नमस्कार दोस्तो, रामधारी सिंह दिनकर का नाम हिंदी के इतिहास के महान कवियों की सूची के अंतर्गत आता है, जब कभी भी हिंदी भाषा के कवियों की बात की जाती है तो उसके अंतर्गत रामधारी सिंह दिनकर का नाम जरूर लिया जाता है। दोस्तों क्या आपको रामधारी सिंह दिनकर के जीवन परिचय के बारे में जानकारी है, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
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रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय | Biography of Ramdhari Singh Dinkar
नाम | रामधारी सिंह दिनकर |
जन्म | सन् 1908 ईस्वी में। |
जन्म स्थान | बिहार राज्य के (सिमरिया) मुंगेर जिले में। |
शिक्षा | बैचलर ऑफ एजुकेशन। |
अवधि | आधुनिक काल |
पेशा | कवि, लेखक, निबंधकार, |
साहित्यिक आलोचक, | |
पत्रकार, व्यंग्यकार, | |
स्वतंत्रता सेनानी | |
और संसद सदस्य | |
मृत्यु | सन 1974 ईस्वी में। |
मृत्यु स्थान | बेगूसराय, बिहार, भारत |
भाषा | शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली। |
पिताजी का नाम | श्री रवि सिंह |
माता जी का नाम | श्रीमती मनरूप देवी |
भाषा एवं शैली | विवेचनात्मक, समीक्षात्मक एवं भावनात्मक |
साहित्य में स्थान | रामधारी सिंह दिनकर जी का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। |
शैली | विवेचनात्मक, समीक्षात्मक, भावात्मक |
दोस्तों रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर सन 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया नामक गांव के अंतर्गत हुआ था। रामधारी सिंह जी के पिता का नाम रवि सिंह था, जबकि उनकी माता जी का नाम मनरूप देवी था। इनके पिताजी एक किसान थे और जब रामधारी सिंह दिनकर 2 वर्ष के थे तब उनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी, उसके बाद इनका पालन-पोषण इनके भाई बहनों के द्वारा किया गया था, तथा इसके अलावा इनकी विधवा मां के द्वारा इनका पालन पोषण किया गया था।
रामधारी सिंह दिनकर का बचपन कई कष्टों से भरा हुआ था, बचपन में उनकी पिताजी की मृत्यु हो गई थी, तो उसके बाद उन्हें अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। दिनकर के द्वारा जहां पर अपना बचपन बिताया गया था वहां के चारों तरफ हरियाली थी, चारों तरफ आम के बाद थे और हरियाली फैली हुई थी, तो ऐसे में प्रकृति की सुंदरता पर रामधारी सिंह दिनकर का मन बस गया था, और यह उनके जीवन पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा था।
रामधारी सिंह दिनकर की शिक्षा | Education of Ramdhari Singh Dinkar
दोस्तों रामधारी सिंह दिनकर के द्वारा अपनी प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के द्वारा प्राप्त की गई थी, उसके बाद उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा मोकामा घाट हाई स्कूल से प्राप्त की थी। और जब रामधारी सिंह जी दिनकर अपने हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त कर रहे थे उसी दौरान उनका विवाह भी हो चुका था, तथा वह 1 पुत्र के पिता भी बन गए थे। इस समय रामधारी सिंह जी दिनकर को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था क्योंकि उनकी शादी का भी कम आयु में ही कर दी थी, तो ऐसे में उन्हें कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। रामधारी सिंह दिनकर के मुख्य विषय की सूची के अंतर्गत इतिहास, राजनीति और दर्शन का नाम आता है।
स्कूल करने के बाद उन्होंने अपनी कॉलेज के अंतर्गत हिंदी, संस्कृत, मैथिली, बंगाली, उर्दू और अंग्रेजी भाषा के साहित्य का अध्ययन किया था। कॉलेज करने के बाद इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स किया, जिसके बाद उनको एक स्कूल के अंतर्गत प्रधानाध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया था।
इसके बाद रामधारी सिंह दिनकर के द्वारा सन 1934 से लेकर सन 1947 के बीच बिहार सरकार के लिए सब रजिस्ट्रार तथा प्रचार विभाग के उप निदेशक के रूप में भी कार्य किया गया था। उसके बाद उन्होंने राजनीति में भी अपना कदम रखा था, तथा वह 3 बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे।
इन सभी के अलावा रामधारी सिंह दिनकर को अपने जीवन के अंतर्गत लिखने का काफी बड़ा शौक था, उन्होंने अपने जीवन के अंतर्गत सैकड़ों कविताएं लिखी है, जो जीवन के अलग-अलग विषयों के बारे में है।
रामधारी सिंह दिनकर का साहित्य में योगदान | Contribution of Ramdhari Singh Dinkar to Literature
