मानक लिपि किसे कहते हैं, और मानक लिपि की प्रमुख विशेषताएं

नमस्कार दोस्तो, आपने अपने जीवन के अंतर्गत मानक लिपि के बारे में तो जरूर सुना होगा या फिर कहीं ना कहीं तो इसके बारे में जरूर पढ़ा होगा। दोस्तों क्या आप जानते है, कि मानक लिपि क्या है इसकी क्या-क्या विशेषताएं हैं, (manak bhasha kise kahate hain), यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि मानक लिपि क्या है, मानक लिपि की क्या-क्या विशेषताएं है,(manak lipi ki visheshtaen), हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।

मानक लिपि किसे कहते हैं | manak lipi kya hai

manak lipi kya hai
लिपि किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए | manak hindi ki lipi kya hai

दोस्तों मानक लिपि का तात्पर्य उस लिपि से होता है जो सभी जगह मान्य होती है। इस मानक लिपि का प्रयोग विचारों तथा भावनाओं को आसानी से ग्रहण किया जा सकता है, एवं दूसरों को बताया जा सकता है। मानक भाषाओं को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है जिसके अंतर्गत आदर्श, टकसाली तथा परिनिष्ठित लिपि का नाम शामिल है।

इस प्रकार की लिपि के अंतर्गत एक निश्चित व्याकरण होती है। मानक लिपि को लिखने, पढ़ने तथा बोलने के समय समरूपता देखने को मिलती है। जो इसको सबसे अलग बनाती है। मानक भाषा का प्रयोग साहित्य, पत्र व्यवहार, पत्र-पत्रिकाओं, पुस्तकों, भाषणों आदि के अंतर्गत काफी जगह किया जाता है।

मानक लिपि की प्रमुख विशेषताएं | manak lipi ki visheshtaon ka ullekh kijiye

manak lipi ki visheshtaon ka ullekh kijiye
लिपि की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए | manak bhasha ki visheshtayen bataiye

दोस्तों मानक लिपि की प्रमुख विशेषताएं निम्न है:-

1. दोस्तों मानक लिपि का प्रयोग राजकाज की भाषा के अंतर्गत काफी ज्यादा किया जाता है। इसके अंतर्गत अनेक लोगों के द्वारा भाषण देने के लिए अक्सर मानक लिपि का प्रयोग किया जाता है। इन सभी के अलावा इसका प्रयोग विद्यालय, विश्वविद्यालय, स्कूल, कॉलेज आदि के अंतर्गत भी काफी ज्यादा किया जाता है।

2. किसी भी व्यक्ति को अलग-अलग क्षेत्रों के अंतर्गत ज्ञान देने के लिए इस लिपि का प्रयोग काफी ज्यादा किया जाता है। जिसमें किसी भी व्यक्ति को धर्म-दर्शन, विज्ञान जैसे क्षेत्रों के बारे में जानकारी देने के लिए इस लिपि का काफी ज्यादा प्रयोग किया जाता है।

3. साहित्य किसी भी भाषा के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, तो साहित्य को लिखने तथा बोलने के लिए मानक लिपि का प्रयोग काफी ज्यादा किया जाता है।

4. शिक्षा के अंतर्गत मानक लिपि का प्रयोग काफी ज्यादा किया जाता है, जिसके अंतर्गत अलग-अलग प्रकार की विद्यालयों, महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम को निर्धारित करने, उनकी किताबों को बनाने जैसे कई कार्यों के अंतर्गत किस लिपि का प्रयोग किया जाता है।

5. मनोरंजन के अलग-अलग क्षेत्रों में लिपि और भाषा का काफी महत्व होता है। तो मनोरंजन के क्षेत्र में मानक लिपि का प्रयोग काफी ज्यादा किया जाता है।

6. कानून, चिकित्सा एवं तकनीकी के क्षेत्रों के अंतर्गत इस लिपि का काफी ज्यादा प्रयोग किया जाता है। जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं, कि इनकी एक अलग शब्दावली होती है, जो इस मानक लिपि के द्वारा काफी आसान बना दी जाती है।

7. दोस्तों इस लिपि को एकता का सुंदर बांधने वाली लिपि भी कहा जाता है, क्योंकि इसको समझना एक दूसरे के लिए काफी आसान होता है।

