नमस्कार दोस्तो, यदि आप हिंदी विषय के अंतर्गत रुचि रखते हैं या फिर आप काव्य के अंतर्गत रूचि रखते हैं तो आपने विभत्स रस के बारे में तो जरूर सुना होगा। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि विभत्स रस क्या होता है, यदि आपको इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
हम आपको इस पोस्ट के अंतर्गत हम आपको बताने वाले हैं कि विभत्स रस क्या होता है, इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी हर एक जानकारी इस पोस्ट में देने वाले हैं।
विभत्स रस क्या होता है?

जहां पर भी हम कोई ऐसी वस्तु को देखते हैं, जिनसे हमें घृणा होती है या फिर जिनसे हमें नफरत होती है, और उन वस्तुओं को देकर हमारे मन के अंतर्गत जो विचार आते हैं उसे ही विभत्स रस कहा जाता है।
इसको अगर आसान भाषा में बताया जाए तो किसी भी वस्तुओं को देखकर जब हमें कोई नफरत होती है या फिर घटना होती है, तो वहां पर भी विभत्स रस होता है।
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एक इंसान को क्यों नहीं भी चीजों के प्रति घृणा हो सकती है, यदि कहीं पर आप कुछ गलत होता हुआ देख रहे हैं, तो आपको उनके प्रति कुछ कहना हो सकती है, या फिर यदि आपके साथ कुछ गलत हो रहा है, तभी आपको घटना हो सकती है, या फिर कहीं पर भी यदि कोई आप को खराब चीज दिखती है, तो उसके प्रति आपको घटना हो सकती है, और उस परिस्थिति के अंतर्गत आपके मन के अंतर्गत उन चीजों के प्रति जो विचार आते हैं उनको ही विभत्स रस कहा जाता है।
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विभत्स रस सदैव किसी भी व्यक्ति के मन की घृणा को व्यक्त करने वाला रस होता है।
विभत्स रस के अवयव
- स्थाई भाव : ग्लानि or जुगुप्सा।
- आलंबन (विभाव) : दुर्गंधमय मांस, रक्त, अस्थि आदि ।
- उद्दीपन (विभाव) : रक्त, मांस का सड़ना, उसमें कीड़े पड़ना, दुर्गन्ध आना, पशुओ का इन्हे नोचना खसोटना आदि।
- अनुभाव : नाक को टेढ़ा करना, मुह बनाना, थूकना, आंखे मीचना आदि।
- संचारी भाव : ग्लानि, आवेग, शंका, मोह, व्याधि, चिंता, वैवर्ण्य, जढ़ता आदि।
विभत्स रस के कुछ उदाहरण
वैसे तो हमें विभत्स रस के उदाहरण अपने दैनिक जीवन के अंतर्गत में बहुत सारी देखने को मिल जाते हैं, जो कि हमने आपको ऊपर बताया भी है, लेकिन काव्य के रूप में हमने आपको नीचे कुछ इसके उदाहरण बताएं हैं :-
1. उदाहरण
आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते
शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते
भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे
खा माँस चाट लेते थे, चटनी सैम बहते बहते बेटे
2. उदाहरण
सिर पर बैठो काग, आँखि दोउ खात निकारत
खींचत जी भहिं स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत
गिद्ध जाँघ कह खोदि-खोदि के मांस उचारत
स्वान आँगुरिन काटि-काटि के खान बिचारत
विभत्स रस का उपयोग
1. अगर विभत्स रस के उपयोग की बात की जाए तो जब भी युद्ध का वर्णन किया जाता है, या फिर जब भी युद्ध के बारे में कोई काव्य लिखा जाता है, तो उसके अंतर्गत किस रस का प्रयोग काफी ज्यादा किया जाता है। क्योंकि आपको तो पता ही होगा, कि युद्धों के अंतर्गत एक दूसरे के प्रति घृणा अत्यंत मात्रा में देखने को मिलती है, तो ऐसे में इस रस का प्रयोग भी इस प्रकार के काव्य में काफी ज्यादा किया जाता है।
2. इसके अलावा कवितावली रामायण के अंतर्गत भी कवि तुलसीदास जी के द्वारा इस रस का प्रयोग काफी अच्छी तरह से किया गया है।
3. राक्षसों तथा दानव से जुड़ी कई पुरानी कथाओं के अंतर्गत विभत्स रस का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि उन कथाओं के अंतर्गत इनके चित्रण का वर्णन किया गया है, जिसमें हमें घृणा एक दूसरे के प्रति काफी ज्यादा देखने को मिलती है और इसी के कारण यहां पर विभत्स रस का प्रयोग भी काफी देखने को मिलता है।
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निष्कर्ष
तो इस पोस्ट के अंतर्गत हमने आपको बताया, कि विभत्स रस क्या होता है, इसके अलावा इस विषय से जुड़ी अन्य जानकारी अभी हमने आपके साथ शेयर की है। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई है, फिर तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है।