जैसा कि दोस्तों आप सभी लोग जानते ही होंगे कि रामधारी सिंह जी दिनकर का नाम हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कवियों की सूची में काफी ऊपर लिया जाता है, उन्होंने विशेष रूप से राष्ट्रीय चेतना तथा जागृति उत्पन्न करने के लिए अनेक कविताएं लिखी है, जो हर एक हर एक व्यक्ति को अपने राष्ट्र के प्रति उत्तेजित कर देती है।
रामधारी सिंह दिनकर की प्रमुख कविताएं | Major Poems of Ramdhari Singh Dinkar
तो दोस्तों यह रामधारी सिंह दिनकर की कुछ प्रमुख कविताएं हैं, जो उनके द्वारा लिखी गई है :-
रामधारी सिंह दिनकर की कविता:-
- रेणुका (1935)
- हुंकार (1938)
- रसवन्ती (1939)
- द्वन्द्वगीत (1940)
- कुरुक्षेत्र (1946)
- धूपछाँह (1946)
- सामधेनी (1947)
- बापू (1947)
- इतिहास के आँसू (1951)
- धूप और धुआँ (1951)
- रश्मिरथी (1954)
- नीम के पत्ते (1954)
- दिल्ली (1954)
- नील कुसुम (1955)
- नये सुभाषित (1957)
- सीपी और शंख (1957)
- परशुराम की प्रतीक्षा (1963)
- हारे को हरि नाम (1970)
- प्रणभंग (1929)
- सूरज का ब्याह (1955)
- कविश्री (1957)
- कोयला और कवित्व (1964)
- मृत्तितिलक (1964)
अनुवाद
- आत्मा की आँखें / डी० एच० लारेंस (1964)
खण्डकाव्य
- उर्वशी (1961)
- चुनी हुई रचनाओं के संग्रह
- चक्रवाल (1956)
- सपनों का धुआँ
- रश्मिमाला
- भग्न वीणा
- समर निंद्य है
- समानांतर
- अमृत-मंथन
- लोकप्रिय दिनकर (1960)
- दिनकर की सूक्तियाँ (1964)
- दिनकर के गीत (1973)
- संचयिता (1973)
- रश्मिलोक (1974)
रामधारी सिंह दिनकर की बाल कविताएं | Children’s Poems of Ramdhari Singh Dinkar
- चांद का कुर्ता
- नमन करूँ मैं
- सूरज का ब्याह (कविता)
- चूहे की दिल्ली-यात्रा
- मिर्च का मज़ा
प्रतिनिधि रचनाएँ
- दूध-दूध!
- सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
- जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे
- परंपरा
- परिचय
- दिल्ली (कविता)
- झील
- वातायन
- समुद्र का पानी
- कृष्ण की चेतावनी
- ध्वज-वंदना
- आग की भीख
- बालिका से वधू
- जियो जियो अय हिन्दुस्तान
- कुंजी
- मनुष्य और सर्प / रश्मिरथी
- परदेशी
- एक पत्र
- एक विलुप्त कविता
- गाँधी
- आशा का दीपक
- कलम, आज उनकी जय बोल
- शक्ति और क्षमा
- हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों
- गीत-अगीत
- लेन-देन
- निराशावादी
- रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
- लोहे के मर्द
- विजयी के सदृश जियो रे
- समर शेष है
- पढ़क्कू की सूझ
- वीर
- मनुष्यता
- पर्वतारोही
- करघा
- चांद एक दिन
- भारत
- भगवान के डाकिए
- जनतन्त्र का जन्म
- शोक की संतान
- जब आग लगे…
- पक्षी और बादल
- राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी
- मेरे नगपति! मेरे विशाल!
- लोहे के पेड़ हरे होंगे
- सिपाही
- रोटी और स्वाधीनता
- अवकाश वाली सभ्यता
- व्याल-विजय
- माध्यम
- स्वर्ग
- कलम या कि तलवार
- हमारे कृषक
आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको हिंदी इतिहास के महान कवि रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय बताया है, हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कहां हुआ था, उनका जीवन कैसा रहा था तथा उन्होंने अपने जीवन में किन-किन कविताओं की रचना की थी।
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FAQ
रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध काव्य रचना का क्या नाम है?
वर्ष 1972 में उन्हें उनकी कविता रचना उर्वशी के लिए ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया था। 1952 में, वह राज्यसभा के लिए चुने गए और लगातार तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे।
दिनकर का मतलब क्या होता है?
आपको बता दें कि दिनकर नाम का अर्थ सूरज होता है।
दिनकर की सबसे महत्वपूर्ण गद्य रचना कौन सी है?
दिनकरजी की गद्य–रचनाओं में उनका विराट् ग्रन्थ ‘संस्कृति के चार अध्याय’ उल्लेखनीय है।
रामधारी सिंह दिनकर को हिंदी साहित्य में क्या कहा जाता है?
रामधारी सिंह दिनकर एक भारतीय हिंदी कवि, निबंधकार, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। रामधारी सिंह दिनकर जी को हिंदी के सबसे प्रमुख कवियों में से एक के रूप में याद किया जाता है। वे ‘वीर रास’ के महानतम हिन्दी कवि माने जाते हैं। आजादी से पहले लिखी गई उनकी राष्ट्रवादी कविताओं ने उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की पहचान दिलाई।
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