दोस्तों, राजस्थान की भूमि को वीरों की तथा रजवाड़ों की भूमि कहा जाता है। राजस्थान की भूमि पर प्राचीन समय से ही अलग-अलग प्रकार की जाति के लोगों ने वीरता का प्रदर्शन किया है। आज के समय भी राजस्थान में सैकड़ों जातियों के लोग एक साथ रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन जातियों में से सबसे ज्यादा संख्या किसकी है?
यदि आप नहीं जानते तो कोई बात नहीं, क्योंकि आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि राजस्थान में सबसे ज्यादा संख्या किस जाति की हैं, और जातियों के बारे में तथा राजस्थान के बारे में भी हम आपको कई हैरतअंगेज जानकारियां देंगे।
राजस्थान का निर्माण कब हुआ?
दोस्तों, आज के समय हम जिस राजस्थान को देखते हैं वह राजस्थान 30 मार्च सन 1949 में निर्मित किया गया था। इससे पहले हमारे राजस्थान को राजपूताना, रजवाड़ा, तथा रायपिथौरा जैसे उपनामों से जाना जाता था। आज के समय राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है,
और भारत में राजस्थान को जनसंख्या के हिसाब से सांतवा स्थान प्राप्त है। राजस्थान भारतवर्ष के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है, तथा 3,42,239 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के साथ में यह भारत के 10% से ज्यादा का भाग अपने आप में शामिल करता है।
राजस्थान की भूमि
राजस्थान की भूमि काफी विचित्र और हैरतंगेज़ है। यहां की भूमि पर हमें एक तरफ पूरा सुखा और दूसरी तरफ नदियां बहती हुई दिखती है। विश्व का दुर्गमतम मरुस्थल, जिसे थार के मरुस्थल के नाम से जाना जाता है, और अंग्रेजी में जिसे ग्रेट इंडियन डिजर्ट कहा जाता है, वह भी राजस्थान के जोधपुर तथा जैसलमेर के इलाके में स्थित है।
यह भारत का एक ऐसा राज्य है जो पाकिस्तान के साथ में भारत की सबसे बड़ी सीमा साझा करता है। राजस्थान का संबंध प्राचीन हड़प्पा सभ्यता से भी देखा जाता है और इसी कारण राजस्थान में आज के समय में भांति-भांति के लोग रहते हैं। इसी के कारण राजस्थान में सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग जातियां और जनजातियां रहती है।
राजस्थान में कौनसी जातियों के लोग निवास करते है?
दोस्तों, आज के समय राजस्थान इतना बड़ा और व्यापक है कि यहां पर 8 करोड से अधिक जनसंख्या बसती है। राजस्थान की 8 करोड़ की जनसँख्या में अनुसूचित जातियों और जनजातियों की जनसँख्या सबसे ज्यादा है।
यहां पर सामान्य जाति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग शांति और सद्भाव से रहते हैं, लेकिन यदि हम इन सभी की जातियों के बारे में आपको अधिक बताएं तो इन सभी जातियों के अंतर्गत भी सैकड़ों उपजातियां है जिनमे लोग बटे हुए हैं। राजस्थान में रहने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों की जातियों के नाम हमने आपको नीचे बताए हैं-
अनुसूचित जाति
दोस्तों आज के समय राजस्थान में विभिन्न प्रकार की अनुसूचित जातियां रहती है, जैसे कि-
