नमस्कार दोस्तो, आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ लोथल किस नदी के किनारे स्थित है तथा लोथल एवम भोगवा नदी से सम्बंधित जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे। आज के समय मे लोथल एवम भोगवा नदी का इतिहास में अत्यधिक महत्व है। अगर आप भी लोथल और भोगवा नदी से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़ना।
लोथल किस नदी के किनारे स्थित है?
लोथल एक प्राचीन सभ्यता है जिसकी खोज सर्वप्रथम 1957 में एसआर राव द्वारा की गई थी। लोथल गुजरात राज्य के अहमदाबाद जिले में स्थित है। लोथल भोगवा नदी के किनारे स्थित है। लोथल गुजरात में स्थित एक बंदरगाह शहर है, जो भोगवा नदी के किनारे बसा हुआ है। यह भोगवा नदी साबरमती नदी की एक दाहिने किनारे की सहायक नदी है और यह नदी भारत में सबसे महत्वपूर्ण पश्चिम बहने वाली नदियों में से एक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा लोथल की खुदाई 13 फ़रवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 के मध्य की गई थी।
लोथल प्राचीन सभ्यता अहमदाबाद जिले के धोलका तालुका के गाँव सरागवाला के निकट स्थित है। लोथल शहर लगभग 2400 ईसापूर्व में बसा था। लोथल को ‘हप्पन सभ्यता का मैनचेस्टर‘ के नाम से भी जाना जाता है। लोथल की खोज के समय चावल की भूसी की मिली थी जिससे यह पता चलता है कि हड़प्पा ( लोथल ) के लोग चावल का उपयोग करना जानते थे लेकिन उस समय चावल की खेती व्यापक रूप से नहीं की जाती थी। लोथल सिंधु सभयता के समय का बंदरगाह था।
भोगवा नदी कहाँ है?
भोगवा नदी एक प्राचीन तथा प्राकृतिक नदी है। यह नदी पुरातात्विक नदी है। इस नदी का सम्बंध प्राचीन काल की लोथल सभ्यता से था। भोगवा नदी भारत के गुजरात राज्य मे लोथल के पास स्थित हैं। यह नदी साबरमती नदी की एक दाहिने किनारे की सहायक नदी है। गुजरात मे स्थित सुरेंद्रनगर शहर व लोथल इस नदी के किनारे बसा हुआ है। भोगवा नदी पर धोलीधाजा बांध स्थित है।
यह नदी प्राचीनकालीन नदी है। भोगवा नदी हड़प्पा कालीन नदी है और इसका इतिहास में अत्यधिक महत्व है। भोगवा नदी का ऐतिहासिक महत्व अधिक होने के कारण इस नदी का पर्यटन महत्व भी है। इस नदी के किनारे प्राचीन में सभ्यता होने के कारण आज के समय में इस नदी में अनेक पुरातात्विक वस्तुए मिली है जो इस नदी के किनारे सभ्यता होने का प्रमाण स्थापित करते है।
अर्थव्यवस्था और शहरी संस्कृति
शहर और उसकी संस्थाओं का एकसमान संगठन यह स्पष्ट करता है कि हड़प्पावासी बहुत अनुशासित लोग थे। वाणिज्य और प्रशासनिक कर्तव्यों का पालन निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाता था। नगर प्रशासन सख्त था – अधिकांश सड़कों की चौड़ाई लंबे समय तक समान रही, और कोई भी अतिक्रमित संरचना नहीं बनाई गई। शहर के नालों को बंद होने से बचाने के लिए घरों में ठोस कचरा इकट्ठा करने के लिए एक नाबदान या संग्रह कक्ष था।
नालियों, मैनहोल और सेसपूल ने शहर को साफ रखा और नदी में कचरा इकट्ठा किया, जो उच्च ज्वार के दौरान बह गया था। हड़प्पा कला और चित्रकला की एक नई प्रांतीय शैली का बीड़ा उठाया गया। नए दृष्टिकोणों में उनके प्राकृतिक परिवेश में जानवरों के यथार्थवादी चित्रण शामिल थे। धातु के बर्तन, सोने और गहने और विस्तृत रूप से सजाए गए आभूषण लोथल के लोगों की संस्कृति और समृद्धि की गवाही देते हैं।
निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (-) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
FAQ
लोथल के खोजकर्ता कौन है?
पुरातत्वविद् एस. आर. राव के नेतृत्व में कई टीमों ने मिलकर 1954 और 1963 के बीच बंदरगाह शहर लोथल सहित कई हड़प्पा स्थलों की खोज की।
लोथल में क्या मिला था?
लोथल की खुदाई में तराजू मिले हैं। इससे इस बात का भी प्रमाण मिलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता एक व्यापारिक सभ्यता थी। सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन गेहूं और जौ थे।
लोथल की खोज कब हुई?
लोथल (गुजराती), प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर है। यह शहर, लगभग 2400 ईसा पूर्व, भारतीय राज्य गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है और 1954 में खोजा गया था। इस शहर की खुदाई 13 फरवरी 1955 से 19 मई 1956 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की गई थी।
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