तिर्यक रेखा किसे कहते हैं और उपयोग कहां किया जाता है?

यदि आपने रेखा गणित को ध्यान से पढ़ा होगा तो रेखा गणित में आपने एक सवाल जरूर ध्यान में रखा होगा की तिर्यक रेखा किसे कहते हैं। तिर्यक रेखा रेखा गणित का एक महत्वपूर्ण बिंदु है जिस को केंद्र में रखते हुए कई प्रकार के महत्वपूर्ण सवाल पूछे जाते हैं। तिर्यक रेखा से संबंधित व्यवहारिक प्रश्न भी पूछे जाते हैं।

इसके अलावा यदि आप इंजीनियरिंग फील्ड में अपना करियर बनाने के हेतु आगे बढ़ते हैं तो वास्तविक जीवन में भी तिर्यक रेखा कई बार हमें नजर आती रहती है। अब आप सोच रहे होंगे कि तिर्यक रेखा किसे कहते हैं, यदि आप यह नहीं जानते हैं।

तो कोई बात नहीं क्योंकि आज के लेख में हम आपको तिर्यक रेखा के बारे में सारी जानकारी प्रदान करने वाले हैं; और आज का लेख पढ़ने के पश्चात तिर्यक रेखा के बारे में जानने के लिए आपको अन्य किसी लेख को पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी।

तिर्यक रेखा क्या होती है?

दो या दो से अधिक रेखाओं को अलग-अलग बिंदुओं पर प्रति चेंज करने वाली सीधी रेखा को तिर्यक रेखा कहते हैं। तिर्यक रेखा के अंतर्गत यह अनिवार्य है कि जिन दो रेखाओं को एक रेखा अलग-अलग बिंदुओं पर काट रही है, वह दो या दो से अधिक रेखाएं एक दूसरे के समांतर हो। जिसके पश्चात यदि कोई रेखा दो या दो से अधिक समांतर रेखाओं को एक ही परिदृश्य में अलग-अलग बिंदुओं पर काट रही होगी तो उस रेखा को तिर्यक रेखा कहते हैं।

तिर्यक रेखा के अंतर्गत एक ही और के अंतः कोण संपूरक होते हैं; और यदि दो रेखाओं को एक तिर्यक रेखा काट देती है या विच्छेदित करती है तो उन दो रेखाओं के समांतर होने की परिस्थितियां कई मामलों में अलग-अलग प्रकार से आवश्यक होती है। जैसे कि:-

  • दोनों रेखाओं के संगत कोण बराबर होते हैं।
  • दोनों रेखाओं के अंतः कोण और एकांतर कोण बराबर होते हैं।
  • दोनों नेताओं के अंतः कोण पूरक कोण भी होते हैं।
  • दोनों रेखाओं के एकांतर बाय कोण बराबर होते हैं।
  • इन सभी मामलों में एक तिर्यक रेखा को आसानी से समझा जाता है।

तिर्यक रेखा का उपयोग कहां किया जाता है?

जब दो समांतर या दो से अधिक समांतर रेखाओं को एक या एक से अधिक रेखाओं के द्वारा अलग-अलग बिंदुओं पर काटा जाता है ऐसी परिस्थिति में तिर्यक रेखा और इससे संबंधित सिद्धांतों का इस्तेमाल किया जाता है।

Source- Jivtara।com

मान लीजिए कि दो रेखाएं AB और CD है और एक रेखा अलग-अलग बिंदुओं पर दोनों रेखाओं को काट रही है जिसे हम E और एFफ नाम देते हैं।

इसके पश्चात काउंटर-क्लाकवाइज तरीके से हम सभी 8 कोणों का नामांकन करते हैं जो कि पहली रेखा के साथ चार और दूसरी रेखा के साथ चार कोण बनाती है कुल मिलाकर आठ अलग-अलग आकृति के कोण हमारे पास उपलब्ध है तो ऐसी परिस्थिति में जितने डिग्री का ∠1 होगा उतने ही डिग्री का कोण, ∠3 होगा।

ऐसे ही ∠5 और ∠7 बराबर होंगे। ऐसी परिस्थिति में कोड नंबर ∠2, ∠4 = ∠6, ∠8 भी बराबर होंगे कोड नंबर ∠4 और ∠5 का कुल योग 180 डिग्री होगा। ∠1, ∠3, ∠5, ∠7 बराबर होंगे। इस प्रकार हम तिर्यक रेखाऔर इससे संबंधित सिद्धांतों को समझ सकते हैं।

निष्कर्ष

आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (tiryak rekha kise kahate hain ) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।

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