रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?

नमस्कार दोस्तों, आपने अक्सर रविवार के व्रत के बारे में तो जरूर सुना होगा, तथा आप की भी इच्छा कई बार हुई होगी कि आप रविवार का व्रत करें यदि आप हिंदू समाज के अंतर्गत मान्यता रखते हैं तो रविवार का व्रत आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए (ravivar vrat kab se shuru karen), यदि आपको इस सवाल का जवाब मालूम नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए, रविवार की पूजा कैसे की जाती है, रविवार के व्रत का महत्व क्या होता है,और इस विषय से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी अभी हम आपको इस पोस्ट में देने वाले हैं।

रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?

जैसा कि आपको पता ही होगा, कि रविवार के व्रत का काफी महत्व माना जाता है, तथा अलग अलग दृष्टि से इसका काफी बड़ा महत्व होता है, तो ऐसे में बहुत से लोगों के मन में रविवार का व्रत शुरु करने की इच्छा होती है, लेकिन उनको इस बारे में जानकारी नहीं होती है, कि रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए।

यदि आपको भी इसके बारे में जानकारी नहीं है कि रविवार का व्रत कब शुरू करना चाहिए तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि आप किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के रविवार से रविवार के व्रत को शुरू कर सकते हैं, इसके अलावा आप भादव के महीने के अंतर्गत भी रविवार के व्रत को शुरू कर सकते हैं, यह काफी शुभ दिन माना जाता है।

जब आज रविवार का व्रत शुरु कर देते हैं तथा आप उसको यह भी लंबे समय तक करना चाहते हैं तो आप इस परिस्थिति के अंतर्गत 1 साल से लेकर 5 साल तक रविवार के व्रत को कर सकते हैं, इसके अलावा यह भी आप उसको कम समय तक करना चाहते हैं, तो ऐसे में आप 12 से लेकर 20 रविवार के व्रत कर सकते हैं।

रविवार के व्रत में इसी तरह पूजन

surya devta ki katha
रविवार व्रत कब से शुरू करना चाहिए | ravivar ka vrat kab se shuru karna chahie

यदि आपको रविवार के व्रत के पूजा के बारे में पता नहीं है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं, कि यदि आपने रविवार का व्रत किया है, तो उसकी पूजा के लिए आपको रविवार के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान कर लेना है, तथा उसके बाद आपको एक लाल कपड़ा धारण कर लेना है।

इसके बाद आपको अपने दाहिने हाथ के अंतर्गत अक्षत और जल लेकर अपना नाम लेते हुए रविवार के बाद को शुरू कर देना है, तथा आपको कोई भी मनोकामना अपने मन के अंतर्गत दोहरानी है, तथा अपने हाथ में जल और फूल तथा अक्षत को जमीन पर छोड़ देना है। इसके अलावा आप इस को सूर्य भगवान की मूर्ति पर भी चढ़ा सकते हैं।

यह करने के बाद आपको सूर्य भगवान की पूजा करनी है, तथा सूर्य भगवान की आरती करनी है, और आप सूर्य भगवान के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं।

इस तरीके से आपको रविवार के व्रत के अंतर्गत अपनी पूजा संपन्न करना होता है

रविवार व्रत के मंत्र

  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
  • ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर: ।।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ।।

रविवार व्रत का महत्व

दोस्तों रविवार व्रत का महत्व काफी माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि रविवार का व्रत करने पर साधक पर सूर्य की कृपा बरस जाती है तथा जो भी रविवार का व्रत करता है उसके जीवन के अंतर्गत सभी सुख सम्मान तथा आरोग्य की प्राप्ति हो जाती है।

इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति रविवार का व्रत करता है तो ऐसे में उसकी कुंडली से सूर्य दोष अलग हो जाता है, या फिर दूर हो जाता है, तो ऐसे में आपकी कुंडली के अंतर्गत भी यदि सूर्य दोष है, तो आपके लिए रविवार का व्रत करना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है तथा इसके माध्यम से सूर्य दोष को अपनी कुंडली से अलग कर सकते हैं।

