दोस्तों, भारत की राजधानी दिल्ली अपने ऐतिहासिक महत्व की वजह से पूरे भारत में प्रसिद्ध है, और ना केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में दिल्ली की चर्चा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस ऐतिहासिक रूप से धनी दिल्ली का जन्म कब हुआ?
यदि आप नहीं जानते और जानना चाहते हैं तो आज के लेख में हमारे साथ बने रहिएगा, क्योंकि आज के लेख में हम दिल्ली के संबंध में आपको कई महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं, और आपको यह भी बताएंगे कि दिल्ली का जन्म कब हुआ।
दिल्ली का जन्म कब हुआ था?
दिल्ली का जो आज नाम है, वह सन 1927 में दिया गया था। इसके पश्चात दिल्ली को भारत की नई राजधानी के तौर पर देखा जाने लगा / घोषित हुआ। इससे पहले भारत की राजधानी कोलकाता थी। लेकिन अब यह देखा जाए कि दिल्ली का जन्म कब हुआ तो इसका कोई मुख्य साक्ष्य/सबूत नहीं है।
दिल्ली की खोज आनंग़पाल तोमर के द्वारा पहली शताब्दी में की गई थी। इसके अलावा यदि दिल्ली के क्षेत्र की बात की जाए तो इसके परिमाण हमें महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ तक देखने को मिलते हैं। लेकिन कभी भी यह बताया नहीं गया है कि दिल्ली का जन्म कब हुआ। इसलिए आधिकारिक तौर पर यह कहा नहीं जा सकता कि दिल्ली का जन्म कब हुआ।
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दिल्ली का आखिरी राजा कौन था?
यदि हम दिल्ली के आखिरी राजा के बारे में आपको बताएं तो वह राजा मुगल साम्राज्य का बादशाह था, जिसका नाम बहादुर शाह द्वितीय था। बहादुर शाह द्वितीय की मृत्यु सन 1862 में बर्मा में हुई थी। उनकी उपस्थिति में ही ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरे भारत पर अपना अधिपत्य स्थापित कर दिया था। इसके पहले सन 1857 की क्रांति, जिसे मूल रूप से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सैन्य विद्रोह के नाम से भी जाना जाता था, उसने ब्रिटिश सरकार की कमर को पहले ही तोड़ दिया था, और ब्रिटिश सरकार को पता चल चुका था कि उनका समय समाप्त होने वाला है।
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इसके पश्चात समय-समय पर ब्रिटिश राज के कॉलोनियल अधिपत्य पर खतरा मंडराता रहा, और सन 1947 में भारत को आजादी मिल गई। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि भारत पर जिस राजा ने अंतिम तौर पर राज किया था वह मुगल साम्राज्य का बादशाह था, जिसका नाम बहादुर शाह द्वितीय था।
दिल्ली क्यों महत्वपूर्ण है?

दिल्ली के महत्वपूर्ण होने का एक बड़ा कारण यह है कि यह भारत की राजधानी है। राजधानी होने के साथ साथ यहां पर भारत को संपूर्ण रूप से दिखाया जाता है, जहां पर गरीबी, अमीरी, भारत सरकार, देश की जीडीपी, भारत का लोकतंत्र, भारत के तीनो स्तंभ – भारत के राष्ट्रपति, भारत का न्याय व्यवस्था, भारत का लोकतंत्र सब कुछ एक मुख्य बिंदु की तरह उभरकर सामने आता है।
इसलिए हम यह कह सकते हैं कि भारत अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। आज के समय भारत में भारत के लोकतंत्र के तीनों मंदिर यानि कि लोकसभा व राज्यसभा, और राष्ट्रपति के लिए राष्ट्रपति भवन, भारत का सुप्रीम कोर्ट यह तीनों केवल दिल्ली में स्थित है। इसलिए दिल्ली अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दिल्ली की खोज किसने की?
दिल्ली की खोज सन 1052 में हुई थी। 1052 में अनंगपाल तोमर राजा ने जो कि तोमर साम्राज्य का राजा था और तोमर डायनेस्टी का राजा माना जाता था, उन्होंने भारत की राजधानी दिल्ली की खोज की थी। इसके बारे में दिल्ली म्यूजियम के इन्स्क्रिप्शन में बताया जाता है कि दिल्ली की खोज अनंगपाल तोमर के द्वारा की गई थी। इनस्क्रिप्शन में बताया जाता है कि आनंदपाल तोमर दिल्ली में आठवीं शताब्दी के पास हरियाणा के एक गांव में जन्मा था।
दिल्ली का प्राचीन नाम क्या है?
यदि हम दिल्ली के प्राचीन नामों के बारे में आपको बताएं तो दिल्ली का सबसे प्राचीन नाम हमारे लेखों के अनुसार इंद्रप्रस्थ था। इंद्रप्रस्थ महाभारत काल के समय पांडवों की राज्य नगरी का नाम था, अर्थात यहां पर पांडवों ने राज किया था। इंद्रप्रस्थ से पहले भी यह एक विशाल जंगल हुआ करता था और उस जंगल में लाखों की संख्या में जहरीले सांप रहा करते थे।
उस जंगल का पूरा विनाश करके इंद्रप्रस्थ की स्थापना की गई थी। इसके पश्चात इंद्रप्रस्थ को और भी कई नामों से जाना जाता था। इंद्रप्रस्थ के प्राचीन नाम दिनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोजाबाद, जहानाबाद, तुगलकाबाद, शाहजहानाबाद, जनपद, जहांपनाह, यह सभी नाम भी दिल्ली के प्राचीन नाम है।
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निष्कर्ष
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