पियाजे थ्योरी क्या थी? | Piaget Theory in Hindi

Jean Piaget मूल रूप से एक स्विट्जरलैंड के मनोवैज्ञानिक थे, तथा उन्होंने मानव समाज के विकास की ओर अमूल्य कदम बढ़ाया तथा मानव विकास की सभी विकासशील पद्धतियों तथा पहलुओं को क्रमबद्ध तरीके से उजागर किया, और उसे ही मानव विकास की जीन पियाजे थ्योरी के नाम से आज के समय हम जानते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि Piaget Theory in Hindi क्या थी? यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं आज के इस लेख में हम आपको Piaget Theory के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताएंगे कि Jean Piaget Theory in Hindi क्या थी, तथा जीन पियाजे कौन थे, और उन्होंने कैसे सिद्धांत प्रतिपादित किए।

तो चलिए शुरू करते हैं:-

डॉ जीन पियाजे (Dr. Jean Piaget) कौन थे?

दोस्तों, डॉक्टर जीन पियाजे एक स्विट्जरलैंड के रहने वाले निवासी थे। जीन पियाजे का जन्म 9 अगस्त 1896 को हुआ था और चिकित्सा क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंने बाल विकास पर कई कार्य ऐसे किए जो उनकी प्रसिद्धि के कारण बने। मनोविज्ञान के क्षेत्र में जीन पियाजे एक ही महानतम व्यक्तित्व थे और उन्होंने अपने पांडित्यपूर्ण अवधारणाओं से पूरी दुनिया को चौंका कर रख दिया।

जीन पियाजे ने अपने कार्यों के द्वारा समायोजन, आत्मसातकरण, अनुकूलन, वस्तुस्थायित्व, आत्म केंद्रीकरण, संरक्षण, परिकाल्पनिक निगमित सोच, बच्चों के सक्रिय तथा रचनात्मक विचारक होने की वर्तमान दृष्टि के सिद्धांत लिए जीन पियाजे उत्तरदाई है। अंत में 16 सितंबर 1980 को उनका देहांत हो गया था।

पियाजे थ्योरी क्या थी? | Piaget Theory in Hindi

पियाजे थ्योरी क्या थी? | Piaget Theory in Hindi

किसी भी बालक का संज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) किस प्रकार होता है, और उसके विकास के स्तर क्या-क्या हो सकते हैं, इसके बारे में जीन पियाजे ने अपना सिद्धांत दिया था।

जीन पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धांत का अर्थ बौद्धिक विकास का सिद्धांत था, जिसमें जीन पियाजे के अनुसार, किसी भी बालक में बौद्धिक विकास चरणबद्ध तरीके से होता है, और उसका सबसे पहला शिक्षण संस्था उसका परिवार होता है।

इसके पश्चात वह बालक समाज में आकर सामूहिक विचारों पर बल देता है और अपने संज्ञानात्मक विकास को अधिक मजबूत करता है। जीन पियाजे का मानना था कि जिस प्रकार बच्चों की उम्र बढ़ती है उनकी बुद्धि का विकास भी वैसे ही समय अनुरूप होता रहता है।

बच्चा सबसे पहले सरल चीजों को सीखना शुरू करता है, और बढ़ती उम्र के साथ साथ में है कठिन चीजों को सीखने पर जोर देता है। जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के तीन बड़े पहलू थे जिसे हम उनका बेसिक कॉन्सेप्ट कह सकते हैं, वह कुछ इस प्रकार है-

अनुकूलन, समायोजन और विकेंद्रीकरण:-

इसका अर्थ है कि शुरुआत में एक बालक वातावरण के अनुसार अपने आपको ढालना शुरू करता है, इसके पश्चात अपने पूर्व ज्ञान में नवीनतम योजना कारण परिवर्तन करके, वातावरण के साथ साथ तालमेल बिठाते हुए अपने आप में समायोजन को स्थापित करता है। किसी भी समस्या को अलग-अलग प्रकार से समझने की योग्यता उसे किसी भी समस्या को सुलझाने में मदद करती है।

अब कांसेप्ट के पश्चात हम आपको इसके स्टेज के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं:-

प्रथम स्टेज पर अनुकूलन, द्वितीय पर आत्मसात करण, तृतीय स्टेज पर साम्यधारण, चौथे स्टेज पर स्कीमा, पांचवी स्टेज पर संज्ञानात्मक संरचना, छठे स्टेज पर मानसिक प्रक्रिया, सातवें स्टेज पर विकेंद्रीकरण आता है।

अनुकूलन स्टेज में एक बच्चा अपने आप को किसी भी परिस्थिति में डालने की कोशिश करता है। आत्मसातकरण परिस्थिति में बच्चा अपने पूर्व ज्ञान को बदल कर नया ज्ञान दर्शन करने की क्षमता रखता है।  साम्यधारण अवस्था में बच्चा समायोजन को संतुलित करता है।

स्कीमा में बालक मुसीबत से निकलने के लिए प्लानिंग करना शुरू करता है। मानसिक सक्रिय में बालक खुद समस्या का समाधान करने के लिए चिंतन करता है, और विकेंद्रीकरण में व्यक्ति किसी भी मुश्किल से बाहर निकलने के लिए अलग-अलग तरीके ढूंढने की कोशिश करता है।

निष्कर्ष

आज के लेख में हमने जाना कि Piaget Theory in Hindi क्या थी। इसके अलावा हमने आपको Piaget Theory के बारे में लगभग सभी जानकारी देने का प्रयास किया है।

साथ ही हमने आप को यह भी बताया कि जीन पियाजे कौन थे और किस प्रकार उन्होंने मानव विकास के ऊपर अपने सिद्धांत को प्रतिपादित किया। हम आशा करते हैं कि आज का यह लेख आपके लिए काफी मददगार रहा होगा। यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

FAQ

पियाजे की कितनी अवस्थाएं हैं?

पियाजे के संज्ञानात्मक विकास को चार चरणों में बांटा गया है। इन्द्रिय-जनित अवस्था। पूर्व-संचालन राज्य। झूठी परिचालन स्थिति।

पियाजे के अनुसार शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

पियागेट के अनुसार, कक्षा में तैयार या तैयार ज्ञान की प्रस्तुति को कम महत्व दिया जाना चाहिए और बच्चों को पर्यावरण के साथ सहज बातचीत के माध्यम से खुद को खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

जीन पियाजे ने कौन कौन से सिद्धांत दिए हैं?

जीन पियाजे ने व्यापक रूप से संज्ञानात्मक विकास का अध्ययन किया। पियाजे के अनुसार बालक द्वारा अर्जित ज्ञान के भण्डार की प्रकृति विकास के प्रत्येक चरण में बदलती और परिष्कृत होती जाती है। पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धांत को विकासात्मक सिद्धांत भी कहा जाता है।

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