भारत ने आजादी के बाद अन्य देशों के साथ अपने संबंध सुदृढ़ बनाने के लिए बहुत सारे समझौते किए हैं।देश में अमन शांति बनाए रखने के प्रयास में हमारे देश के नेताओं ने,समझौते के रूप में सराहनीय कदम उठाए हैं।ताशकंद समझौता भी इन्हीं समझौते में से एक है।आज हम इस लेख के माध्यम से जानेगेकि Tashkand Samjhauta kab hua. तो आप हमारे साथ इस लेख के अंत तक जरूर बन रहे।
ताशकंद समझौता क्या है? (tashkand samjhauta kya hai)
यह एक शांति समझौता था जो भारत और पाकिस्तान के बीचहुए युद्ध को हल करने के लिए किया गया था।इस समझौते के अनुसार कुछ नियम तय किए गए जो झगड़ों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने और शक्तियों का प्रयोग ना करने के संबंध में थे।यह समझौता भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के द्वारा एक लंबी बातचीत के बाद किया गया था। यह समझौता ताशकंद संधि के नाम से भी मशहूर हुआ।
ताशकंद समझौता कब और किसके बीच हुआ? (tashkand samjhauta kab hua tha)
ताशकंद शांति समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 को हुआ था।यह समझौता भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के द्वारा किया गया था।
ताशकंद समझौते की प्रमुख बातें:-
ताशकंद समझौते के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच निम्नलिखित बातें तय हुई:-
- जब कभी भारत और पाकिस्तान के बीच झगड़े होंगे तो उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से तय किया जाएगा।
- दोनों देश अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करेंगे।
- दोनों देश अपनी सेना को सीमा रेखा से पीछेहटा लेंगे।
- इन दोनों देशों के हित में की जाने वालीबातचीत जारी रहेगी।
- भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के आंतरिक मामलों में interfere नहीं करेंगे।
- दोनों देशों के मध्य राजनीतिक संबंधों को फिर से स्थापित किया जाएगा।
- दोनों देशों के बीच में प्रचार कार्य को फिर से शुरू कर दिया जाएगा।
- बिजनेस और फाइनेंशियल संबंध को फिर से स्थापित करने पर विचार किया जाएगा।
- लोगों के निर्गमन को बंद करने के लिए अनुकूल परिस्थितियों बनाई जाएंगी।
- हाल ही में हुए युद्धमे जब्त की गई एक दूसरे की संपत्ति को वापस करने पर विचार किया जाएगा।
- अवैध प्रवासी और शरणार्थियों की समस्याओं पर विचार विमर्श किया जाएगा।
ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर कहां हुए थे?
ताशकंद समझौता,दोनों देश अर्थात भारत और पाकिस्तान के बीच 5 अगस्त 1965 से लेकर 23 सितंबर 1965 तक हुए युद्ध को हल करने के लिए एक हस्ताक्षरित शांति समझौता किया गया था।इस समझौते पर हस्ताक्षर उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में किए गए थे।
ताशकंद समझौते का प्रभाव
ताशकंद समझौते के परिणाम स्वरूप दोनों देशों की सेनाएं उस सीमा रेखा पर तैनात हो गई जहां पर वहां युद्ध से पहलेतैनात थी। इस समझौते का भारत और पाकिस्तान के long term relations पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ा।
- ताशकंद समझौते का भारत पर प्रभाव
इस समझौते से जुड़ी एक अन्य बात है जिसका दुखद प्रभाव केवल भारत पर पड़ा और वह यह थी कि इस समझौते के केवल 12 घंटे बाद ही भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का रहस्यमई तरीके से निधन हो गया था।
इस घोषणा के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी की भारत में बहुत आलोचना हुई थी।यह बातउनके साथ गए एक सूचना अधिकारी द्वारा एकinterviewमे बताई गई थी,जिसमें उन्होंने बताया था की घोषणा के बाद दो बयान आए थे,जिसमें से एक कृष्ण मैनन का था और दूसरा अटल बिहारी वाजपेई का था।इन दोनों ने ही इस फैसले की आलोचना की थी।
- ताशकंद समझौते का साथ शास्त्रीजीके परिवार पर असर
शास्त्री जी के साथ गए सूचना अधिकारी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि मैं पाकिस्तान के साथ किए गए इस समझौते से शास्त्री जी की पत्नी भी उनसे नाराज थी। समझौते के बाद शास्त्री जी ने घर पर अपनी पत्नी से बात करना चाहा तो उनकी बेटी ने कहा कि अम्मा फोन पर नहीं आएगी।शास्त्री जीके द्वारा कारण पूछने पर उसने बताया कि “क्योंकि आपने ठिथवाल और हाजी पीर पाकिस्तान कोवापिस दे दिया है,इसलिए मां बहुत नाराज है।इस बात से भीशास्त्रीजीको बहुत धका लगा। जिसके बाद वह बहुत टेंशन में आ गएथे।
ताशकंद समझौता और शास्त्री जी की मृत्यु
भारत और पाकिस्तान के बीच 6 महीने तक युद्ध चला था।युद्ध खत्म होने के 4 महीने बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्री रूसी क्षेत्र ताशकंद में शांति समझौते के लिए रवाना हुए, जिसमें पाकिस्तान की तरफ से अयूब खान थे और भारत की तरफ से लाभ बहादुर शास्त्री जी थे। 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच समझौता हो गया।
इस समझौते के अनुसार जब तकी गई संपत्ति लौटाने की शर्तभी थी,जिसमें भारत को भारतीयसेना द्वारा जीता गया इलाका हाजी पीर और ठिथवाल भी पाकिस्तान को वापस करना था।ऐसा अनुमान लगाया जाता है किइस बात से भी शास्त्री जी दबाव में थे।कहा जाता है कि इस सदमे की वजह से उनकी मौत हो गई।
लाल बहादुर शास्त्री जी के इस समझौतेकि भारत में काफी आलोचना की जा रही थी ऐसा माना जाता है कि आलोचना के दबाव की वजह से शास्त्री जी की हृदय गति रुकने के कारण मौत हो गई थी,परंतु यह उनकी स्वाभाविक मौत थी या फिर यह मौत जहर देने की वजह से हुई थी इसका जवाब आज भी clear नहीं है।
निष्कर्ष
दोस्तों,आज के इस लेख में हमने जाना की ताशकंद समझौता इन हिंदी | tashkent samjhauta in hindi. हम नेइसलेख के माध्यम से आपको भारत और पाकिस्तान के बीच हुए ताशकंद समझौता के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है।हम आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी।यदि इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी पृश्नआपहमसे पूछना चाहते हैं तो हमें कमेंट अवश्य करें।
FAQ
ताशकंद समझौता कब हुआ था?
10 जनवरी 1966
ताशकंद समझौते पर किसने और कब हस्ताक्षर किए?
ताशकंद समझौता, (10 जनवरी, 1966), भारत के प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री (जिनकी अगले दिन मृत्यु हो गई) और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा हस्ताक्षरित, ने अगस्त-सितंबर 1965 के पाकिस्तान और भारत के बीच 17-दिवसीय युद्ध को चिह्नित किया। समाप्त।
ताशकंद समझौते के समय सोवियत संघ का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा था?
समझौते के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य तानाशाह अयूब खान भी मौजूद थे। सोवियत राष्ट्रपति अलेक्सी कोश्यिन ताशकंद में दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कर रहे थे।
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