नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है विषय पर लेख

नर्मदा नदी केवल एक नदी ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म के लिए मां समान है। इसका धार्मिक महत्व हिंदू धर्म में बहुत ही बड़ा है क्योंकि जो भी व्यक्ति इस में डुबकी लगा लेता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। यह एक पवित्र नदी है जिसके साथ लोगों की काफी आस्था जुड़ी हुई है। इस नदी कितनी बड़ी मान्यता के कारण ही आज हम चर्चा करेंगे कि नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है (narmada ek nadi nahi sanskriti hai vishay par lekh likhiye)।

नर्मदा नदी की संस्कृति इतनी ज्यादा फैली हुई है कि अक्सर बच्चों से परीक्षाओं में भी इस विषय पर लेख लिखने के लिए कहा जाता है कि नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है (Article on Narmada is not a river but a culture)। इसलिए आज के इस लेख के माध्यम से हम इस विषय पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।

नर्मदा नदी के बारे में कुछ जानकारियां

नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है विषय पर चर्चा करने से पहले हम नर्मदा नदी के बारे में कुछ जानकारियां प्राप्त कर लेते हैं। हम आपको बता दें कि नर्मदा नदी को रेवा नदी भी कहा जाता है। इस नदी ने मध्य प्रदेश मैं अपना काफी बड़ा योगदान दिया है इसलिए इसे मध्य प्रदेश की जीवन रेखा भी कहते हैं।

नर्मदा नदी मध्य प्रदेश राज्य के अनूपपुर जिले में स्थित विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतों के पूर्व पर स्थित अमरकंटक कुंड से निकलती है। यानी कि नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक कुंड से होता है। अमरकंटक कुंड से बहती हुई यह नदी कई अलग-अलग राज्यों से होकर गुजरती है और अंत में यह अरब सागर में जाकर विलीन हो जाती है।

भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवी सबसे लंबी नदी नर्मदा नदी को ही कहा जाता है और यह तीसरी सबसे लंबी नदी है जो कि गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहती है। इस नदी की लंबाई 13 से 12 किलोमीटर है जो पश्चिम की तरह जाती है और खंभात की खाड़ी में गिरती है।

नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है विषय पर लेख

narmada ek nadi nahi sanskriti hai vishay par lekh likhiye

नर्मदा नदी से संबंधित कुछ बुनियादी जानकारी प्राप्त कर लेने के पश्चात चलिए अब समझते हैं कि नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है।

नर्मदा नदी संस्कृति इसलिए है क्योंकि यह केवल लोगों को पानी का स्रोत ही नहीं प्रदान करती बल्कि इस नदी के किनारे रहने वाले लोग अपनी आजीविका के लिए इसके ऊपर निर्भर है। यह आर्थिक संसाधन है और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक भी है। इसके अलावा यह क्षेत्र के लिए सिंचाई और जल विद्युत शक्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।

नर्मदा नदी अपने आप में ही एक संस्कृति है क्योंकि हिंदू धर्म में इसे माता के रूप में पूजा जाता है और इसकी किनारे रहने वाले लोग इसे एक अभिन्न अंग भी मानते हैं।

1. नर्मदा नदी का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में नर्मदा नदी का महत्व बहुत ही अधिक है। जहां से नर्मदा नदी का उद्गम होता है वहां पर एक मंदिर का निर्माण भी किया गया है जहां पर लोग इसकी पूजा और आराधना करते हैं।

नर्मदा नदी का जिक्र चारों वेदों में भी किया गया है और उसके साथ स्कंद पुराण के रेवा खंड में भी किया गया है। नर्मदा नदी के पास कुछ ऐसे वरदान हैं जो अन्य नदियों या फिर संस्थानों के पास भी नहीं है। नर्मदा ने वाहिनी गंगा के तट पर बैठ कर कम से कम 10000 दिव्य वर्षों तक तपस्या करके प्रभु शिव को प्रसन्न किया और उनसे कुछ वरदान मांगे।

