दोस्तों, हमारा ब्रह्मांड कई रहस्यों से घिरा हुआ है, और इस ब्रह्मांड में हमारा सौरमंडल मिट्टी के ढेर में मिट्टी के कण जैसा है। लेकिन इस सौरमंडल के बारे में भी पता लगाने का काम कुछ समय पहले ही हुआ है।
जी हां! आधुनिक युग में मात्र 500 वर्ष पूर्व हमारे सौरमंडल का पता लगाया गया था। हालांकि इससे पहले हिंदू धर्म शास्त्र में और अन्य कई धार्मिक और सांस्कृतिक शास्त्रों में ब्रह्मांड के कई रहस्य उजागर किए गए थे, जिनका आज भी इस आधुनिक युग में बड़ा महत्व है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आधुनिक युग में Saurmandal ki khoj kisne kiya tha यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं, क्योंकि आज हम आपको बताएंगे और विस्तार से जानकारी देंगे कि सौर मंडल क्या है, Saurmandal ki khoj kisne ki? सौरमंडल की खोज कैसे हुई? हमारे सौरमंडल का इतिहास क्या है? तो चलिए शुरू करते हैं
सौर मंडल क्या है? | Solar System kya hai?
मित्रों, सौरमंडल एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें पृथ्वी समेत बाकी 9 ग्रह (अब आठ ग्रह) सूर्य के चक्कर लगाते हैं। सभी ग्रहों के चंद्रमा को ग्रहों के चक्कर लगाते हैं, और यह पूरा एक सिस्टम है जो अनावृत समय तक चलता रहता है। सौरमंडल में सभी ग्रह सूर्य के चक्कर लगाते हैं। हालांकि चक्कर लगाने का समय और समय सीमा अलग अलग हो सकती है।
हमारे सौरमंडल में सूर्य, बुध ग्रह, शुक्र ग्रह, पृथ्वी, मंगल ग्रह, बृहस्पति ग्रह, शनि ग्रह, अरुण ग्रह, और वरुण ग्रह शामिल है। इससे पहले नौवा ग्रह जो यम ग्रह के नाम से जाना जाता था, यह सभी हमारे सौरमंडल का हिस्सा है। सूर्य पूर्ण रूप से स्थिर है यह किसी के चक्कर नहीं लगाता, और बाकी सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
सौरमंडल की खोज किसने की थी? | Saurmandal ki khoj kisne ki?
मित्रों, सौरमंडल की खोज “निकोलस कॉपरनिकस” ने सन 1543 में की थी। कॉपरनिकस ने हेलिओसेंट्रिक सिद्धांत दिया था, और इस सिद्धांत के अनुसार सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, और सूर्य सौरमंडल(ब्रह्माण्ड) के केंद्र में है, और बाकी के सभी ग्रह है जिसमें पृथ्वी भी शामिल है सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
निकोलस कॉपरनिकस के पश्चात गैलीलियो ने और योहानेस केप्लर ने यह सिद्धांत दिया, कि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी घूमती है। और इस बात का पता लगाने के लिए कई प्रकार के एक्सपेरिमेंट किए गए थे, और निश्चित समय सीमा के पश्चात दूरबीन का आविष्कार भी हो गया, जिसके पश्चात अन्य ग्रहों तथा उनके चंद्रमा की खोज हुई।
निकोलस कॉपरनिकस कौन थे? | Nicolaus Copernicus biography in hindi
निकोलस कोपरनिकस पोलैंड के रहने वाले पॉलिसी खगोलशास्त्री थे, उन्होंने सूर्य केंद्रित प्रणाली का सिद्धांत दिया था। इस सिद्धांत के अनुसार निकोलस कॉपरनिकस ने बताया कि हमारा सौरमंडल यानी कि हमारा ब्रह्मांड सूर्य को अपने केंद्र में रखता है।
अर्थात सूर्य हमारे ब्रह्मांड के केंद्र में हैं और सभी सौरमंडल के ग्रह के चक्कर लगाते हैं। निकोलस कॉपरनिकस का जन्म 19 फरवरी सन 1473 को हुआ था और उनकी मृत्यु 24 मई 1543 को हुई थी।
निकोलस कॉपरनिकस पोलैंड के रहने वाले थे उन्होंने क्राको विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी, तथा खगोल शास्त्र, अर्थशास्त्र, गणितज्ञ, मेडिसिन, और राजनीति विज्ञान में उन्हें दिलचस्पी थी। उन्हें प्रभावित करने वाले एकमात्र व्यक्ति का नाम जोहान्स कैपलर था।
उन्हें अपने हेलिओसेंट्रीज्म के सिद्धांत से प्रसिद्धि मिली इसके अलावा क्वांटिटी थ्योरी ऑफ मनी तथा ग्रेशम कोपरनिकस नियम के माध्यम से उन्हें अधिक प्रसिद्ध मिली। सन 1543 में सौरमंडल की खोज हुई थी और यह खोज निकोलस कोपरनिकस ने की थी।
सौरमंडल की खोज कैसे हुई? | saurmandal ki khoj kise hui thi
दोस्तों इंसान को सौरमंडल की खोज करने में काफी समय लग गया। हालांकि हमारे पुराणों में और अन्य धर्म शास्त्रों में सौरमंडल के बारे में कई बातें लिखी गई है, और ग्रहों के बारे में ग्रहों की चाल के बारे में कई वैज्ञानिक तथ्य दिए गए हैं। लेकिन आधुनिक युग में हमें सौरमंडल की खोज करने में कई हजार साल लग चुके हैं।