- अदि धर्मी, अहेरी, बदी, बगरी, बैरवा
- बजगर, बलाई, बन्सफोर, बावरी
- बरगी, बावरिया, बेदिया, बेडिया
- भांड, भंगी, चुरा, मेहतर, ओलगना
- रुखी, मालखाना, हलालखोर
- बाल्मीकि, वाल्मीकि, कोरर, ज़द्माली
- बिद्किया, बोला, चमार, भाम्भी, बाम्बी
- जातीय, जाटव, जटवा, जाटवा, मोची, रैदास
- रोहिदास, रेगर, रैगर, रामदासिया, असदारू, असोदी
- चमडिया, चंभर, कमटी, हरल्या,
- हरली, खल्पा, मचिगर, मोचिगर, मदर,
- मादिग, तेलेगु मोची, रानिगर, रोहित, संगर।
इन सब के आलावा
- चंडाल, दबगर, धनक, धनुक, धन्किया
- धोबी, ढोली, डूम, गंडिया, गारांचा, गारो
- गरूर, गरुड़, गरोद, गवारिया, गोधी
- झींगरम कालबेलिया, सपेरा, कामद, कामडिया
- खंजर, खातिक, कोली, कोरी, कूच बंद
- कूचबन्द, कोरिया, मदारी, महार, तरल
- धेगुमेगु, मह्यावाशी, ढेड, ढेडा, वनकर
- मरू वनकर, मजहबी, मांग, मातंग
- मिनिमदिग, मांग गरोडी
- मांग गरुडी, मेघ, मेघवाल, मेघावल, मेंघवार
- मेहर, नट, पासी, रावल, साल्वी, सांसी, संतिया, सतिया, सर्भंगी
- सरगरा, सिंगिवाला, थोरी, नायक
- तिरगर, तिर्बंगा, तुरी इत्यादि प्रमुख जातियों का नाम शामिल है।
अनुसूचित जनजाति
अब यदि हम अनुसूचित जनजाति की बात करें तो हिंदी भी हमें 50 से अधिक अनुसूचित जनजातियां दिख जाएंगी। जैसे कि-
- ढोली भील, डूंगरी भील, भील, भील गरासिया
- डूंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील
- तडवी भील, भागालिया, भिलाला, पवरा
- वासवा, वसवे, भील मीणा, द्मोर, दमरिया
- ढंका, तडवी, तेतरिया, वलवी
- गरासिया, गरासिया (राजपूत गरासिया को छोड़कर)
- कठोड़ी, कातकरी, धोर कठोड़ी
- धोर कातकारी, सोन कठोडी
- सोन कातकारी, कोकना, कोकनी, कुकन
- कोली धोर, टोकरे कोली, कोल्चा, कोलघास
- मिन, नायकदा, नायक
- चोलीवाला नायक, कपाड़िया नायक
- मोटा नायक, नाना नायक
- पटेलिया, सहरिया, सेहरिया, सहरिया
ऐसे ही विभिन्न प्रकार की अनुसूचित जनजातियां राजस्थान में रहती है।
अन्य पिछड़ा वर्ग
अन्य पिछड़ा वर्ग की बात करें तो राजस्थान में 100 से ज्यादा अन्य पिछड़ा वर्ग की जातीयां हमें दिख जाएंगी। जैसे कि-
- अहीर (यादव), बड़वा, भट, राव जचक, जग
- बधाई, जांगिड़, खाती, खराड़ी, सुथार, तारखान
- बगरिया, बंजारा, बलदिया, लबाना
- भारभुजा, चरण, छिप्पा, (छिपी), नामा
- भवसारी, डकौत, देशत्री
- रंगसामी (अद्भोपा), दममी
- नगरचि, दरोगा, दरोगा-रजोत, रावण-राजपूत, हज़ूरी, वज़ीरो, दार्ज़िक, धाकड़
- धीवर, कहार, भोई, सागरवंशी-माली
- कीर, मल्लाह, मेहरा, कांबिक, कंडेरा
- पिंजारा, मंसूरी, खारोली, किरार (किराड)
- कुम्हार (प्रजापति), कुमावती, लखेड़ा (लखरा)
- मनिहारी, लोधी (लोढ़ा, लोध), लोहार, पांचाली, महा-ब्राह्मण
- माली सैनी, बगवां, राय/रायन
- कुंजरा, मेर (मेहरत-कथत, मेहरत-घोदत, छिता)
- मिरासी, धादिक, मोगिया (मोगिया), निषाद, भिस्ती इत्यादि।
इन सब के आलावा भी राजस्थान में
