साइमन आयोग कया है इसके बारे मै हम विस्तृत रूप से आपको पूरी जानकारी देंगे साइमन आयोग सर जॉन साइमन की अध्यक्षता मै रखा गया था जिसमे संसद के सात सदस्यों का एक समूह बनाया गया था। 1919 में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों की शुरुआत करने के लिए एक आयोग बनाने का निर्णय लिया गया था जो की 10 साल बाद भारत भेजा जायेगा।
अँगरेज़ सरकार का कहना था की वे भारत के शाशन मैं सुधर लाना चाहते है लेकिन इसमें सिर्फ अँगरेज़ सदस्यों का समूह को शामिल किया गया था। इसमें एक भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था। भारत सरकार द्वारा इसका कड़ा विरोध किया गया था इस विरोध मै नेहरू, गाँधी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भी लोगो ने मिलकर इसका बहुत कड़ा विरोध किया था लाला लाजपत राय ने भी इसका जमकर विरोध किया था लेकिन उन्हें लाहौर मै पुलिस के द्वारा उनकी जमकर पिटाई की गयी थी।
साइमन कमीशन भारत कब आया? | saiman kamisan bharat kab aaya
साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को भारत आया। जो की इसकी अध्यक्षता सर जॉन साइमन कर रहे थे उन्ही के नाम पर साइमन कमीशन रखा गया था। अँगरेज़ सरकार के सदस्यों का भारत आने के बाद भारतीय लोगो ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और आंदोलनकरियों ने साइमन गो बैक के नारे लगाए गए। उन्हें यहाँ से जाने के लिए कहा गया उस वक़्त नेहरू, गाँधी, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ने भी इसका जमकर विरोध किया इस विरोध मै मुस्लिम लीग भी शामिल था क्योंकि इस सदस्य मै एक भी भारतीय व्यक्ति को नहीं लिया गया था।
साइमन आयोग से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु:-
नाम | साइमन कमीशन / साइमन आयोग |
अन्य नाम | भारतीय सांविधिक आयोग |
गठन वर्ष | 1927 |
अध्यक्ष | सर जॉन साइमन |
कुल सदस्य | सात |
भारत कब आया | फरवरी 3, 1928 |
प्रतिवेदन कब प्रस्तुत किया | 1930 में |
साइमन कमीशन का गठन कब हुआ था?
30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन का गठन हुआ था। संवैधानिक सुधारों की समीक्षा को पूरा करने के लिए अंग्रेज़ सरकार की सात सदस्यों की टीम लाहौर पहुंची। पूरे भारत में “साइमन गो बैक” के नारे लगे जा रहे थे जमकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। इस कमीशन के सारे ही सदस्य विदेशी थे, इसमें से एक भी सदस्य भारतीय व्यक्ति मै से नहीं था। ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत शासन अधिनियम, 1919 में पुन: सुधारों के लिये एक विधिक आयोग का गठन किया गया जिसके प्रमुख अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे। जिसके कारण इसे ‘साइमन कमीशन’ के नाम से भी जाना जाने लगा।
भारत में साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया गया?
भारत मै साइमन कमीशन का विरोध इसलिए करना पड़ा क्योकि इसमें भारत के एक भी व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया गया था इसमें पुरे ब्रिटिश सदस्य थे। भारत मै स्वशाशन का अधिकार ब्रिटिश सरकार के सदस्यों द्वारा लिया जाना था इसलिए लोगो का आक्रोश बहुत था। भारतीय लोग लगातार साइमन गो बैक के नारे लगा रहे थे आंदोलन लगातर बढ़ता ही चला जा रहा था पुलिस के द्वारा लोगो पर लाठियां बरसाई गयी लाहौर मै लाला लाजपत राय के देखरेख पर विरोध प्रदर्शन हुए लाहौर मई पुलिस द्वारा लाला लाजपत राय को बहुत बुरी तरह पीटा गया उन्हें बहुत जगह चोट लगी और अंत मै 17 नवंबर 1928 को इनकी मृत्यु हो गई। भारत मै लखनऊ मै भी विरोध प्रदर्शन चल रहा था उसमे जवाहर लाल नेहरू और गोविन्द वल्लभ पंत को भी पुलिस द्वारा बहुत पीटा गया।
साइमन कमीशन (आयोग) के सदस्यों के नाम
साइमन कमीशन सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्यों का एक समूह था। उन सभी सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं-
- सर जॉन साइमन (Sir John Simon)
- क्लेमेंट आटली (Clement Attlee)
- हेरी लेवी-लाँशन (Harry Levy-Lawson)
- एडवर्ड कडोगन (Edward Cadogan)
- वेर्नन हर्टशन (Vernon Hartshorn)
- जार्ज लाने-फॉक्स (George Lane-Fox)
- डोनाल्ड हॉवर्ड (Donald Howard)
साइमन कमीशन क्यों लाया गया?
