नमस्कार दोस्तो, आपने अपने जीवन के अंतर्गत अक्सर नीम करोली बाबा के बारे में तो जरूर सुना होगा, या फिर नीम करोली बाबा के मंत्रों के बारे में तो जरूर सुना होगा। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि नीम करोली बाबा के मंत्र कौन से हैं, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि नीम करोली बाबा के मंत्र क्या है, हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।
नीम करोली बाबा के मंत्र | neem karoli baba ke mantra
यदि दोस्तों आपको नीम करोली बाबा के मंत्रों के बारे में जानकारी नहीं है, तथा अब इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो हमने यहां पर आपको नीम करोली बाबा के मंत्र के बारे में बताया है:-
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मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन ।
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करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।।
श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।।
कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।
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नीम करोली बाबा का स्थान कहां है?
अगर दोस्तों नीम करोली बाबा के आश्रम की बात की जाए, तो नीम करोली बाबा का आश्रम उत्तराखंड की हिमालय “तलहटी” के अंतर्गत मौजूद है। यह आश्रमम इन नैनीताल से अल्मोड़ा जाने वाले मार्ग पर देखने को मिलता है, जिस की समुद्र तल से ऊंचाई 14 किलोमीटर है। दोस्तों नीम करोली बाबा के इस आश्रम को कैची धाम के नाम से भी काफी ज्यादा जाना जाता है।
नीम करोली बाबा का बचपन | neem karoli baba ke bachpan
अगर नीम करोली बाबा के बचपन के बारे में बात की जाए तो इन के बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था, इनका जन्म फिरोजाबाद जिले के अंतर्गत हुआ था जो कि उत्तर प्रदेश के अंतर्गत स्थित है। नीम करोली बाबा का जन्म सन उन्नीस सौ के अंतर्गत एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। नीम करोली के पिताजी का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था।

दोस्तों अनेक जगहों पर यह देखने को मिलता है, कि नीम करोली बाबा का विवाह सिर्फ 11 वर्ष की आयु के अंतर्गत ही कर दिया गया था, लेकिन अपने विवाह के तुरंत बाद ही नीम करोली बाबा ने अपने घर तथा अपने परिवार को छोड़ दिया था। उसके बाद नीम करोली बाबा गुजरात चले गए थे। वहां पर उन्होंने अपना साधु का जीवन व्यतीत करना शुरू कर दिया था तथा अपने घर छोड़ने के 10 से 15 वर्ष पश्चात नीम करोली बाबा के पिताजी को इसके बारे में पता चला था, कि उनका बेटा करौली के अंतर्गत साधु का जीवन व्यतीत कर रहा है। उसके बाद नीम करोली बाबा की पिताजी ने उनको गृहस्थ जीवन जीने के लिए काफी निवेदन किया था, तो उनकी बात मान कर नीम करोली बाबा ने फिर से ग्रस्त जीवन जीना शुरु कर दिया था, लेकिन कुछ साल बाद इन्होंने फिर से अपने घर को छोड़कर ब्रह्मचर्य रूप धारण कर लिया था।
उसके बाद दोस्तों नीम करोली बाबा ने उत्तराखंड के अंतर्गत अपना एक तपोस्थली बनाया था, जहां पर गाया हनुमान जी की पूजा करने लगे। दोस्तों हम वहां की अनेक लोगों का यह मानना है कि नीम करोली बाबा हनुमान जी का ही एक अवतार है।
हालांकि आज के समय नीम करोली बाबा तो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा बनाया गया आश्रम आज भी कैची धाम के नाम से काफी प्रसिद्ध है, तथा वहां पर 15 जून को हर साल मेला का आयोजन किया जाता है।
नीम करोली बाबा के शिष्य
नीम करोली बाबा के देश से ज्यादा विदेशी शिष्य थे। अमेरिका के कई लोग उन्हें मानते थे। माना जाता है कि एपल के सीईओ स्टीव जॉब्स और फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी नीम करोली बाबा के शिष्य थे। मार्क जुकरबर्ग कई बार नीम करोली बाबा के चमत्कार की चर्चा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नीम करोली को बाबा मानते थे। और वह कई बार अपने चमत्कार की चर्चा भी कर चुके हैं।
नीम करोली बाबा का परिवार
नीम करोली बाबा के दो बेटे और एक बेटी थी। उनके बड़े बेटे अनेक सिंह परिवार सहित भोपाल में रहते हैं। और उनके छोटे बेटे धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर थे जिनका हाल ही में निधन हो गया।
नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई
11 सितंबर 1973 की एक रात जब बाबा जी अपने वृंदावन आश्रम में थे। अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। भक्तों ने आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर द्वारा ऑक्सीजन मास्क लगाने के तुरंत बाद बाबा जी ने उसे फेंक दिया.
और वहां उपस्थित भक्तों से कहा कि अब मेरे जाने का समय आ गया है और तुलसी-गंगाजल लाने का आदेश दिया। तत्पश्चात उन्होंने रात्रि 1:15 बजे तुलसी और गंगाजल ग्रहण कर अपने नश्वर शरीर का त्याग किया। मान्यता है कि बाबा हमेशा अपने भक्तों के साथ अलौकिक रूप में निवास करते हैं।
आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि नीम करोली बाबा के मंत्र क्या है, हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत नीम करोली बाबा से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि नीम करोली बाबा के मंत्र क्या है, यह नीम करोली बाबा कौन थे, उनका जन्म कहां हुआ था, तथा उनके द्वारा अपने जीवन में क्या-क्या महान कार्य किए गए हैं।
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
FAQ
नीम करोली बाबा की पूजा कैसे करें?
बाबा कहते थे कि ध्यान जरूरी है, लेकिन जब कोई उनके बगल में बैठकर ध्यान करता है, तो वह तुरंत अपना ध्यान भंग कर देता है। लोग उनके पैर-पैर हाथ में लेकर ध्यान करने की कोशिश करते थे, कभी बाबा पैर हटाते थे तो कभी कोई सवाल पूछते थे।
नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?
कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को 17 साल की उम्र में ही भगवान के बारे में विशेष ज्ञान हो गया था। वे हनुमान जी को अपना गुरु और मूर्ति मानते थे। बाबा ने अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया। ऐसा माना जाता है कि बाबा नीब करौरी ने हनुमान जी की पूजा से कई चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त की थीं।
नीम करोली बाबा का असली नाम क्या है?
नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनका जन्म 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था। उन्हें 17 साल की उम्र में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था।
क्या हम कैंची धाम में रह सकते हैं?
हां, लेकिन आपको आश्रम के प्रबंधक से ठहरने के लिए पूछना होगा। लोगों को अधिकतम तीन दिनों तक आश्रम में रहने की अनुमति है।
नीम करोली बाबा इतना प्रसिद्ध क्यों है?
कहा जाता है कि 17 साल की उम्र में बाबा नीम करोली को भगवान के बारे में बेहद खास ज्ञान हुआ। वह हनुमान जी को अपना गुरु और आदर्श मानते थे। बाबा ने अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण करवाया। माना जाता है कि बाबा नीब करोड़ी ने हनुमान जी की पूजा करके कई चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त की थीं।