- गडरिया (गदरी), घोषी (ग्वाला), गद्दी,
- गायरियो, गड़िया-लोहर, गडोल,
- घांची, गिरी गोसाईं (गुशैन),
- गूजर, गुर्जर, हेला, जनवा, सिर्विक
- जोगी, नाथू, जुलाहा (हिंदू और मुस्लिम),
- कच्छी, कच्छी कुशवाहा, कच्छी-शाक्य,
- कलाल (तक), नई, सैन, बैद नाई, न्यारिया, अजीब,
- पटवा (फदल), रायका, रेबारी (देबासी), रावत, उदास, स्वामी,
- सतिया-सिंधी, सिकलीगड़, सिरकावाली,
- स्वर्णकार, सुनार, सोनी, तमोली (तंबोली), तेली,
- ठठेरा, कंसरा, भरवा, सक्का-भिष्टी, सक्का-भिष्टी,
- भिश्ती-अब्बासी, मोची,
- धोबी, रंगरेज़, नीलगारी, गारी, जाट (भरतपुर और धौलपुर जिलों को छोड़कर),
- बरी, फकीर / फकीर (कादिरिस चिस्ती और नक्शबंदिया शामिल नहीं हैं),
- कसाई, सिलावट, (सोमपुरा मूर्तिकार को छोड़कर),
- कालबी, भटियार, राय-सिखो, सिंधी मुसलमान, देशवाली यह सभी पाए जाते है और यह सभी नाम हमें राजस्थान के अन्य पिछड़े वर्ग के बारे में बताते हैं।
Also read: I wish your all dreams come true meaning in Hindi
राजस्थान में सबसे ज्यादा संख्या किस जाति की है?
दोस्तों यदि हम वर्तमान की बात करें तो वर्तमान समय में कुछ ही ऐसे एथनिक ग्रुप है जो राजस्थान में बहुतायत में देखने को मिलते है, जैसे कि जाट, राजपूत, मीणा, गुर्जर, ब्राह्मण, माली, अग्रवाल, कुमार, कुमावत इत्यादि।
राजस्थान में तकरीबन 9% की आबादी राजपूतों की है, 12% की आबादी जाटों की है, 9% प्रतिशत की आबादी गुर्जर की है, 7.5% की आबादी ब्राह्मण की है, इसके अलावा राजस्थान में 89% हिंदू आबादी है, 9% मुस्लिम आबादी है, और बाकी की 2% आबादी अन्य धर्मों के लोगों की है, इन सभी में से अनुसूचित जातियों की आबादी 18% है, और अनुसूचित जनजातियों की आबादी 13% है।
इन सभी के अलावा ब्राह्मण तथा मीणा की आबादी पूरी आबादी का 7-7% है. यदि हम धार्मिक जनसंख्या की बात करें तो राजस्थान में हिंदू एक बहुत ही बड़ी मेजोरिटी में है जिनके अंतर्गत आने वाली अनुसूचित जातियों की आबादी पूरे राजस्थान का सबसे बड़ा प्रतिशत है, जो कि 48% है इसके पश्चात सारी अनुसूचित जनजातियां आती है जो कि 13% है। लेकिन यदि हम किसी मुख्य एथनिक ग्रुप की बात करें तो जाटों की आबादी पूरे राजस्थान में सबसे ज्यादा है, जो की पूरी आबादी का 12% है।
राजस्थान में कितने जिले हैं?
दोस्तों, आज के समय में पूरे राजस्थान में 33 जिले हैं, और इनके नाम कुछ इस प्रकार है- अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, दौसा, धौलपुर, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, करौली, कोटा, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सवाईमाधोपुर, सीकर, सिरोही, टॉक, और उदयपुर।
यह सभी जिले राजस्थान के हैं और इनकी कुल संख्या 33 है। राजस्थान का सबसे नया जिला प्रतापगढ़ है जो कि 26 जनवरी 2008 में बना था, तथा यह उदयपुर संभाग का जिला है।
Also read: दक्षिण भारत की गंगा किस नदी को कहा जाता है?
