नमस्कार दोस्तों, पृथ्वीराज रासो ग्रंथ की की गणना इतिहास के सबसे प्रमुख ग्रंथों की सूची के अंतर्गत की जाती है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि दोस्तों क्या आप जानते हैं कि पृथ्वीराज रासो किस काल की रचना है, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि पृथ्वीराज रासो किस काल की रचना है, हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।
पृथ्वीराज रासो क्या है? (prithviraj raso kon tha)
दोस्तों पृथ्वीराज रासो चंदबरदाई के द्वारा लिखा गया एक प्रकार का ग्रंथ है, इस ग्रंथ के अंतर्गत पृथ्वीराज चौहान के जीवन तथा उनके जीवन के चरित्र के बारे में वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ को कोई 2500 प्रश्न के अंतर्गत लिखा गया है, जिसके अंतर्गत पृथ्वीराज चौहान से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी दी गई है, कि उनका जन्म किस तरह से हुआ था, उसके बाद किस तरह से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी, तथा किस तरह से उनकी जीवन की समाप्ति हुई थी, उसके जीवन के जन्म से लेकर उसके जीवन की मृत्यु तक की हर एक जानकारी इस ग्रंथ के अंतर्गत दी गई है।
पृथ्वीराज रासो के अंतर्गत कुल 69 सर्ग है, वहीं इसकी रचना 13 वी शताब्दी के अंतर्गत की गई थी।
पृथ्वीराज रासो किस काल की रचना है? (prithviraj raso kis kaal ki rachna)
दोस्तो अक्सर कई अलग-अलग कंपटीशन एग्जाम के अंतर्गत यह सवाल पूछा जाता है, कि पृथ्वीराज रासो किस काल की रचना है, और बहुत लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। यदि आपको भी इसके बारे में जानकारी नहीं है तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि “पृथ्वीराज रासो आदिकाल की रचना है।” आदि काल का समय 650 इस विषय लेकर 1350 ईसवी तक माना जाता है। पृथ्वीराज रासो ग्रंथ की गणना आदिकाल पर लिखे गए ग्रंथों के अंतर्गत सबसे ऊपर की जाती है, तथा इसकी रचना चंदबरदाई के द्वारा की गई थी।
पृथ्वीराज रासो में कौन-कौन से छंद है? (prithviraj raso mein kaun-kaun se chand hai?)
अगर दोस्तों चंदबरदाई के द्वारा लिखित पृथ्वीराज रासो ग्रंथ के छंदों की बात की जाए, तो इसमें अनेक शब्दों का उपयोग किया गया है। इसके मुख्य छंदों की बात की जाए तो उस सूची में कवित्त (छप्पय), दूहा(दोहा), तोमर, त्रोटक, गाहा और आर्या का नाम शामिल है।
पृथ्वीराज रासो कौन सा काव्य है? (prithviraj raso kaun sa kaavy hai?)
पृथ्वीराज रासो वीर रस का हिंदी का एक सर्वश्रेष्ठ काव्य है, पृथ्वीराज को हिंदी भाषा के अंतर्गत लिखा गया है यह एक प्रकार का महाकाव्य है, जो पृथ्वीराज के जीवन चित्रण का वर्णन करता है। इस पृथ्वीराज काव्य की रचना चंद्रवरदाई के द्वारा की गई थी।
चंद्रवरदाई कौन थे? (chandravardai kon tha?)
दोस्तों चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के काफी करीबी मित्र थे जो उनको काफी करीबी से जानते थे, इसके अलावा वह पृथ्वीराज चौहान के राज कवि भी थे। और इन्ही के द्वारा इस पृथ्वीराज रासो ग्रंथ की रचना की गई थी।
आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि पृथ्वीराज रासो किस काल की रचना है, हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत अलग-अलग पृथ्वीराज रासो ग्रंथ से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां भी शेयर की है। जैसे कि पृथ्वीराज रासो ग्रंथ क्या है, इसकी रचना किसके द्वारा की गई थी, तथा इसके अंतर्गत किसके बारे में क्या-क्या वर्णन किया गया है।
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
FAQ
क्या पृथ्वीराज रासो भक्ति काल का ग्रंथ है?
‘पृथ्वीराज रासो’ और ‘अल्हाखंड’ हिंदी साहित्य के प्रारंभिक काल के दो प्रसिद्ध महाकाव्य हैं। हम पृथ्वीराज रासो को साहित्यिक परंपरा का विकासशील महाकाव्य और आल्हाखंड को लोक-महाकाव्य कह सकते हैं। रासो का सबसे बड़ा संस्करण, जो नागरीप्रचारिणी सभा से प्रकाशित होता है, 69 गुना (कैंटोस) की एक विशाल पुस्तक है।
पृथ्वीराज रासो कौन सा काव्य है?
‘पृथ्वीराज रासो’ वीर रस की हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कविता है। पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा गया एक महाकाव्य है, जिसमें पृथ्वीराज चौहान के जीवन-चरित्र का वर्णन किया गया है। यह कवि चंदबरदाई की रचना है, जो पृथ्वीराज के अभिन्न मित्र और शाही कवि थे। इसमें दिल्लीेश्वर पृथ्वीराज के जीवन की घटनाओं का विशद वर्णन है।
पृथ्वीराज रासो का सबसे बड़ा समय कौन सा है?
इसका रचना काल 1343 ईस्वी माना जाता है।
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