22 भाषाओं के नाम और उनकी लिपि

क्रम संख्या

भाषा का नाम

भाषा की लिपि

1

कोंकणी

कोंकणी अनेक लिपियों में लिखी जाती रही है; जैसे – देवनागरी, कन्नड, मलयालम और रोमन। गोवा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद देवनागरी लिपि में कोंकणी को वहाँ की राजभाषा घोषित किया गया है।

2

मलयालम

मलयालम (“മലയാളം”) में शलाका लिपि

3

मणिपुरी

इस भाषा की अपनी लिपि है, जिसे स्थानीय लोग मेइतेई माएक कहते हैं।

4

मराठी

“मराठी” भाषा को लिखने के लिए देवनागरी और इसके प्रवाही स्वरूप मोदी, दोनों लिपियों का उपयोग होता है।

5

नेपाली

नेपाली

6

उड़िया   

उड़िया (“ଓରିୟା”)

7

संस्कृत

संस्कृत

8

सिंधी

सिंधी भाषा मुख्यत: दो लिपियों में लिखी जाती है, अरबी-सिंधी लिपि

9

संथाली

इस भाषा की अपनी पुरानी लिपि का नाम ‘ओल चिकी’ है। अंग्रेजी काल में संथाली रोमन में लिखी जाती थी।

10

उर्दू

उर्दू (“اردو”) के लिए फ़ारसी-अरबी लिपि प्रयुक्त होती है। उर्दू नस्तालीक़ लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएँ से बाएँ लिखी जाती है।

11

तेलुगु

तेलुगु (“తెలుగు”)

12

बोडो

13

तमिल

तमिल (“தமிழ்”) ऐतिहासिक रूप से तमिल लेखन प्रणाली का विकास ब्राह्मी लिपि से वट्टे-लुटटु (मुड़े हुए अक्षर) और कोले-लुट्टु (लम्बाकार अक्षर) के स्थानीय रूपांतरणों के साथ हुआ।

 

तमिलनाडु तथा पुदुचेरी में यह राजभाषा है।

14

पंजाबी

पंजाबी (“ਪੰਜਾਬੀ”),गुरुमुखी

15

मैथिली

देवनागरी व तिरहुता लिपि। तिरहुता लिपि को मिथिलाक्षर लिपि अथवा मिथिलाक्षरा भी कहा जाता है।

16

असमिया

असमिया लिपि मूलत: ब्राह्मी का ही एक विकसित रूप है।

17

बंगाली/बांग्ला

बांग्ला (“বাংলা”) लिपि मूलत: ब्राह्मी लिपि और असमिया लिपि का विकसित रूप है।

बंगाली लिपि नागरी लिपि से कुछ कुछ भिन्न है किन्तु दोनों में बहुत अधिक साम्य भी है।

18

डोगरी

डोगरी की अपनी एक लिपि है जिसे टाकरी या टक्करी लिपि कहते हैं। यह लिपि काफी पुरानी है। गुरमुखी लिपि का प्रादुर्भाव इसी से माना जाता है।

19

गुजराती

यह भाषा गुजराती लिपि में लिखी जाती है। गुजराती लिपि, नागरी लिपि से व्युत्पन्न हुई है। गुजराती भाषा में लिखने के लिए देवनागरी लिपि को परिवर्तित करके गुजराती लिपि बनायी गयी थी।

20

हिन्दी

देवनागरी

21

कश्मीरी

15वीं सदी तक कश्मीरी भाषा केवल शारदा लिपि में लिखी जाती थी। बाद में फारसी लिपि का प्रचलन बढ़ता गया लेकिन आजकल यह देवनागरी में भी लिखी जा रही है।

22

कन्नड़

कन्नड लिपि ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक भारतीय लिपि है जिसका प्रयोग कन्नड लिखने में किया जाता है।

मानक हिन्दी भाषा का महत्व

भारत एक बहुभाषी देश है जहां न केवल कई भाषाएं बोली जाती हैं बल्कि एक ही भाषा की कई बोलियां भी प्रचलित हैं। इसी प्रकार हिन्दी के भी अनेक रूप यहाँ प्रचलित हैं। जैसे भोजपुरी हिंदी, बघेली हिंदी, अवधी, हिंदी, निमाड़ी, मालवी आदि। ऐसे में अगर कोई गैर-हिंदी भाषी व्यक्ति हिंदी सीखना चाहता है, तो उसके सामने समस्या आती है कि उसे कौन सी हिंदी सीखनी चाहिए, उनके कार्य को व्यवहार में आसान बनाने के लिए साथ ही सरकारी कार्य, आकाशवाणी, दूरदर्शन, समाचार पत्र, राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण सूचनाओं का आदान-प्रदान, फिल्मों, साहित्य आदि के लिए भी एक विकट समस्या उत्पन्न होती है।