नर्मदा नदी द्वारा मांगे गए वरदान कुछ ऐसे थे कि मेरा विनाश प्रलय में भी ना हो। मैं पूरे विश्व में केवल एक पापनाशिनी बनकर प्रसिद्ध हो। मेरी पूजा हर नर्मदे स्वर शिवलिंग के रूप में बिना किसी प्राण प्रतिष्ठा के की जाए।

इसलिए नर्मदा नदी की पूजा नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में ही की जाती है। यहां पर कई देवी-देवता ऋषि मुनि ने तपस्या की है। नर्मदा नदी का काफी बड़ा धार्मिक महत्व होने के कारण लोग इसे अपनी संस्कृति भी मानते हैं और इसे प्राण प्रतिष्ठा द्वारा पूजा भी करते हैं।

2. नर्मदा नदी शिक्षा और संस्कार भी है

अहमदा नदी को संस्कृति इसलिए भी माना जाता है क्योंकि यह युवाओं में भी बसती है और उनके शिक्षा और संस्कार का भी एक जरिया है। भारत में एक शिवपुरी अध्यात्मिक केंद्र और 16 विश्वविद्यालय है जो कि नर्मदा नदी के तट पर ही स्थित है। इसीलिए इसे शिक्षा और संस्कार की नदी भी कहा जाता है। लगभग सभी युवा भी नर्मदा नदी को मानते हैं और इसमें अपनी आस्था बनाए रखते हैं।

3. नर्मदा नदी से संबंधित प्रचलित कथाएं

सबसे प्रमुख नदियों में केवल एक नर्मदा नदी ही है जो बंगाल की खाड़ी में ना मिलकर अरब सागर में मिलती है। इसी को लेकर नर्मदा से संबंधित कई कथाएं प्रचलित है। इसमें सबसे प्रचलित कथा यह है कि नर्मदा नदी राजामहल की पुत्री थी। और उन्होंने अपनी पुत्री आने नर्मदा के लिए स्वयंवर की घोषणा की और शर्त रखा कि जो भी राजकुमार गुलबकावली के फूल लेकर आएगा उसी का विवाह नर्मदा से किया जाएगा।

ऐसे में केवल सोनभद्र जिले के ही राजकुमार द्वारा वह फूल लाया गया और दोनों का विवाह तैयार कर दिया गया। नर्मदा और राजकुमार के विवाह में केवल कुछ ही दिनों का समय था। और इसलिए नर्मदा ने अपनी दासी जोहिला को अपने देश में सोनभद्र के राजकुमार के पास भेज दिया था कि वह उनसे मिलकर उनकी वह वार को समझ पाए।

ऐसे में सोनभद्र के राजकुमार ने जूही ला को ही रानी समझ लिया और जूही ला राजकुमार के प्रस्ताव को ठुकरा नहीं पाई और उसकी नियत बदल गई। ऐसे में जब नर्मदा उन दोनों के पास गई तब सोनभद्र और जुमला को साथ में देख लिया और ऐसे में नर्मदा नदी नाराज होकर उल्टी दिशा में चली गई। इसीलिए यह कहा जाता है कि नर्मदा नदी बंगाल सागर में नहीं बल्कि अरब सागर में जाकर मिलती है।

ऊपर दिए गए सभी चीजों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह नदी केवल एक नदी ही नहीं बल्कि संस्कृति भी है जिसे लोग काफी ज्यादा मानते हैं। नर्मदा नदी की संस्कृति मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि यह मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाती है।

नर्मदा नदी का केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि आर्थिक महत्व भी काफी ज्यादा है जिसके कारण लोग इसे संस्कृति मानते हैं। नर्मदा नदी दो प्रमुख राज्य मध्यप्रदेश और गुजरात से होकर गुजरती है। इसलिए इसकी मान्यता सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश और गुजरात में है।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिक्ल में हमने नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है विषय पर लेख (Narmada ek nadi nahi sanskriti hai nibandh) के बारे में चर्चा की। उम्मीद के इस लेख के माध्यम से आपको नर्मदा नदी के कई महत्वों के बारे में जनकरी मिल पायी होगी। यही आप इस प्रकार के और भी लेख पढ़ना चाहते है तो हमे कमेंट करके बताए।

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