श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे क्या है?

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे क्या है?

दोस्तों, भारतीय संस्कृति में पुराणों, वेदों और महा पुराणों, का सर्वाधिक महत्व रहा है। इसी के साथ महाकाव्य और ऐसे ही विशेष रचनाओं की मदद से लोग आज भी अज्ञान रूपी अंधेरे में ज्ञान रूपी प्रकाश से अपना मार्ग खोजने की कोशिश करते हैं। ऐसे ही एक पुराण का नाम शिव महापुराण है, जिसके एक मंत्र श्री शिवाय नमस्तुभ्यं को महामृत्युंजय मंत्र से भी उंचा माना जाता है।

यदि आप नही जानते है कि यह मंत्र क्या है और इसके जाप करने से क्या फायदे होते हैं तो आप चिंता मत करिए, क्योंकि आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र कहां से लिया गया है, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे क्या है, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप कैसे किया जाता है, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का अर्थ क्या है। आज से लेख को पढने के पश्चात आप यह समझ पाएंगे कि श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र इतना महत्वपूर्ण क्यों है। तो चलिए जानते हैं

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र कहां से लिया गया है?

दोस्तों, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र शिव महापुराण से लिया गया है। इसे शिवपुराण के नाम से भी जाना जाता है। शिव पुराण मूल रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इसमें भगवान शिव की महिमा का विस्तार से गुणगान किया गया है। जो भी व्यक्ति शैव संप्रदाय से संबंध रखता है उसके लिए शिवपुराण सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है।

शिव पुराण में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सभी पूजन विधियों का ज्ञान दिया गया है, और भगवान शिव जो कि त्रिदेवों में से एक है तथा जिन्हें संहार का देवता कहा जाता है, उन महाशिव को किस प्रकार प्रसन्न किया जाना है।

इसके बारे में सारी क्रियाविधि शिव पुराण में लिखी गई है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक महामंत्र या बीज मंत्र भी दिया गया है जिसे श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं, और लोगों की इच्छाएं पूर्ण करते हैं। भारतीय संस्कृति तथा पुराणों में यह वर्णित किया गया है कि भगवान शिव अत्यंत ही दयालु और भोले स्वभाव के महादेव है। जो अपने भक्तों की एक सच्ची पुकार पर प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन जब भगवान शिव को क्रोध आता है तबउनके क्रोध से किसी का भी बच पाना संभव होता है।

भगवान शिव के प्रिय मंत्र जिसे श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के नाम से जाना जाता है वह शिव महापुराण से लिया गया है। शिव पुराण में भगवान शिव के बारे में गहरी बातें बताई गई है, जैसे कि उनका जीवन, उनका रहन-सहन, उनका विवाह व उनकी संतान और उनके बारे में सारी जानकारी दी गई है।

शिवपुराण को छह खंडों में तथा 24000 श्लोकों में विभक्त किया गया है। शिवपुराण को निम्नलिखित छह खंडों में विभक्त किया गया है:-

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रूद्र संहिता
  3. कोटी रूद्र संहिता
  4. उमा संहिता
  5. कैलास संहिता
  6. वायु संहिता

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का अर्थ क्या है?

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श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का अर्थ यह होता है कि “हे शिव आपको मैं नमस्कार करता हूं, या श्री शिव को मेरा नमस्कार है।” भगवान शिव को नमन करने के संदर्भ में इस बीज मंत्र का अर्थ समर्पित है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे क्या है?

