नमस्कार दोस्तो, भारत के अंतर्गत अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, और उन धर्मों के लोग भी अनेक जातियों के अंतर्गत बटे हुए हैं। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा कौन सी जाति के लोग हैं, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि भारत में सबसे ज्यादा कौन सी जाति के लोग हैं, हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।
भारत में सबसे ज्यादा कौन सी जाति के लोग हैं?
दोस्तों कई अलग-अलग प्रकार की परीक्षाओं के अंतर्गत भारत में सबसे ज्यादा कौन सी जाति के लोग हैं, से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं, तथा वहां पर अनेक छात्रों को इस सवाल के बारे में जानकारी नहीं होती है। यदि दोस्तों आपको भी इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि भारत के अंतर्गत सबसे ज्यादा ब्राह्मण जाति के लोग हैं। भारत के अंतर्गत पाई जाने वाली सभी जातियों के अंतर्गत ब्राह्मण जाति के लोग सर्वाधिक पाए जाते हैं।
भारत में सबसे ज्यादा कौन से धर्म के लोग हैं?
अगर दोस्तों जाति की बात नहीं की जाए धर्म की बात की जाए तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि भारत के अंतर्गत सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के लोग निवास करते हैं। उसके बाद दूसरे नंबर पर इस सूची के अंतर्गत इस्लाम धर्म का नाम शामिल है।
भारत की प्रमुख जातियां
वैसे तो दोस्तों भारत के अंतर्गत अनेक धर्म के लोग निवास करते हैं तथा इनके अंतर्गत सैकड़ों जातियां पाई जाती है लेकिन हमने यहां पर आपको भारत की कुछ विशेष जातियों के बारे में जानकारी दी है, जिनकी सूची निम्न है :-
राज्य | जनजातियाँ |
आंध्र प्रदेश | चेन्चू, कोचा, गुड़ावा, जटापा, कोंडा डोरस, कोंडा कपूर, कोंडा रेड्डी, खोंड, सुगेलिस, लम्बाडिस, येलडिस, येरुकुलास, भील, गोंड, कोलम, प्रधान, बाल्मिक। |
असम व नागालैंड | बोडो, डिमसा गारो, खासी, कुकी, मिजो, मिकिर, नागा, अबोर, डाफला, मिशमिस, अपतनिस, सिंधो, अंगामी। |
झारखण्ड | संथाल, असुर, बैगा, बंजारा, बिरहोर, गोंड, हो, खरिया, खोंड, मुंडा, कोरवा, भूमिज, मल पहाड़िया, सोरिया पहाड़िया, बिझिया, चेरू लोहरा, उरांव, खरवार, कोल, भील। |
महाराष्ट्र | भील, गोंड, अगरिया, असुरा, भारिया, कोया, वर्ली, कोली, डुका बैगा, गडावास, कामर, खडिया, खोंडा, कोल, कोलम, कोर्कू, कोरबा, मुंडा, उरांव, प्रधान, बघरी। |
पश्चिम बंगाल | होस, कोरा, मुंडा, उरांव, भूमिज, संथाल, गेरो, लेप्चा, असुर, बैगा, बंजारा, भील, गोंड, बिरहोर, खोंड, कोरबा, लोहरा। |
हिमाचल प्रदेश | गद्दी, गुर्जर, लाहौल, लांबा, पंगवाला, किन्नौरी, बकरायल। |
मणिपुर | कुकी, अंगामी, मिजो, पुरुम, सीमा। |
मेघालय | खासी, जयन्तिया, गारो। |
त्रिपुरा | लुशाई, माग, हलम, खशिया, भूटिया, मुंडा, संथाल, भील, जमनिया, रियांग, उचाई। |
कश्मीर | गुर्जर। |
गुजरात | कथोड़ी, सिद्दीस, कोलघा, कोटवलिया, पाधर, टोड़िया, बदाली, पटेलिया। |
उत्तर प्रदेश | बुक्सा, थारू, माहगीर, शोर्का, खरवार, थारू, राजी, जॉनसारी। |
उत्तरांचल | भोटिया, जौनसारी, राजी। |
केरल | कडार, इरुला, मुथुवन, कनिक्कर, मलनकुरावन, मलरारायन, मलावेतन, मलायन, मन्नान, उल्लातन, यूराली, विशावन, अर्नादन, कहुर्नाकन, कोरागा, कोटा, कुरियियान, कुरुमान, पनियां, पुलायन मल्लार, कुरुम्बा। |
छत्तीसगढ़ | कोरकू, भील, बैगा, गोंड, अगरिया, भारिया, कोरबा, कोल, उरांव, प्रधान, नगेशिया, हल्वा, भतरा, माडिया, सहरिया, कमार, कंवर। |
