दोस्तों यदि आप हिंदी व्याकरण पढ़ रहे हैं तो आपको निश्चित रूप से यह सवाल पूछा जाएगा कि सर्वनाम क्या होता है? या सर्वनाम के कितने भेद हैं सर्वनाम के कितने भेद होते हैं उदाहरण सहित सर्वनाम का महत्व हिंदी भाषा में सर्वाधिक होता है। क्योंकि यह संज्ञा से भी अधिक काम में आता है।
लेकिन यदि आप नहीं जानते हैं कि सर्वनाम क्या है और आप जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताएंगे कि सर्वनाम क्या है, सर्वनाम कितने प्रकार के होते हैं, अर्थात सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? सर्वनाम का उदाहरण क्या है? इसी प्रकार सर्वनाम के बारे में हम आपको सारी जानकारी देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं-
सर्वनाम क्या होते हैं? | Sarvanam kya hota hai in hindi
वे शब्द या शब्दों का समूह जो संज्ञा के स्थान पर काम आते हैं, उन्हें सर्वनाम कहा जाता है। सर्वनाम आमतौर पर वहां इस्तेमाल होते हैं जहां पर बार-बार संज्ञा के इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात जहां पर संज्ञा की चर्चा एक बार हो चुकी होती है, या एक से अधिक बार हो चुकी होती है, वहां पर सर्वनाम का इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसा करने से वाक्य अटपटा नहीं लगता और शुद्ध वाक्य हमारे समक्ष उभरकर सामने आता है। इंग्लिश में सर्वनाम को प्रोनाउन (Pronoun) कहा जाता है।
सर्वनाम की परिभाषा: “संज्ञा के स्थान पर काम आने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।” सर्वनाम की यह सबसे शुद्ध परिभाषा है।
सर्वनाम के उदाहरण
सर्वनाम को कई भागों में समझा जा सकता है, जैसे
- कि उसकी अंगूठी काफी सुंदर है,
- उन्होंने मुझे पानी लाने को कहा।
- वह मूर्ख है।
इन तीनों वाक्यों में उसकी, मुझे, उन्होंने तथा वह सर्वनाम है। क्योंकि यह पर व्यक्ति के मुख्य नाम के स्थान पर सहायक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो संज्ञा के स्थान पर काम आ रहे हैं। यहां पर संज्ञा उन व्यक्तियों के नाम हो सकते हैं जिनके बारे में यह वाक्य कहा जा रहा है। इसको हम इस प्रकार भी समझ सकते हैं –
राम खाना खाता है – यह साधारण वाक्य है और राम यहां पर संज्ञा है।
वह खाना खाता है – यह भी एक साधारण वाक्य है और यहां पर वह एक सर्वनाम है।
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? | Sarvanam ke kitne bhed hote hain hindi mein
सर्वनाम के मुख्य रूप से 6 भेद होते हैं, और यह 6 भेद कुछ इस प्रकार से हैं-
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
इन सभी सर्वनाम के भेद को हमने नीचे विस्तार से परिभाषित किया है-
1. पुरुषवाचक सर्वनाम
पुरुषवाचक सर्वनाम को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति या कोई कर्ता अपनी ही किसी बात को कहने के लिए या अपने ही बारे में किसी बात को कहने के लिए संज्ञा के स्थान पर जिन शब्दों का उपयोग करता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहा जाता है।
जैसे कि मैंने खाना खा लिया है, मैं कल स्कूल जाऊंगा, मुझे यह ठीक नहीं लगा, मुझे वह लड़की पसंद है, मैं तुमसे प्यार करता हूं, यहां पर मैं मुझे और मैंने तुमसे चारों ही पुरुषवाचक सर्वनाम के उदाहरण है। पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते हैं-
- उत्तम पुरुष
- मध्यम पुरुष
- और अन्य पुरुष
2. निश्चयवाचक सर्वनाम
संज्ञा के स्थान पर काम आने वाले वह शब्द जो किसी वस्तु या व्यक्ति की स्थिति को दर्शाते हैं, निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। उदाहरण के लिए यह बस खराब है वहां नहीं जाएगी। वह अभी तो घर था, यह एक कुत्ता है, यहां पर यह, वहां, वह यह सभी निश्चयवाचक सर्वनाम है। निश्चयवाचक सर्वनाम का उपयोग करने का उद्देश्य किसी निकटवर्ती निश्चित वस्तु का बोध कराना होता है।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