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के कई फायदे शिवपुराण में उल्लेखित हैं, जो कि कुछ इस प्रकार हैं-

  1. शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव का यह मंत्र अत्यंत ही प्रभावशाली है और महामृत्युंजय मंत्र के बराबर है।
  2. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप करने से आपको 1000 महामृत्युंजय मंत्र जाप करने का लाभ मिलता है।
  3. इस मंत्र के उच्चारण से किसी भी व्यक्ति को सुख शांति धन समृद्धि इन सब का लाभ होता है।
  4. यह मंत्र के जाप करने से मन प्रफुल्लित हो जाता है।
  5. व्यक्ति के बिगड़े काम बनने लगते हैं।
  6. यदि आप कोई शुभ कार्य करने जा रहे हैं तो आपको निश्चित रूप से ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके पश्चात कहा जाता है कि आपको हर शुभ कार्य में सफलता मिलती है।
  7. यदि आपको कोई पुराना रोग है और आप किसी बीमारी से त्रस्त हैं तो श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के जाप से आप तो पुराने रोग से छुटकारा मिलता है।
  8. किसी भी व्यक्ति का दिमाग किस मंत्र के जाप करने से शांति और सकता है।
  9. मानसिक विकारों से मुक्ति मिल जाती है।
  10. यदि आप आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं तो आपको उससे छुटकारा मिलता है।
  11. आपको पैसे का धन का समृद्धि का लाभ होता है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप कैसे किया जाता है?

मित्रों, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र अत्यंत ही गुणकारी है। लेकिन यदि इस मंत्र का जाप सही ढंग से ना किया जाए तो उसका फल नहीं मिलता है, इस मंत्र का जाप कैसे किया जाना चाहिए हमने आपको नीचे विस्तार से बताया है-

  • सबसे पहले आपको स्नान करना है।
  • स्नान करने के पश्चात इस मंत्र का जाप करने के लिए जिस आसन पर आप बैठे हैं, वह आसन साफ सुथरा होना चाहिए।
  • आपको वह आसन इस्तेमाल करना है जो मूल रूप से जमीन से जुड़ा हो, जैसे की चटाई या कोई कपड़ा।
  • इसके पश्चात आपको इस मंत्र का उच्चारण या जाप मूल रूप से प्रातः काल में करना चाहिए।
  • वैसे तो इस मंत्र का उच्चारण आप कभी भी कर सकते हैं।
  • जहां तक हो सके आपको शिव की प्रतिमा अपने समक्ष रखनी चाहिए और उसके बाद मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • आपको यह बातें विशेष ध्यान में रखनी है कि आपके मंत्रों का उच्चारण बिल्कुल सही होना चाहिए।
  • साथ ही साथ मंत्र का उच्चारण करते समय आपको विशेष रूप से अपने मन में किसी के लिए द्वेष या क्रोध नहीं रखना है।
  • एक बार में आपको 108 बार इस मंत्र का जाप करना है।
  • केवल 108 बार इसका जाप करने से आपको 108000 बार मृत्युंजय मंत्र का जाप करने का फल मिलता है।

निष्कर्ष

आज के लेख में हमने जाना कि श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे क्या है, श्री शिवाय नमस्तुभयम मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए। साथ ही हमने आपको यह भी बताया कि इस मंत्र का अर्थ क्या है। इसके अलावा हमने आपको श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के मंत्र के बारे में लगभग सारी जानकारी प्रदान की है।

हम आशा करते हैं कि आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आप कोई सवाल पूछना चाहता है तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

FAQ

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप कब करना चाहिए?

यदि शिव की पूजा के दौरान किसी भी समय हम दिल से चाहते हैं कि वह शिव को स्वीकार करें, तो उस समय हमें श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप करते रहना चाहिए।

श्री शिवाय नमस्तुभयम का अर्थ क्या है?

उन्होंने कहा कि भगवान शिव को आडंबर नहीं है, वह मृतकों की राख पहनते हैं क्योंकि एक व्यक्ति मृत्यु के बाद, जलने से पहले, उपस्थित लोगों को राम का नाम देता है। जिसके कारण भगवान राम का नाम लिया जाता है, वह शरीर राम माया हो जाता है।

शिव पुराण का मूल मंत्र क्या है?

शिवजी की आराधना का मूल मंत्र तो ऊं नम: शिवाय ही है लेकिन इस मंत्र के अतिरिक्त भी कुछ मंत्र हैं जो महादेव को प्रिय हैं. नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय| नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