तमिलनाडु | टोडा, कडार, इकला, कोटा, अडयान, अरनदान, कुट्टनायक, कोराग, कुरिचियान, मासेर, कुरुम्बा, कुरुमान, मुथुवान, पनियां, थुलया, मलयाली, इरावल्लन, कनिक्कर, मन्नान, उरासिल, विशावन, ईरुला। |
कर्नाटक | गौडालू, हक्की, पिक्की, इरुगा, जेनु, कुरुव, मलाईकुड, भील, गोंड, टोडा, वर्ली, चेन्चू, कोया, अनार्दन, येरवा, होलेया, कोरमा। |
उड़ीसा | बैगा, बंजारा, बड़होर, चेंचू, गड़ाबा, गोंड, होस, जटायु, जुआंग, खरिया, कोल, खोंड, कोया, उरांव, संथाल, सआरा, मुन्डुप्पतू। |
पंजाब | गद्दी, स्वागंला, भोट। |
राजस्थान | मीणा, भील, गरासिया, सहरिया, सांसी, दमोर, मेव, रावत, मेरात, कोली। |
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह | औंगी आरबा, उत्तरी सेन्टीनली, अंडमानी, निकोबारी, शोपान। |
अरुणाचल प्रदेश | अबोर, अक्का, अपटामिस, बर्मास, डफला, गालोंग, गोम्बा, काम्पती, खोभा, मिश्मी, सिगंपो, सिरडुकपेन। |
जातियों की उत्त्पत्ति
भारत में जातियों के इतिहास का पता प्राचीन काल से लगाया जा सकता है। जातियों के इतिहास, उनकी उत्पत्ति और समय से संबंधित विषयों को लेकर विद्वानों में हमेशा मतभेद रहा है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार जाति की उत्पत्ति वर्णों में है। हमारे धर्म के ऋग्वेद के दसवें मंडल पुरुषसूक्त के अनुसार परमपिता ब्रह्मा का मुख ब्राह्मण है, उसकी भुजाएँ क्षत्रिय हैं, जाँघें वैश्य हैं और परमपिता के पैर शूद्र हैं।
इस प्रकार मानव सभ्यता की उत्पत्ति चार वर्णों से हुई है। मनुस्मृति के अनुसार, प्रत्येक वर्ण में आजीविका, व्यवसाय, शिक्षा, संस्कार और समाज के प्रति कर्तव्य से संबंधित कानून अस्तित्व में आए। इस सामाजिक कर्तव्य और व्यवस्था के अनुसार, शिक्षक वर्ग को ब्राह्मण वर्ण, शासक और रक्षक वर्ग को क्षत्रिय वर्ण, उत्पादक वर्ग वैश्य और सेवक वर्ग को शूद्र वर्ण में विभाजित किया गया था।
आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि भारत के अंतर्गत सबसे ज्यादा किस जाति के लोग रहते हैं, हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत भारत की जातियों से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि भारत के अंतर्गत किस जाति के लोग सबसे ज्यादा रहते हैं इसके अलावा भारत के अंतर्गत किस धर्म के लोग सबसे ज्यादा रहते हैं और भारत की प्रमुख जातियों के अंतर्गत किन किन जातियों का नाम आता है।
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
भारत में नंबर 1 जाति कौन सी है?
पदानुक्रम के शीर्ष पर ब्राह्मण थे जो मुख्य रूप से शिक्षक और बुद्धिजीवी थे और माना जाता है कि वे ब्रह्मा के सिर से आए थे।
हिंदू में कौन सी जाति सबसे ज्यादा है?
ब्राह्मणों का पारंपरिक व्यवसाय हिंदू मंदिरों में या सामाजिक-धार्मिक समारोहों में पुजारी का है, और पारित होने के अनुष्ठान जैसे कि भजन और प्रार्थना के साथ विवाह का जश्न मनाना। परंपरागत रूप से, ब्राह्मणों को चार सामाजिक वर्गों में सर्वोच्च अनुष्ठान का दर्जा दिया जाता है।
भारत की सबसे ताकतवर जाति कौन सी है?
बंगाल के सैनिकों की भर्ती बिहार और उत्तर प्रदेश के राजपूतों, भूमिहारों आदि जैसी लड़ने वाली जातियों से की जाती थी। जबकि ब्रिटिश वफादार पश्तून, पंजाबी, कुमाउनी, गोरखा और गढ़वाली सैनिकों ने विद्रोह में भाग नहीं लिया और ब्रिटिश शासन के पक्ष में लड़े।
सबसे पवित्र जाति कौन सी है?
क्षत्रिय पूजनीय हैं और ब्राह्मण पवित्र हैं तथा उन्हें अनेक धार्मिक, सामाजिक और नागरिक विशेषाधिकार प्राप्त हैं। इनके विपरीत अछूत जातियाँ हैं।
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