दोस्तों, भारत की ऐतिहासिक रूप से धनी दिल्ली अपने इतिहास में नए कीर्तिमान रचते हुए आई है। दिल्ली का महत्व न केवल भारत की राजधानी के तौर पर बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से परिपक्व क्षेत्र के तौर पर भी सबसे ज्यादा है।
भारत में दिल्ली एक शहर, एक राज्य, एक केंद्र शासित प्रदेश इन सब के नाम से जाना जा सकता है। हालांकि हमारे देश में कई ऐसे शहर है जो दिल्ली के जितने बड़े हैं, लेकिन फिर भी दिल्ली को भारत में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। इसी से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली कितना पुराना शहर होगा।
यदि आप नहीं जानते कि दिल्ली कितना पुराना शहर है और जानना चाहते हैं तो आज के लेख में हमारे साथ बने रहिएगा, क्योंकि आज हम आपको दिल्ली के बारे में जानकारी देते हुए यह बताएंगे कि दिल्ली कितना पुराना शहर है।
दिल्ली कितना पुराना शहर है? | delhi kitne purana sahar hai in hindi
दोस्तों, यदि हम आपको यह बताएं कि दिल्ली कितना पुराना शहर है तो आप ने दिल्ली के क्षेत्र के बारे में यह भी सुना होगा कि दिल्ली महाभारत काल के जितना पुराना है। महाभारत में दिल्ली क्षेत्र के बारे में कई प्रकार की जानकारी दी गई है। एक ऐसा शहर जल जमुना नदी के तट पर बसा हुआ है, और उसे इंद्रप्रस्थ नाम दिया गया था। उससे पहले इसका नाम खांडवप्रस्थ था।
ऐसा कहा जाता है कि तकरीबन आज से 6000 से 7000 साल पहले इंद्रप्रस्थ नामक शहर बसा हुआ था जो कि यमुना नदी के तट पर ही बसा हुआ था, और इसके बारे में वही सारी बातें बताई जाती है तो दिल्ली शहर से मेल खाती है।
आज के बारे में दिल्ली को लेकर यह बताया जाता है कि दिल्ली पर मुगलों ने राज किया जो कि सही भी है। लेकिन दिल्ली पर केवल मुगलों ने ही नहीं बल्कि कई शक्तिशाली सम्राटों ने भी राज किया है। हम आपको यह बता दे कि दिल्ली पर कभी पांडवों ने भी राज किया था।
दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा?
दोस्तों पहली शताब्दी में दिल्ली में एक राजा हुए थे जिनका नाम दिल्लू था। उन दिल्लू राजा के नाम पर दिल्ली का नाम दिल्ली पड़ा। रजा धिल्लू ने दिल्ली के ऊपर पहली शताब्दी के समय पर राज किया था, और उन्हीं के नाम पर दिल्ली क्षेत्र का नाम दिल्ली, दहेली, धिल्ली इत्यादि रखा जाता है।
दिल्ली का इतिहास क्या है?
यदि हम दिल्ली के इतिहास के बारे में आपको बताएं तो दिल्ली का इतिहास महाभारत काल जितना ही पुराना है। महाभारत में जब पांडवों ने खांडवप्रस्थ पर इंद्रप्रस्थ की स्थापना की थी उस समय इंद्रप्रस्थ आज के दिल्ली चरित्र के तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा दिल्ली क्षेत्र के आसपास कई प्रकार से आठ शहर बसते रहे, जिनके नाम लालकोट, दिनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोजाबाद, जहांपनाह, तुगलकाबाद, शाहजहानाबाद इत्यादि रहा है।
पिछले 5 शताब्दियों से अधिक समय से दिल्ली में राजनीतिक उथल-पुथल रही है। आज भी यहां पर कुछ समय से राजनीतिक उथल-पुथल चलती रहती है। दिल्ली पर अंतिम राज मुगलों ने किया था।
दिल्ली का लास्ट राजा कौन था?
बहादुर शाह जफर को दिल्ली का अंतिम मुगल बादशाह माना जाता था। इसका पूरा नाम बहादुर शाह द्वितीय था। उदयपुर से जफर के नाम से जाना जाता था। बहादुर शाह की मृत्यु ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बर्मा के अंदर सन 1862 में हुई थी। उनकी मृत्यु के पश्चात मुगल साम्राज्य पूरी तरह से समाप्त हो गया।
निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया दिल्ली कितना पुराना शहर है? (delhi kitne purana state hai hindi mein) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
दिल्ली का पहला राजा कौन था?
चंद्रबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर वंश के राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उसने ‘लाल-कोट’ का निर्माण करवाया और लौह स्तंभ को दिल्ली लाया। दिल्ली में तोमर वंश का शासन काल 900-1200 ईस्वी तक माना जाता है।
दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे हुआ?
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि तोमर वंश के एक राजा धव ने इस क्षेत्र का नाम ढोली रखा क्योंकि किले के अंदर का लौह स्तंभ ढीला था और उसे बदल दिया गया था। यही ढीला शब्द बाद में दिल्ली बन गया। एक और तर्क यह है कि तोमर वंश के समय जो सिक्के बने थे, उन्हें देहलीवाल कहा जाता था। इसी से दिल्ली नाम पड़ा।
दिल्ली का जन्म कब हुआ?
इतिहास की बात करें तो दिल्ली का जिक्र सबसे पहले 1180 में हुआ था, जब राजा पृथ्वीराज चौहान ने इस पर विजय प्राप्त की थी। राजा पृथ्वीराज तृतीय ने यहां तोमर राजा-अनंगपाल द्वारा निर्मित लालकोट को किला राय पिथौरा में परिवर्तित कर दिया। आपको बता दें, इसे दिल्ली का पहला शहर माना जाता है।
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