नमस्कार दोस्तो, आपने अक्सर अपने जीवन के अंतर्गत समाजशास्त्र के बारे में तो जरूर सुना होगा, या फिर कहीं ना कहीं तो इसके बारे में जरूर पढ़ा होगा। दोस्तों क्या आप जानते है, कि समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है। (samajshastra ka janak kaun hai), यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है,(samajshastra ke janak kaun hai), हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।
समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है? (samajshastra ke janak kaun hai)
अगर दोस्तों इस विषय के बारे में बात की जाए कि समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि समाजशास्त्र का जनक “ऑगस्त कोमत” को कहा जाता है। ऑगस्त कोमत का जन्म 19 जनवरी सन 1798 को हुआ था। यह फ्रांस के समाज सुधारक तथा एक विचारक थे, जिन्होंने समाजशास्त्र की नींव रखी थी क्योंकि इनका मानना था, कि मनुष्य जीवन के लिए समाज अत्यंत जरूरी होता है, और इसी के राह पर चलते हुए इनके द्वारा समाजशास्त्र के अनेक विषयों की रचना की गई थी, उन्होंने समाजशास्त्र के अनेक चीजों के बारे में बताया था।
ऑगस्त कोमत का पूरा नाम इंगीदोर मारी ऑगस्त कोमत था, इनको समाज शास्त्र का पिता भी कहा जाता है क्योंकि इनके द्वारा समाज से जुड़ी तथ्य वादी विचारधारा की रचना की गई थी।
समाजशास्त्र किसे कहते हैं? | Samajshastra ki paribhasha kya hai
दोस्तों समाजशास्त्र वह विषय होता है, जो एक समाज को एक साथ चल कर जीवन यापन करने का ज्ञान देता है। आपने अक्सर देखा होगा कि कोई भी मनुष्य पृथ्वी पर अकेला जीवन यापन नहीं करता है, वह अपने रिश्तेदारों, अपने समाज, अपने दोस्तों के बीच रहकर अपने जीवन का ज्ञापन करता है, इसी को समाजशास्त्र कहा जाता है।
भारतीय समाजशास्त्र के पिता कौन है?
“गोविंद सदाशिव घुर्ये” को भारतीय समाजशास्त्र का जनक माना जाता है। वह एक समाजशास्त्र के प्रोफेसर थे, जो बॉम्बे विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग का नेतृत्व करने वाले दूसरे व्यक्ति बने।
आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है,(samajshastra ka janak kise kaha jata hai), हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत समाजशास्त्र से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि समाजशास्त्र क्या होता है, समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है, जगह सबसे पहले इस दुनिया के अंतर्गत समाजशास्त्र के बारे में जानकारी किसके द्वारा दी गई थी।
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं
समाजशास्त्र का दूसरा पिता कौन है?
समाजशास्त्र के विज्ञान का आविष्कार कम से कम दो बार किया गया था, एक बार 19वीं शताब्दी के मध्य में ऑगस्टे कॉम्टे द्वारा, जिन्होंने ग्रीक लोगो के साथ लैटिन शब्द सोशियोटा को मिलाकर अपना नाम दिया, और एक बार, आधी सदी बाद, माइल दुर्खीम द्वारा। .
समाजशास्त्र की उत्पत्ति कैसे हुई?
मनुष्य सृष्टि के प्रारंभ से ही अपने सामाजिक जीवन के बारे में सोचता और सोचता रहा है। समूह गतिविधियों में भाग लेने के लिए आवश्यक है कि उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाए। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप समाजशास्त्र का जन्म हुआ है और इसका विकास निर्बाध गति से हो रहा है।
समाजशास्त्र का दूसरा नाम क्या है?
समाजशास्त्र विभिन्न विषयों के साथ अतिच्छादन करता है, जो समाज का अध्ययन करते हैं; “समाजशास्त्र” और “सामाजिक विज्ञान” अनौपचारिक रूप से पर्यायवाची हैं।
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