अनिश्चयवाचक सर्वनाम का उपयोग वहां होता है जहां कोई व्यक्ति किसी अनिश्चित वस्तु की जानकारी देता है। उदाहरण के लिए तुम्हारा दरवाजा कई दिनों से खराब है। खाने में कुछ कमी तो नहीं, तुम्हारी सुंदरता में कुछ कमी है, आज कई दिनों पश्चात मैंने इतना अच्छा खाना खाया। यहाँ तुम्हारा, कई, कुछ, इतना, यह सभी अनिश्चयवाचक सर्वनाम है, जिनसे वाक्य का तो पता चलता है लेकिन एक निश्चय बोध नहीं होता।
4. संबंधवाचक सर्वनाम
ऐसे वाक्य जिनका मुख्य उद्देश्य किसी संबंध को दर्शाना होता है, उन वाक्यों में संज्ञा के स्थान पर काम आने वाले शब्दों को संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे कि, जिसका, जो, जितना, उतना इत्यादि।
उदाहरण के तौर पर –
जो रेस जीतेगा उसे इनाम मिलेगा।
यहां पर जो और उसे संबंधवाचक सर्वनाम है। इसके अलावा राकेश ने मेरा फोन उठाया है जो मुझे पिताजी ने दिया था। जितनी अधिक मेहनत करेंगे उतनी जल्दी सफलता पाएंगे।
5. प्रश्नवाचक सर्वनाम
ऐसे वाक्य जीत के सृजन का उद्देश्य किसी प्रश्न का बोध करवाना होता है, उन वाक्यों के अंतर्गत इस्तेमाल किए जाने वाले सर्वनाम को प्रश्नवाचक सर्वनाम कहा जाता है। जैसे कि – क्या, कौन, किसे, किस से, किसको, कहां, कैसे, कब इत्यादि।
6. निजवाचक सर्वनाम
ऐसे वाक्य जिनके सृजन का उद्देश्य किसी वस्तु से खुद का संबंध स्थापित करना होता है। ऐसे वाक्यों में संज्ञा के स्थान पर काम आने वाले शब्दों को निजवाचक सर्वनाम कहा जाता है। जैसे कि मेरी, तुम्हारी, हमारी इत्यादि।
मूल सर्वनाम कितने होते हैं?
हिंदी के मूल सर्वनाम 11 होते हैं, जैसे:-
मैं | वह | क्या |
तू | जो | कोई |
आप | सो | कुछ |
यह | कौन | – |
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको बताया कि सर्वनाम क्या होता है, और सर्वनाम के कितने भेद होते हैं (sarvnam ke kitne bhed hote hain unke naam)। इसी के साथ हमने आपको उन सभी सर्वनाम के उदाहरण उनके नाम सहित बताएं है।
हम आशा करते हैं कि आज का यह लेख आपके लिए काफी मददगार रहा होगा। जानकारी पसंद आई हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। इस लेख के माध्यम से आप यह जान पाए होंगे कि सर्वनाम के कितने भेद होते हैं। यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
सर्वनाम कैसे पहचाने?
जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उसे सर्वनाम कहते हैं। उदाहरण के लिए: आप, हम, आप, उसका, आदि मैं सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर आता है। सर्वनाम 2 शब्दों के मेल से बनता है: सर्वनाम + नाम, अर्थात जो नाम शब्द के स्थान पर उपयुक्त हो वह सर्वनाम कहलाता है।
सर्वनाम निर्धारक है?
सर्वनाम ऐसे शब्द हैं जैसे वह, वह, तुम, मेरा, कौन, यह और कोई। सर्वनाम आमतौर पर संज्ञा या संज्ञा वाक्यांश की स्थिति को संदर्भित करते हैं या भरते हैं। एक निर्धारक संज्ञा के संदर्भ के प्रकार को निर्दिष्ट करता है। सामान्य निर्धारक हैं: द, वो, माय, वो, दोनों, सभी, कई और नहीं।
शिक्षक का सर्वनाम क्या है?
लेकिन वास्तविक उपयोग धिक्कार है, शिक्षक सिर्फ विलक्षणता के लिए तैयार नहीं थे। वह 1974 शैली मैनुअल एनईए द्वारा निर्मित अंतिम हो सकता है, लेकिन पाठ्यपुस्तकों को लिखना इसके तीन-चरणीय सर्वनाम सलाह को दोहराता है-बहुवचन में पुनर्लेखन; सभी सर्वनामों से बचें; यदि आपको सर्वनाम का उपयोग करना है, तो वह (या वह / वह) का प्रयोग करें।
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