राजस्थान में गुर्जर की संख्या कितनी है?
दोस्तों, हमने आपको उपर बताया कि कैसे पूरे राजस्थान में गुर्जरों की आबादी राजस्थान की कुल आबादी का 9% है, और सन 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की कुल आबादी तकरीबन 6 करोड़ 85 लाख बताई गई थी, तथा 2020 में यूनीक आईडेंटिफिकेशन नंबर की लिस्ट के अनुसार राजस्थान की आबादी तकरीबन 81 मिलीयन यानी कि 8,10,00,000 बताई गई है।
इसलिए 8 करोड़ दस लाख का 9% यानी कि 72 लाख 90 हजार की आबादी केवल और केवल गुर्जरों की हो सकती है। राउंड फिगर 73 लाख की आबादी गुर्जरों की हो सकती है। राजस्थान में रहने वाले गुर्जर एक बहादुर कौम मानी जाती है।
राजस्थान में यह भी कहा जाता है कि गुर्जरों ने अंग्रेजों को पटक पटक कर मारा था। आज के समय राजस्थान की तरक्की में गुर्जरों का काफी ज्यादा योगदान है और उसी के अनुसार राजस्थान की कार्यकारिणी विधान सभा में भी गुर्जरों को एक अच्छी संख्या में प्रतिनिधित्व प्राप्त है,
जिसे कोई नकार नहीं सकता है। 9% की आबादी के साथ में गुर्जरों ने राजस्थान में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और जब भी विधानसभा के चुनाव आते है तो गुर्जरों का वोट किसी भी पोलिटिकल पार्टी को हारने या जिताने की क्षमता रखे है।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने जाना कि राजस्थान में सबसे ज्यादा जनसंख्या किस जाति की है, इसके अलावा हमने जातियों के बारे में और भी कई जानकारी हासिल करी. हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह लेख आपके लिए मददगार होगा। यदि आपके मन में कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।
राजस्थान में सबसे पावरफुल जाति कौन सी है?
राजस्थान में चरण बहुत प्रतिष्ठित और प्रभावशाली हैं। इस जाति की विशेषता यह है कि यह अपने चरित्र में राजपूतों और ब्राह्मणों की विशेषताओं को पर्याप्त रूप से जोड़ती है।
सबसे नीची जाति कौन सी होती है?
जातियाँ एक दूसरे से ऊँची या नीची होती हैं। एक ओर क्षत्रियों के बाद अन्य धार्मिक रूप से पवित्र ब्राह्मण जातियां हैं और दूसरी ओर अंत्यज श्रेणी की ‘अपवित्र’ और ‘अछूत’ जातियां सबसे नीचे हैं।
भारत में यादवों की संख्या कितनी है?
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य ने यादव रेजिमेंट की मांग उठाई और कहा कि देश में करीब 20 करोड़ यादव हैं और देश की सेना में उनकी बड़ी भागीदारी है.
भारत की सबसे ताकतवर जाति कौन सी है?
बंगाल के सैनिकों की भर्ती बिहार और उत्तर प्रदेश के राजपूतों, भूमिहारों आदि जैसी युद्धरत जातियों से की जाती थी। जबकि ब्रिटिश वफादार पस्टन, पंजाबी, कुमाउनी, गोरखा और गढ़वाली सैनिकों ने विद्रोह में भाग नहीं लिया और ब्रिटिश शासन के पक्ष में लड़े।
राजस्थान में सबसे ज्यादा एसटी आबादी किस जिले में है?
राजस्थान के जिलों में, उदयपुर में आदिवासी आबादी सबसे अधिक है जबकि बीकानेर में सबसे कम है।
राजस्थान की सबसे बड़ी जनजाति कौन सी है?
भील भिल्ल राजस्थान में सबसे बड़ा जनजाति है। बांसवाड़ा मुख्य क्षेत्र है जहां भिल्ल बड़ी संख्या में है।
Homepage | Click Hear |
General | Click Hear |
Technology | Click Hear |
Share Market | Click Hear |
Biography | Click Hear |