रविवार के व्रत के नियम

यदि आप रविवार का व्रत करते हैं या फिर आप रविवार का व्रत करने का सोच रहे हैं तो इसी में आपको रविवार के व्रत के अंतर्गत कई प्रकार की सावधानियां रखनी होती हैं, तथा कई अलग-अलग प्रकार के नियमों का पालन करना होता है, इसके अंतर्गत सबसे पहले आपको सुबह उठकर स्नान करना होता है, तथा लाल कपड़ा धारण करना होता है, या फिर पहनना होता है।

उसके बाद आपको सूर्य भगवान को जल अर्पित करना होता है, तथा उनको पुष्प चढ़ाने होते हैं, इसके अलावा आपको सूर्य भगवान की पूजा करनी होती है, उनके मंत्र पढ़ने होते हैं, तथा उनके मंत्रों का जाप करना होता है। और रविवार का व्रत करने के लिए आपको पूरी तरह से सुधर रहना होता है

तो यदि आप रविवार का व्रत करते हैं तो आपको इन अलग-अलग नियमों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

निष्कर्ष

तो दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपने जाना, कि रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए (ravivar ka vrat kaise karen), रविवार के व्रत के अंतर्गत किस तरह से पूजा की जाती है, रविवार का व्रत का महत्व क्या होता है, तथा रविवार के व्रत के नियम क्या-क्या होते हैं। हमें उम्मीद है कि आपको हमारी द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है।

रविवार के कितने व्रत रखने चाहिए?

सूर्य का व्रत एक वर्ष तक या 30 रविवार या 12 रविवार करना चाहिए। रविवार का व्रत करना चाहिए और शरीर को भरपूर ऊर्जा देने वाले उत्तम भोजन या पकवान का सेवन करना चाहिए। भोजन में ऊपर से नमक का प्रयोग न करें और सूर्यास्त के बाद नमक का सेवन न करें। इससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है और हर कार्य में बाधा आती है।

व्रत करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

जब आप भोजन करें तो दिन के समय को सीमित करें, और सर्वोत्तम प्रभाव के लिए, इसे दिन में पहले (सुबह 7 बजे से 3 बजे के बीच, या यहां तक कि सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक, लेकिन निश्चित रूप से शाम को सोने से पहले नहीं) करें। हर समय रात के समय स्नैकिंग या खाने से बचें।

क्या मैं रविवार के व्रत में सेंधा नमक खा सकता हूं?

चूंकि उपवास उन खाद्य पदार्थों के सेवन पर जोर देता है जो पाचन तंत्र पर हल्के होते हैं और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं, इसलिए सेंधा नमक आपके आहार को शुद्ध और स्वस्थ रखते हुए स्वाद जोड़ने का एक शानदार तरीका है।

रविवार के दिन क्या काम नहीं करना चाहिए?

इस दिन नीले, काले, भूरे, काले या नीले रंग के समान वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। रविवार के दिन खासकर सूर्यास्त के बाद नमक नहीं खाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि रविवार के दिन नमक खाने से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति के हर काम में बाधा आती है। रविवार के दिन व्यक्ति को बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।

रविवार का व्रत करने से क्या फल मिलता है?

मान्यता है कि रविवार का व्रत करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। साथ ही तेजस्विता प्राप्त होती है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति रविवार का व्रत रखता है और व्रत कथा का पाठ करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। साथ ही मान-सम्मान, यश और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

रविवार को खिचड़ी क्यों नहीं खाना चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार रविवार के दिन खिचड़ी खाना सही नहीं माना जाता है। खासकर काली उड़द की दाल से बनी खिचड़ी को रविवार के दिन गलती से भी नहीं खाना चाहिए। क्‍योंकि यह शनि से संबंधित भोजन है और ज्‍योतिष के अनुसार रविवार के दिन शनि से संबंधित चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

रविवार के दिन पूजा करने से क्या होता है?

कहा जाता है कि रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा (Suryadev Pooja) विशेष फलदायी होती है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से मान और यश की प्राप्ति होती है। – माना जाता है कि अगर आप पूरे हफ्ते सूर्य देव को जल नहीं चढ़ा पाए तो आपको रविवार के दिन सूर्य देव को जल जरूर चढ़ाना चाहिए।

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