाणा को सिन्धु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर माना जाता है। चलिए अब हम अपने मुख्य विषय पर चर्चा करते है।
हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की थी?
आधुनिक टेक्नोलॉजी से हम हड़प्पा के बहुत सारे छुपे हुए पहलुओं से पर्दा उठा पा रहे है, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब हमारे पास न तो इतनी उन्नत उपकरणें थी और न तो किसी नयी चीज़ को खोजने की जिज्ञासा, तो उस वक्त हड़प्पा को खोजने के लिए कितने प्रयास किए गए चलिए अब उनके बारे में बात करते है।
18वीं शताब्दी में टीलो पैंथर नमक एक अंग्रेज ने सबसे पहले हड़प्पा के कुछ अवशेष प्राप्त किये थे, परन्तु उनकी संख्या बहुत कम थी जिसके कारण उस समय में इस सभ्यता के बारे में कुछ भी समझना नामुमकिन था, और इसी के कारण उस वक़्त इसपर उतना ध्यान नहीं दिया गया। सन 1853 में जब एलेक्सेंडर कन्निंघम ने इस जगह पर निरक्षण किया तो उन्हें वहां पर एक मुहर मिली जिसपर एक सांड की आकृति बानी हुई थी, लेकिन अफ़सोस इन्होने इतनी बड़ी तथा प्रचीन सभ्यत की कल्पना करने से चूंक गए।
सन 1921 में जब जॉन मार्शल भारत के पुस्तक विभाग के निर्देशक थे तब दयाराम साहनी ने इस पुरातन स्थल पर सर्वप्रथम खुदाई का कार्य करवाया था। हड़प्पा में सर्वप्रथम खोजे गए स्थान को हम लोथल के नाम से जानते है। सुरकोटदा नमक हड़प्पा के एक स्थान की खोज सन 1974 में हरयाणा के हिसार जिले में हुई थी, जिसका श्रेय रबिन्द्र सिंह बिष्ट को दिया जाता है। हड़प्पा सभ्यता के बहुत से स्थानों तक हम अभी नहीं पहुंच पाए है, हम ऐसी आशा कर सकते है की आगे आने वाले कुछ समय में हम उन्नत टेक्नोलॉजी के दम पर और भी स्थानों को सफलता पूर्वक धुंध कर उनपर शोध कर पाए।
हड़प्पा सभ्यता क्या है?
जैसा हमने आपको पहले भी बताया था की हड़प्पा सभ्यता प्राचीन भारत की एक महत्वपूर्ण सभ्यता थी, जिसका उल्लेख हमे अपने इतिहास की किताबो में भी देखने को मिलता है। सिंधु नदी के किनारे बसे होने के कारण इस सभ्यता को हम सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जानते है। सिंधु घाटी सभ्यता को मुख्यतः तीन कालों में बाँटा जा सकता है पहला पूर्व हड़प्पा काल (3300-2500 ई॰पू॰), दूसरा परिपक्व हड़प्पा काल (2600-1900 ई॰पू॰) और तीसरा उत्तरार्ध हड़प्पा काल (1900-1300 ई॰पू॰)। प्राचीन भारत में इसकी बहुत ज्यादा महत्वता थी, इसके बहुत से पौराणिक अवशेष देखने को मिलते है जिसमे हिन्दू देवी देवताओ की आकृतियां, टेराकोट्टा, मिटटी के खिलौने, तथा कीमती धातु से बने आभूषण भी शामिल है। हड़प्पा सभ्यता बहुत उन्नत थी जिसका प्रमाण हमें यहाँ से मिलें अवशेषों से मिलता है, इसकी उन्नत्ति के बारे में इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है की उस काल में इस सभ्यता में पानी के लिए कुँवे, निकास प्रणाली जैसी बहुत सारी असाधारण सुविधाएँ उपलब्ध थी जो आज के समय की सुविधाओं को चुनौती देती है।
हड़प्पा सभ्यता कहाँ पर स्थित है?
सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा) का विकास सिंधु घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ था। प्राचीन काल में यह सभ्यता पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिम भाग में फैली हुई थी, वर्तमान समय में यह सभ्यता पकिस्तान तथा पश्चिम भारत के नाम से जानी जाती है। सिंधु घाटी सभ्यता के बहुत से महत्व पूर्ण स्थल थे, उनमे से कुछ के नाम निम्नलिखित है,
1. हड़प्पा (पंजाब पाकिस्तान)
2. मोहेनजोदड़ो (सिन्ध पाकिस्तान लरकाना जिला)
3. लोथल (गुजरात)
4. कालीबंगा( राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में)
5. बनवाली (हरियाणा के फतेहाबाद जनपद में)
6. आलमगीरपुर( उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में)
7. सूत कांगे डोर( पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में)
8. कोट दीजी( सिन्ध पाकिस्तान)
9. चन्हूदड़ो ( पाकिस्तान )
10. सुरकोटदा (गुजरात के कच्छ जिले में)
आज के वर्तमान समय में हड़प्पा सभ्यता पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में मौजूद है, जो पाकिस्तान के एक शहर साहीवाल शहर से 20 किलोमीटर पश्चिम की ओर रवि नदी के किनारे स्तिथ है।इस सभ्यता की समकालीन सभ्यता मेसोपोटामिया थी। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित माण्टगोमरी जिले में रावी नदी के बाएं तट पर हड़प्पा नामक पुरास्थल है जबकि पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत के लरकाना जिले में सिन्धु नदी के दाहिने किनारे पर मोहनजोदड़ो नामक नगर करीब 5 km के क्षेत्र में फैला हुआ है।
FAQ
हड़प्पा सभ्यता कब शुरू हुई थी?
ऐसा माना जाता है कि इस शहर की स्थापना 2600 ईसा पूर्व यानी 4616 साल पहले हुई थी। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस सभ्यता का काल लगभग 2700 ईसा पूर्व निर्धारित किया गया है। 1900 ई. तक
हड़प्पा सभ्यता का दूसरा नाम क्या है?
हड़प्पा सभ्यता का प्रचलित नाम सिंधु घाटी की सभ्यता है।
हड़प्पा सभ्यता कहाँ पर स्थित है?
हड़प्पा पूर्वोत्तर पंजाब प्रांत में एक पुरातात्विक स्थल है। यह साहिवाल शहर से 20 किमी पश्चिम में स्थित है। यहां से कई अवशेष मिले हैं। सिंधु घाटी सभ्यता को इस शहर के नाम के कारण हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।
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