मित्रों, आदिकाल का नामकरण मूल रूप से हिंदी साहित्य के इतिहास के नामकरण के आधार पर किया जाता है। लेकिन इसके लिए अनेक विद्वानों ने हिंदी साहित्य के महान और विद्वान रचनाकारों के जीवन काल के समय को आदिकाल के नामकरण का आधार माना है, जिसके बारे में हमने आपको नीचे विस्तार से जानकारी दी है कि किस प्रकार हिंदी साहित्य के धुरंधरों के काल को आदिकाल के नामकरण का आधार बनाया गया है।
यदि आप भी आज यह जानना चाहते हैं कि हिंदी साहित्य के इतिहास में आदिकाल का नामकरण किस प्रकार किया गया है तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। क्योंकि आज हम आपको बताएंगे कि aadikal ko kis anya naam se jana jata hai किस प्रकार किया गया है।
तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं कि aadikal ke naamkaran ka vishleshan क्या होगा-
आदिकाल के नामकरण का विश्लेषण | Aadikal ke naamkaran ka vishleshan kijiye
हिंदी साहित्य के प्रख्यात विद्वानों ने आदिकाल के नामकरण का काम उस समय पैदा हुए कुछ महान हिंदी साहित्य के विद्वानों के जीवन काल के आधार पर रखा है, जैसे कि:-
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- विद्वानों ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के जीवन काल को वीरगाथा काल कहा है।
- डॉक्टर ग्रियर्सन के जीवन काल को चारण काल कहा है।
- मिश्र बंधु के जीवन काल को आरंभिक काल कहा है।
- रामकुमार वर्मा के जीवन काल को चारण काल या फिर संधि काल कहा है।
- राहुल सांकृत्यायन के काल को सिद्ध सामंत काल कहा है।
- महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के जीवन काल को बीज-बपन काल कहा है।
- हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के जीवन काल को आदि काल कहा है।
- विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के काल को वीरकाल कहा है।
- मोहन अवस्थी जी के जीवन काल को आधार काल कहा है।
हिंदी साहित्य के कुछ विद्वानों ने इन सभी महान हिंदी साहित्य के विद्वानों के द्वारा रचित किए गए रचनाओं के आधार पर इन सभी के जीवन काल को एक मुख्य विशेष नाम दिया है।
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1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के काल का मत
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी के काल को वीरगाथा काल कहा गया है, और इस नामा करण का आधार स्पष्ट करते हुए विद्वानों ने कहा है, कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आदिकाल की इस समयावधि के बीच में रचना की है, वह वीरगाथा को दर्शाती है। जैसे कि – विजयपाल रासो, हम्मीर रासो, कीर्तिलता, कीर्तिपताका, खुमाण रासो, बीसलदेव रासो, पृथ्वीराज रासो, जय चंद्रप्रकाश, जयमयंक जसचंद्रिका, परमाल रासो, खुसरो की पहेलियां, विद्यापति की पदावली, यह सभी आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी की 12 रचनाएं हैं जो कि मूल रूप से वीरगाथा को प्रदर्शित करते हैं:-
2. डॉक्टर ग्रियर्सन के काल का मतलब
कई हिंदी साहित्य के महान विद्वान ग्रियर्सन जी के काल को चारण काल का नाम देते हैं। लेकिन इसके पक्ष में कोई ठोस तर्क नहीं दे पाते हैं। सन 643 ईसवी के काल को यहां पर चारण काल का मध्याह्न माना जाता है।
3. मिश्र बंधु के काल का मत
मिश्र बंधु के काल को प्रारंभिक काल कहा है, और यह एक सामान्य नाम है, जिसका कोई प्रवृत्ति ठोस आधार नहीं है, और इस प्रकार को भी कई विद्वानों ने सिरे से नकारा है।
4. डॉ. रामकुमार वर्मा के काल का मत
डॉ. रामकुमार वर्मा के काल को चारण काल कहा है, हालांकि इसे प्रारंभिक चारणकाल कहा जाता है, और इसका आधार यह दिया गया कि इस काल में जन्मे सभी कवि चारण काल के थे, इसलिए इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि डॉ रामकुमार वर्मा जी चारण काल के थे।
5. राहुल सांकृत्यायन के काल का मत
राहुल सांकृत्यायन के काल को सिद्ध सामंती युग कहा जाता है, और इस मत के अनुसार उस समय के काव्य में मूल रूप से 2 प्रवृत्तियाँ मिलती थी जिनमें से एक सिद्धों की वाणी और दूसरा सामंतों की स्थिति देखी जा सकती थी।
6. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के काल को बीज-बपन काल कहा है, और यह साहित्यिक प्रवृत्तियों में आदिकाल नहीं है। यह काल मूल रूप से परिनिष्ठित अपभ्रंश की साहित्यिक प्रवृत्तियों का विकास है।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने जाना कि आदिकाल के नामकरण की समस्या पर प्रकाश डालिए | aadikal ko aur kis naam se jana jata hai किस प्रकार किया गया है, और किस प्रकार हिंदी साहित्य के महान विद्वानों को और उनके काल को एक विशेष नाम दिया गया है। हम आशा करते हैं कि आज का यह लेख आपके लिए काफी ज्ञान प्रद रहा होगा यदि आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।
FAQ
आदिकाल की विशेषता क्या है?
हिन्दी काव्य के प्रारम्भिक काल में काव्य की विविध प्रवृत्तियों का उदय हुआ, इस दृष्टि से आदिकाल कहना उचित है। यह नाम आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने दिया है। इस काल के राजनीतिक वातावरण तथा काव्य में वीरता की प्रधानता के आधार पर इस काल को वीरगाथा काल कहा गया है।
आदिकाल की समय सीमा क्या है?
आदिकाल का समय 1050 से1375 तक का माना जाता है। आचायय रामचंद्र शुक्ल नेवीरगाथा काल कहा।
आदिकाल की भाषा कौन सी है?
आदिकाल की भाषा का नाम डिंगल है।
आदिकाल के अंतिम कवि कौन थे?
आदिकाल के अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो थे।