नमस्कार दोस्तों, हड़प्पा सभ्यता का नाम विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं के अंतर्गत आता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि हड़प्पा सभ्यता का पूर्व से पश्चिम तक विस्तार कितना है, यदि आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है, तथा इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इच्छुक हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, कि हड़प्पा सभ्यता का पूरब से पश्चिम तक विस्तार कितना है, इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट में शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाला है, तो इसको अंत तक जरूर पढ़िए।
हड़प्पा सभ्यता का पूर्व से पश्चिम तक विस्तार कितना है?
दोस्तों अलग-अलग कंपटीशन एग्जाम के अंतर्गत यह सवाल पूछा जाता है, कि हड़प्पा सभ्यता का पूर्व से पश्चिम तक विस्तार कितना है, और बहुत लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है, यदि दोस्तों आपको भी इसके बारे में जानकारी नहीं है, तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि हड़प्पा सभ्यता का पूर्व से पश्चिम तक विस्तार 1550 किलोमीटर है।
जैसे कि दोस्तों आप सभी लोगों को पता होगा कि हड़प्पा सभ्यता एक काफी बड़ी सभ्यता थी, तथा काफी बड़े क्षेत्र के अंतर्गत फैली हुई थी। कडप्पा से ताकि कुल क्षेत्रफल की बात की जाए तो इसका कुल क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर है, इसके पूर्व से पश्चिम तक के विस्तार की बात की जाए तो इसका विस्तार लगभग 1550 किलोमीटर तक था।
हड़प्पा सभ्यता का सबसे छोटा नगर कौन था?
इसे सुनेंरोकेंराखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। यह सरस्वती और घग्गर के तट पर स्थित है। राखीगढ़ी की खुदाई 1997 से 1999 के बीच हुई थी और इसकी खुदाई का श्रेय अमरेंद्र नाथ को जाता है।
हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी कुछ खास बातें:-
हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी कुछ खास बातें निम्न है :-
- दोस्तों हड़प्पा सभ्यता की खुदाई करने पर इस बात की जानकारी मिली है कि वहां पर काफी बंदरगाह है भी मौजूद है इनके अंतर्गत लोथल बंदरगाह सबसे प्रमुख बंदरगाह की सूची में आता है तथा इसके माध्यम से काफी ज्यादा व्यापार किया जाता था।
- हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत हमें अनेक गोदाम भी देखने को मिलती है, जिनके अंतर्गत वहां के लोग अपने अनाज का समान स्टॉप कर कर रखते थे।
- हड़प्पा सभ्यता तथा मोहनजोदड़ो के अलग-अलग नगरों की खुदाई करने पर हमें अनेक देवी-देवताओं की मूर्तियां भी प्राप्त हुई है, तो ऐसे में इन मूर्तियों को देखकर कई इतिहासकारों का यह कहना है, कि प्राचीन काल में यहां पर भारतीय संस्कृति के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा भी की जाती थी।
- हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो की खुदाई करने पर अलग-अलग कपड़े के टुकड़े या फिर अवशेष भी मिले हैं, जिंसी यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कपास की खेती करने का श्रेय यहां के लोगों को ही दिया जाता है।
यहां पर हमने आपके लिए हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी कुछ खास बातें शेयर की है।
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आज आपने क्या सीखा
तो आज भी इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना की हड़प्पा सभ्यता का पूर्व से पश्चिम तक विस्तार कितना है, हमने आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है। इसके अलावा हमने आपको इस पोस्ट के माध्यम से हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जिनका आपके लिए जाना काफी जरूरी था।
इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई है तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई तो, इसे सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा नीचे कमेंट में इस विषय के बारे में हमें अपनी राय जरूर दें।
FAQ
हड़प्पा सभ्यता का पूर्व से पश्चिम तक विस्तार कितना हे?
सिंधु सभ्यता पश्चिम से पूर्व की ओर लगभग 1500 किमी और उत्तर से दक्षिण तक लगभग 1200 किमी के क्षेत्र में फैली हुई है।
हड़प्पा का केंद्र आलमगीरपुर कहाँ स्थित था?
आलमगीरपुर – यह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हिंडन नदी के तट पर स्थित है। इस जगह को ‘परसाराम का खेड़ा’ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खुदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 1958-59 में की गई थी।
हड़प्पा सभ्यता का उत्तरी भाग कौन सा है?
हड़प्पा सभ्यता का सबसे उत्तरी स्थल मंडा है, जो जम्मू और कश्मीर में स्थित है।
हड़प्पा सभ्यता का दूसरा नाम क्या है?
सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1700 ईसा पूर्व) विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं की प्रमुख सभ्यताओं में से एक थी। इसे हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
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