पहले तक लोगों का यह मानना था कि पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड के केंद्र में है, उससे पहले यह माना जाता था कि पूरा ब्रह्मांड ही पृथ्वी के केंद्र में है, और इसके पश्चात कॉपरनिकस ने यह बताया कि सूर्य ब्रह्मांड के केंद्र में है। पृथ्वी समेत बाकी है इस के चक्कर लगाते हैं।
जैसे जैसे विज्ञान की तरक्की की हमें पता चला कि सौरमंडल हमारे ब्रह्मांड का नगण्य भाग है, और सभी ग्रह है जो सौरमंडल में स्थित है, वह सभी सूर्य के चक्कर लगाते हैं। यह कहना भी तथ्यात्मक रूप से सही नहीं होगा कि सौरमंडल भी स्थिर है, सौर मंडल नौ ग्रह तथा एक सूर्य से मिलकर बना है। इन्हीं ग्रहों के चंद्रमा उनके उपग्रह और अन्य छोटे छोटे ग्रह भी इस सौर मंडल में शामिल है।
धर्म शास्त्रों में सौर मंडल
हिंदू धर्म शास्त्रों में वैदिक काल से सौर मंडल की चर्चा तथा इससे संबंधित वैज्ञानिक खोज की जा रही है। आज के समय हम जिस तथ्य को जानने की कोशिश करते हैं। हिंदू धर्म शास्त्र ने वह तथ्य सबसे पहले लिखे जा चुके हैं, जिसमें चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण भी शामिल किया जा सकता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में नवग्रह तथा वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई ऐसे तथ्य दिए गए हैं जो हिंदू धर्म ग्रंथों को सौर मंडल के लिए समर्पित बताता है।
ज्योतिष विज्ञान में न केवल सौरमंडल, बल्कि ब्रह्मांड के भी कई तथ्य हिंदू धर्म ग्रंथों का सार सम्मिलित हैं। हिंदू धर्म शास्त्र में ग्रहों को मनुष्य के जीवन से भी जोड़ा गया है, और कौन सा ग्रह मनुष्य के जीवन पर किस प्रकार का असर डालता है, किस समय कौन सा ग्रह कैसे चल चलता है, इसके बारे में भी हमारी ज्योतिष शास्त्रों को पहले से पता होता है।
यह ज्योतिष शास्त्र तथा वैदिक शास्त्र सौरमंडल की विज्ञान को पहले से भांप चुका है। सन 1930 में जो ग्रह 58 ग्रह को खोजा गया था, लेकिन हजारों वर्षों से हिंदू धर्म शास्त्रों मेंनवग्रह का ध्यान दिया जा रहा है, जिसने सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु, अरुण, वरुण, तथापृथ्वी शामिल है।
इसलिए यह कहा जा सकता है कि जिन तथ्यों को मॉडर्न साइंस आज के समय ढूंढ रही है, उन तथ्यों के बारे में हिंदू धर्म शास्त्र में हजारों वर्ष पूर्वविस्तार से बातें लिखी जा चुकी है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि सौर मंडल क्या है, Saurmandal ki khoj kisne ki? सौरमंडल की खोज कब हुई इत्यादि। इसके अलावा सौरमंडल के बारे में हमने आपको लगभग सभी संबंधित जानकारी प्रदान करने की कोशिश की है।
हम आशा करते हैं कि आज का लेख Saurmandal ki khoj kisne ki पढ़ने के पश्चात आपको सौर मंडल के बारे में पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यदि आपको ये लेख पसंद आया हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। यदि आपके मन मे इस लेख से संबंधित कोई सवाल है तो आप हमे कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट कर के पूछ सकते हैं।
सौर मंडल का जन्मदाता कौन है?
गैलीलियो गैलीली ने 1610 में एक दूरबीन की मदद से इस ग्रह की खोज की थी।
ग्रहों की खोज किसने की?
भले ही इसे प्रागैतिहासिक काल से आकाश में देखा गया हो, लेकिन गैलीलियो के अपने भरोसेमंद दूरबीन के साथ आने तक इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। वास्तव में, उन्होंने ग्रह के चारों ओर जो देखा वह उनकी सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक था।
ब्रह्मांड में कितने सूर्य हैं?
हमारी मिल्की वे आकाशगंगा में अनुमानित रूप से 100 अरब तारे हैं जो लगभग 100 अरब सूर्य बनाते हैं।
अंतरिक्ष की खोज कब हुई थी?
नतीजतन, उनकी खगोलीय सफलता की पहली सार्वजनिक घोषणा एक छोटी कहानी थी जो 23 नवंबर, 1924 को द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित हुई थी।
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