किसी भी पौधे के लिए प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बहुत ही जरूरी होती है। प्रकाश संश्लेषण अक्सर कक्षा 6 7 8 वाले बच्चों को पढ़ाया जाता है ताकि वह इस प्रक्रिया का महत्व समझ सके। परंतु अक्सर बच्चे केवल परिभाषा को पढ़कर यह नहीं समझ पाते हैं कि प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं? (prakash sanshleshan ki kriya ka rasayanik samikaran likhiye) क्योंकि अक्सर किताबों में किताबी भाषा का प्रयोग किया जाता है जिसे समझना थोड़ा मुश्किल होता है।
इसलिए आज के इस लेख में हम बहुत ही आसान भाषा में जानेंगे कि प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं? (prakash sanshleshan ki kriya ka rasaynik samikaran likhiye) ताकि सभी बच्चे प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को विस्तार से समझ पाए। इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया का हमारे जीवन में क्या महत्व है। तो चलिए शुरू करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं? (prakash sanshleshan ki paribhasha den)
प्रकाश संश्लेषण को ही इंग्लिश में फोटोसिंथेसिस कहते हैं।सभी हरे-भरे पौधे स्वपोषी होते हैं और अपने लिए स्वयं ही भोजन बनाते हैं। हरे पौधे सूर्य के प्रकाश से निकलने वाली क्लोरोफिल नामक वर्णक की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड और जल के साथ मिलकर भोज्य पदार्थों यानी कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन को बाहर निकालते हैं। यही प्रक्रिया ही प्रकाश संश्लेषण का लाती है।
सरल शब्दों में कहे तो जिस प्रक्रिया का उपयोग करके पौधे अपना भोजन बनाते हैं वह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण का लाती है। यह दो शब्दों से मिलकर बनी हुई है प्रकाश और संश्लेषण। जिसका अर्थ उर्जा का एक साथ मिलना होता है।
जिस प्रकार मनुष्य भोजन द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं उसी प्रकार पौधे भी भोजन द्वारा ऊर्जा प्रदान करते हैं और हमें ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। प्रकाश संश्लेषण पौधों की पत्तियां हरी होती हैं। इसे हम ऐसा भी कर सकते हैं कि पौधों की हरी पत्तियों द्वारा ही यह प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पूरी की जाती है।
पौधों की हरी पत्तियों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करके भोजन बनता है इसलिए इन्हें Kitchen House of the plant हैं।
प्रकाश संश्लेषण क्रिया का महत्व
एक स्वपोषी पौधों के लिए प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया का बहुत ही अधिक महत्व है। जिनमें से कुछ मुख्य महत्व की जानकारी नीचे बताई गई है:-
- प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया पौधों के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि इसी से पौधे अपना भोजन बनाते हैं और हरे भरे रहते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण किस प्रक्रिया द्वारा ऑक्सीजन का भी निर्माण होता है जो कि एक मनुष्य के लिए जीवन जीने के लिए बहुत ही आवश्यक है।
- यदि हम देखें तो प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में CO2 का इस्तेमाल किया जाता है और ऑटो को बाहर छोड़ दिया जाता है जिससे कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन की मात्रा का संतुलन बना रहता है।
- अप्रत्यक्ष रूप से भी प्रकाश संश्लेषण का बहुत महत्व है क्योंकि जीव-जंतु पौधों से ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं। और यदि पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया नहीं करेंगे तो जीव जंतुओं को भोजन प्राप्त नहीं हो सकेगा।
- मनुष्यों के लिए भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बहुत महत्व रखती है क्योंकि मनुष्य को भी सभी खाद्य पदार्थ पौधों द्वारा मिलता है। इसलिए पौधों के अंदर प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया होना बहुत ही आवश्यक है।
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यकताएं
पौधों को प्रकाश संश्लेषण के लिए कई चीजों की आवश्यकता पड़ती है। इसके कुछ आवश्यक सामग्री नीचे दी गई है।
- सूर्य का प्रकाश
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य का प्रकाश बहुत ही मुख्य है। सूर्य के प्रकाश से बैगनी नीला और लाल रंग निकलता है जिनमें से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए पौधों द्वारा लाल प्रकाश का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है।
- जल (H2O)
जल भी प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में काफी महत्व रखता है क्योंकि जब हम पौधों में पानी डालते हैं या किसी भी प्रकार से पौधों को पानी मिलता है तो पौधे की जड़े उस जल को अवशोषित कर लेती हैं और उसे पत्तियों तक पहुंचाती है।
- Chlorophyl (क्लोरोफिल)
क्लोरोफिल जिसे हम हिंदी में पर्णहरित कहते हैं भी बहुत मुख्य सामग्री है। पौधों में हरा रंग इसी क्लोरोफिल के माध्यम से आता है। पौधों की पत्तियों में जो हरा रंग होता है उनमें कुछ वर्णक उपस्थित होते हैं और यह वर्णक ही क्लोरोफिल कहलाते हैं।
- कार्बन डाइ ऑक्साइड (Co2)
कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उपयोग करके ही पौधे अपना भोजन बनाते हैं। ऐसा समय जब पौधों के ऊपर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती है तो उस समय श्वसन प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न हुई कार्बन डाइऑक्साइड से पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पूरी करते हैं।
प्रकाश संश्लेषन की क्रिया का रसायनिक समीकरण (prakash sanshleshan ki kriya ka rasayanik samikaran bataiye)
कार्बन डाइऑक्साइड + जल + प्रकाश भाग नहीं लेता है लेकिन इस अभिक्रिया के लिए प्रकाश की उपस्थिति आवश्यक है। इस रासायनिक प्रतिक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड के 6 अणुओं और पानी के 12 अणुओं के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लूकोज का एक अणु, पानी के 6 अणु और ऑक्सीजन के 6 अणु बनते हैं।
प्रकाश संश्लेषण का सीमा कार्य सिद्धांत किसने दिया था?
