धारा 307 और 308 में क्या अंतर है?

नमस्कार दोस्तो, जैसा कि दोस्तों आप सभी लोगों को पता होगा कि हमारे संविधान के अंतर्गत अलग-अलग प्रकार की धाराएं बनाई गई है, तथा अलग-अलग प्रकार की धारा अलग-अलग कार्यों के लिए बनाई जाती है, और इन्हीं धाराओं के अंतर्गत धारा 307 ओर धार 308 का नाम काफी ज्यादा लिया जाता है, और आपने भी अपने जीवन के अंतर्गत कई बार इस धारा के बारे में सुना होगा। दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि धारा 307 क्या है, तथा धारा 308 क्या है (ipc 308 and ipc 307 in hindi), यदि आपको इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने वाले हैं, कि धारा 307 कब लगती है और धारा 308 कब लगती है, इसके अलावा धारा 307 धारा 308 में क्या अंतर होता है। तथा इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी हर एक जानकारी इस पोस्ट में देने वाले हैं।

धारा 370 धारा 308 के अंतर्गत क्या अंतर होता है? (dhara 307 dhara 308 ke biche me antar bataiye hindi mein)

अगर धारा 307 तथा धारा 308 के अंतर्गत अंतर की बात की जाए तो दोनों के बीच मुख्य अंतर यही होता है, कि यदि कोई व्यक्ति किसी पर जानबूझकर जानलेवा हमला करता है, या फिर सामने वाले व्यक्ति की हत्या करने का प्रयास करता है, तो ऐसे में उस व्यक्ति पर धारा 307 लगाई जाती है।

इसके विपरीत यदि किसी भी व्यक्ति के द्वारा बिना किसी इरादे के किसी अन्य व्यक्ति की हत्या हो जाती है, यानी कि वह सामने वाले व्यक्ति की हत्या करना नहीं चाह रहा था, लेकिन किसी कारण वंश उसकी हत्या हो जाती है, तो ऐसे में धारा 308 लगाई जाती है।

तो धारा 307 तथा धारा 308 के बीच मुख्य अंतर यही होता है।

धारा 307 कब लगाती है? (ipc section 307 in hindi)

धारा 307 उस परिस्थिति के अंतर्गत लगाई जाती है, जब किसी भी व्यक्ति के द्वारा किसी पर हत्या करने का प्रयास किया जाता है।

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308 और 307 आईपीसी के बीच का अंतर | artical 307 and artical 308 me antar in hindi

इसको अगर आसान भाषा में बताया जाए, तो यदि कोई भी व्यक्ति किसी पर जानलेवा हमला करता है, या फिर किसी भी व्यक्ति की हत्या करने का प्रयास करता है, वह उसके लिए उस पर हमला करता है, लेकिन वह किसी कारण वंश उस व्यक्ति की हत्या नहीं कर पाता है, या फिर वह उसकी हत्या करने में असफल हो जाता है। तो इस परिस्थिति के उस हमला करने वाले व्यक्ति पर धारा 307 लगाई जाती है, तथा उस व्यक्ति को धारा 307 के तहत दंडित किया जाता है।

यदि किसी भी व्यक्ति पर धारा 307 लगाई जाती है तथा उसको कोर्ट के अंतर्गत दोषी करार दे दिया जाता है तो ऐसे में उस व्यक्ति को धारा 307 के तहत काफी कड़ी सजा दी जा सकती है धारा 300 तहत के साथ दोषी व्यक्ति को 10 साल तक की सजा तथा जुर्माना से दंडित किया जाता है।

धारा 308 कब लगती है? (ipc section 308 in hindi)

धारा 308 उस परिस्थिति के अंतर्गत लगाई जाती है, जब किसी भी व्यक्ति के द्वारा बिना इरादे के हत्या कर दी जाती है।

इसको अगर आसान भाषा में समझाया जाए, तो यदि कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की हत्या कर देता है, लेकिन उस व्यक्ति का इरादा सामने वाली व्यक्ति की हत्या करना नहीं होता है, बल्कि किसी कारण बस उससे सामने वाले व्यक्ति की हत्या हो जाती है तो ऐसे में धारा 308 लगाई जाती है, तथा उस व्यक्ति को दंड दिया जाता है।

अक्सर ऐसी कई परिस्थितियां देखने को मिलती है, जब कोई भी व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता है, लेकिन किसी भी कारणवश या फिर किसी भी कारण से उससे हत्या हो जाती है, जैसे कि कोई एक्सीडेंट हो जाता है इसके अलावा और भी कई ऐसे कारण होते हैं, जिसमें बिना किसी इरादे के ही सामने वाले व्यक्ति की हत्या हो जाती है, तो ऐसे में इस धारा 308 को लगाया जाता है।

धारा 308 के अंतर्गत आपको 3 साल से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है, इसके अलावा आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है, और अलग-अलग परिस्थितियों के अंतर्गत आपको यह दोनों सजाएं भी देखने को मिल सकती है।

निष्कर्ष

तो इस पोस्ट के अंतर्गत हमने आपको बताया कि धारा 307 कब लगाती है और धारा 308 कब लगती है और धारा 307 धारा 308 के बीच क्या अंतर होता है (ipc 307 and ipc 308 in hindi)। इसके अलावा इस विषय से जुड़ी अन्य जानकारी अभी हमने आपके साथ शेयर की है। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई है, फिर तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है।

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