जिसके समाधान का एक ही उपाय है कि हिन्दी के इन विभिन्न रूपों में एक ऐसा रूप हो जो सार्वभौम और सार्वभौम हो। हिन्दी के सभी विद्वानों द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा व्याकरण संबंधी दोषों से मुक्त अधिकांश लोगों द्वारा लिखी और पढ़ी और समझी जानी चाहिए ताकि इसका अधिकतम व्यावहारिक रूप में उपयोग किया जा सके। वास्तव में शिक्षित वर्ग द्वारा अपने सामाजिक, साहित्यिक, व्यावहारिक जीवन और प्रशासनिक कार्यों में जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, वह मानक भाषा कहलाती है। मानक भाषा अपने राज्य या राष्ट्र की संपर्क भाषा भी है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि हिन्दी का सर्वमान्य रूप मानक हिन्दी भाषा है।

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आज आपने क्या सीखा

तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि मानक मानक लिपि क्या है, इसकी क्या-क्या विशेषताएं हैं,(manak lipi ki visheshtaen), हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत मानक लिपि से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि मानक लिपि क्या होती है, एवम मानक लिपि का प्रयोग किन किन क्षेत्रों के अंतर्गत किया जाता हैं।

आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।

मानक भाषा में किसका प्रयोग होता है?

भारतीय संघ और कुछ राज्यों की राजभाषा की स्वीकृति के कारण हिंदी के मानक रूप को निर्धारित करना बहुत आवश्यक था, ताकि वर्णमाला में हर जगह एकरूपता हो और लिपियों की विविधता आधुनिक मशीनों के उपयोग में बाधा न बने। टाइपराइटर की तरह।

मानक भाषा की आवश्यकता क्यों है?

एक मानक भाषा की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि हिंदी को राष्ट्रीय और सार्वभौमिक रूप देना था। हिंदी कई अलग-अलग बोलियों से विकसित हुई है। विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की हिंदी बोली जाती है। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।

भाषा मानक कैसे बनती है?

मानक भाषाएँ तब उत्पन्न होती हैं जब एक निश्चित बोली लिखित रूप में उपयोग की जाने लगती है, आमतौर पर बोली की तुलना में व्यापक क्षेत्र में। जिस तरह से इस भाषा का प्रयोग किया जाता है – जैसे, प्रशासनिक मामलों में, साहित्य और आर्थिक जीवन में – भाषाई भिन्नता में कमी की ओर जाता है।

मानक भाषा के मुख्य आधार कौन कौन से हैं?

लोगों ने मानक भाषा को विभिन्न तरीकों से स्पष्ट करने का प्रयास किया है। रॉबिन्स (1966) के अनुसार सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण व्यक्तियों की बोली को मानक भाषा का नाम दिया गया है। स्टीवर्ट (1968) ने प्रकृति, आंतरिक व्यवस्था और सामाजिक उपयोग आदि के आधार पर विभिन्न प्रकार की भाषा को विभेदित करने के लिए चार आधारों पर विचार किया है।

मानक भाषा का होना क्यों महत्वपूर्ण है?

भाषा को परंपरागत रूप से जातीय पहचान और राष्ट्रीय पहचान की एक केंद्रीय विशेषता के रूप में माना जाता है, इसलिए, किसी राष्ट्र की पहचान और अखंडता को एक भाषा द्वारा सर्वोत्तम रूप से दर्शाया जाता है। इसके अलावा, मानकीकृत भाषा एक आम पहचान का समर्थन करने का एक तरीका है। औपचारिकता प्राप्त करने के लिए एक भाषा को मानकीकृत किया जाना चाहिए।

मानक भाषा क्यों महत्वपूर्ण है?

एक ही भाषा क्षेत्र में भिन्न-भिन्न स्थानों के लोग भिन्न-भिन्न उच्चारणों का प्रयोग करते हैं। अक्सर वे अलग-अलग शब्दों और कभी-कभी अलग-अलग व्याकरणिक संरचनाओं का भी उपयोग करते हैं। कई देशों में बोली में इस तरह के अंतर से उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को मानक भाषा के अस्तित्व से दूर किया जाता है।

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