साइमन कमीशन क्यों लाया गया इसके महत्वपूर्ण बिंदु नीचे दिए गए हैं:-
1. ब्रिटेन की उदार सरकार उस समय भारत में एक आयोग भेजना चाहती थी जब देश में सांप्रदायिक दंगे जोरों पर थे और भारत की एकता नष्ट हो गई थी। सरकार चाहती थी कि आयोग भारतीयों के सामाजिक और राजनीतिक जीवन के बारे में एक बुरे विचार के साथ वापस आए।
2. 1929 में इंग्लैंड में आम चुनाव होने थे। लिबरल पार्टी हारने से डरती थी, वे नहीं चाहते थे कि लेबर पार्टी को भारतीय समस्या को हल करने का अवसर दिया जाए क्योंकि वे साम्राज्य के हितों को अपने में सुरक्षित नहीं मानते थे। हाथ।
3. स्वराज पार्टी ने सुधार की जोरदार मांग की, ब्रिटिश सरकार ने इस सौदे को बहुत सस्ता माना क्योंकि यह संभावना थी कि यह पार्टी अनाकर्षक हो जाएगी और धीरे-धीरे अस्तित्व समाप्त हो जाएगी।
4. कीथ के अनुसार, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में भारत में युवा आंदोलन के उदय के कारण, ब्रिटिश सरकार ने जल्द से जल्द एक राज्य आयोग नियुक्त करना उचित समझा।
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साइमन कमीशन का परिणाम
- कई सिफारिशों के अलावा, उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि भारत का शिक्षित क्षेत्र परिवर्तनों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर रहा था, इसलिए उन्होंने भारतीयों की बेहतरी के लिए कुछ बदलावों का सुझाव दिया।
- आयोग के परिणामस्वरूप भारत सरकार अधिनियम 1935, जिसे भारत में प्रांतीय स्तर पर “जिम्मेदार” सरकार कहा जाता है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नहीं – यह लंदन के बजाय भारतीय समुदाय के लिए जिम्मेदार सरकार है। 1937 में, पहले प्रांतीय चुनाव हुए, उन्होंने कई प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनाई।
निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (साइमन कमीशन भारत कब आया? | Simon Commission Bharat Kab Aaya Tha?) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
FAQ
साइमन कमीशन का गठन कब हुआ था?
November 1927
साइमन कमीशन में भारतीय सदस्य कौन थे?
साइमन कमीशन के सभी सदस्य अंग्रेज थे और कोई भी भारतीय इस आयोग का सदस्य नहीं था। इसलिए भारतीयों ने इसे ‘श्वेत आयोग’ कहकर इसका विरोध और बहिष्कार किया। इस आयोग के सभी सदस्यों को अंग्रेजों द्वारा रखा गया था क्योंकि उस समय ब्रिटेन में वायसराय इरविन (1927 में ब्रिटेन में शासन किया गया था)।
साइमन कमीशन का अर्थ क्या है?
साइमन कमीशन सात ब्रिटिश सांसदों का एक समूह था, जिसका गठन 1927 में भारत में संवैधानिक सुधारों का अध्ययन करने के लिए किया गया था। इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के नाम पर इसे साइमन कमीशन कहा जाता है।
साइमन कमीशन का क्या उद्देश्य था?
भारत में ब्रिटिश भारतीय प्रांतों और रियासतों से मिलकर एक संघ की स्थापना। 2. केंद्र में जिम्मेदार शासन की व्यवस्था होनी चाहिए।
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