प्रकाश संश्लेषण का सीमा कारी सिद्धांत Blackman (ब्लैकमैन) दिया था। इसलिए इसे ब्लैक मैन का सीमा कारी नियम भी कहते हैं। सीमा कारक का सिद्धांत देते हुए ब्लैकमैंन कहा था कि
जब कोई अभिक्रिया अपने पूर्ण वेग से चल रही है और उसमें सबसे कम मात्रा में उपलब्ध कारक उस अभिक्रिया को प्रभावित करे। तो से ही सीमा कारक कहा जाता है।यहां पर सबसे कम मात्रा में उपलब्ध कारक ही सीमा कारी कारक है।
यदि प्रकाश संश्लेषण नहीं होगा तो क्या होगा?
अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया यदि रुक जाए तो क्या होगा फुलस्टॉप तो हम आपको बता दें कि यदि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाएगी तो पौधे नष्ट हो जाएंगे। क्योंकि प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के कारण ही पौधों को भोजन मिलता है और जब पौधे भोजन नहीं कर पाएंगे तो वह नष्ट हो जाएंगे।
जिस प्रकार कोई भी व्यक्ति भोजन ना करने के कारण सूख जाता है या मर जाता है उसी प्रकार पौधों को भी यदि भोजन ना मिले तो वह सूख जाएंगे या मर जाएंगे। इसलिए प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बहुत ही जरूरी है।
प्रकाश संश्लेषण और दहन में क्या अंतर होता है?
प्रकाश संश्लेषण और दहन में बहुत ही अधिक अंतर होता है। चलिए इन दोनों के कुछ मुख्य अंतर को समझते हैं।
- भोज्य पदार्थों को बनाने की क्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है। जबकि पदार्थों के जलने की प्रक्रिया को दहन कहते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में ऊर्जा बनाने के लिए की जाती है। इसके विपरीत दहन की प्रक्रिया एक ही चरण के साथ पूरी हो जाती है और पूरी उर्जा को मुक्त कर देती है।
- प्रकाश संश्लेषण के अंतर्गत ऊर्जा का संचार किया जा सकता है। जबकि दहन के अंतर्गत ऊर्जा संचय नहीं की जा सकती।
- प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सूर्य का प्रकाश जल कार्बन डाइऑक्साइड क्लोरोफिल का उपयोग होता है। जबकि दहन प्रक्रिया में वायु या ऑक्सीकारक पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
प्रकाश संश्लेषण में होने वाली घटनाओं का वर्णन करें
प्रकाश संश्लेषण में, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप ग्लूकोज बनता है और ऑक्सीजन निकलती है। इसके विपरीत, श्वसन में, ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण होता है। प्रकाश संश्लेषण एक रचनात्मक प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप सजीवों का शुष्क भार बढ़ जाता है।
क्या प्रकाश संश्लेषण के बिना पृथ्वी पर जीवन की हुई कल्पना कर सकते हैं?
जी नहीं प्रकाश संश्लेषण के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। भले ही कुछ समय तक प्रकाश संश्लेषण के बिना पृथ्वी पर जीवन रहे परंतु कुछ समय बाद यह जीवन धीरे-धीरे नष्ट होने लगेगा।
क्योंकि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पौधे ऑक्सीजन वातावरण में छोड़ते हैं और उससे ही कोई भी मनुष्य या जीव-जंतु ग्रहण करके जीता है।
सभी जीव जंतु अपने भोजन के लिए पेड़ पौधों पर ही निर्भर रहते हैं और यदि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं होगी तो पेड़ पौधे भी धीरे-धीरे मर जाएंगे जिसके कारण जीव जंतु भी धीरे-धीरे नष्ट होते चले जाएंगे।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने जाना कि प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं समीकरण सहित समझाइए (prakash sanshleshan kriya ka pramukh utpad hai) उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के बारे में सभी जानकारियां मिल पाई होंगी। यदि आप इसी प्रकार की और भी जानकारियां पाना चाहते हैं तो कृपया हमें कमेंट करके बताएं।
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