दोस्तों,आज के लेख में हम आप को राज्यपाल के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताएंगे कि राज्यपाल कौन होता है, राज्यपाल क्या करता है, Rajyapal Ki Niyukti Kaun Karta Hai तथा राज्यपाल बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए होती है। इसी के साथ हम आपकोभारत के संविधान में उन प्रावधानों के बारे में भी बताएंगे जो राज्यपाल से जुड़े हुए हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं –
राज्यपाल कौन है? | Rajyapal kaun hai?
दोस्तों, राज्यपाल जिसे गवर्नर के नाम से भी जाना जाता है, वह 1 तरीके सेकेंद्र सरकार का एक एजेंट होता है, जो राज्य की न्याय व्यवस्था, कानून व्यवस्था,तथा कार्यपालिका के कार्यों बारे में केंद्र सरकार को समय-समय पर जानकारी देता है।जैसा कि हम जानते हैं कि भारत के संविधानकी सातवीं अनुसूची में Separation of Powers को लेकर केसारे प्रावधान किए गए हैं, और बताए गए हैं किराज्य की शक्तियां क्या होंगी तथा केंद्र सरकार की शक्तियां क्या होगी।
लेकिन जब हम शक्तियों के बारे में जाना शुरु करते हैं, तब में पता चलता है कि एक राज्य चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो जाए, लेकिन केंद्र सरकार उस राज्य पर निगरानी रख सकती है। यदि राज्य सरकार कानून के अंतर्गत और संविधान के अंतर्गत कार्य नहीं करती है तो राज्य सरकार को ध्वस्त करने का काम भी केंद्र सरकार करती है।
केंद्र सरकार जब भी कोई कानून बनाती है तो वहबिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद में ही कानून बन पाता है। इसी प्रकार जब कोई मुख्यमंत्री अपने राज्य के लिए कानून बनाता है तब उसे भी उसबिलको एक कानून की शक्ल देने के लिएगवर्नर के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। एक गवर्नर किसी भी राज्य का एग्जीक्यूटिव हेड होता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों पर नजर कैसे रखती होगी और भला कोई एक आदमी पूरी सरकार पर कैसे रख सकता है? तो इसके लिए गवर्नर की नियुक्ति की जाती है। हालाँकि राज्यसरकार पर नजर रखने में राज्य मंत्रिपरिषद स्वयं कई बार राज्यपाल की मदद करते है। यह लोकतंत्र का एक सुनहरा पहलु है।
भारत में राज्यपाल / गवर्नर का पद एक संवैधानिक पद होता है औरभारत के संविधान के विभिन्न प्रकार के अनुच्छेदों मेंगवर्नर के बारे में पूरी जानकारी दी है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 153, 154, 155, 157, 158, 159, 160 और ऐसे ही कई अन्य और अनुच्छेदों मेंगवर्नर की शक्तियों से लेकर के उनके अपॉइंटमेंट तथा उनके निष्कासन तथा कार्यों तक की सभी प्रक्रियाएं विस्तार से बताई गई है, और गवर्नर से जुड़ेकानूनों के प्रावधानकिए गए हैं।
राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?
राज्यपाल एक बहुत ही महत्वपूर्ण पद होता है, और इस पद के लिए नियुक्त किए जाने वाला व्यक्ति भी महत्वपूर्ण होता है।आम तौर भारत के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिमंडल के सलाह पर गवर्नर की नियुक्ति करता है।
एक तरीके से इस पद की नियुक्ति पूरे भारत की अनुमति से हीकी जाती है,लेकिन राज्यपालकी नियुक्ति के लिए कोई चुनाव या जनमत संग्रह नहीं होता है। अब आप सोचते होंगे कि राज्यपाल की नियुक्ति के लिए कोई इलेक्शन नहीं किया जाता है फिर भीराज्यपाल की नियुक्तिपूरे देश की अनुमति से कैसे हो सकती है? तो इसका जवाब है कि राज्यपाल की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रीपरिषद / केंद्रीय मंत्रीमंडल के सलाह के अनुसार भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि राष्ट्रपति चाहते हैं कि A को X राज्य का गवर्नर बनाना चाहिए, जबकि केंद्रीय मंत्री परिषद यह चाहती है कि B कोX राज्य का गवर्नर बनाना चाहिए। ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रपति केवल और केवल मंत्रिपरिषद की राय के ऊपर ही कार्य करता है, और मंत्रिपरिषद जैसा कहता है वैसा काम राष्ट्रपति करता है।
मंत्री परिषद चुने हुए लोगों के द्वारा बन होती है, तथा चुने हुए लोगों के द्वारालिया गया हर फैसला लोगों का फैसला होता है। इसी प्रकार गवर्नर की नियुक्ति भारत के लोगों की अनुमति के द्वारा की जाती है। और यह नियुक्ति राष्ट्रपति स्वयं अपने हस्ताक्षर से करते हैं।
लेकिन यदि हम इसे एक आसान भाषा में समझना चाहे तो इस प्रकार समझ सकते हैं कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद के कहने पर एक राष्ट्रपति किसी गवर्नर की नियुक्ति करता है।
Also read: मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
संविधान में राज्यपाल का उल्लेख
भारत के संविधान के विभिन्न भागों में तथा अनुच्छेदों में गवर्नर को लेकर के विभिन्न प्रकार के प्रावधान किए गए हैं, और यह सारे प्रावधान कुछ इस प्रकार है-
- अनुच्छेद 153
अनुच्छेद 153 में बताया गया है कि हर राज्य के लिए एक गवर्नर होना चाहिए।
- अनुच्छेद 154
अनुच्छेद 154 में बताया गया है कि राज्य की सभी एग्जीक्यूटिव पावरगवर्नर के हाथों में होगी।
- अनुच्छेद 155
अनुच्छेद 155 में कहा गया है कि किसी भी राज्य का गवर्नर, भारत के राष्ट्रपति के द्वारानियुक्त किया जाएगा।
- अनुच्छेद 157
अनुच्छेद 157 में कहा गया है कि जो भी नागरिकगवर्नर नियुक्त किया जाएगा वह भारत का नागरिक होगा तथा 35 साल की उम्र पूरी कर चुका होगा।
- अनुच्छेद 158
अनुच्छेद 158 में बताया गया है कि कोई भी नागरिक जो गवर्नर बनना चाहता है वह भारत की संसद का सदस्य नहीं होगा, और भारत सरकार के अंतर्गत कोई भी लाभ का पद ग्रहण करना होना चाहिए, और ना हीअपने कार्यकाल तक अपने पद के आलावा कोई अन्य पद धारण करेगा।
- अनुच्छेद 159
अनुच्छेद 159 में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति गवर्नर के लिए नियुक्त या डिस्चार्ज किया जाएगा वह अपने पद की गोपनीयता की शपथ लेगा।
- अनुच्छेद 160
अनुच्छेद160मेंबताया गया है कि एकगवर्नर कोराष्ट्रपति किस प्रकार उसकी ड्यूटी से डिस्चार्ज कर सकते हैं।
- अनुच्छेद 161
अनुच्छेद 161 में बताया गया है कि किसी भी राज्य के गवर्नर के पास में किसी मुजरिम के क्षमादान तथा दंड रोकने की शक्तियां होंगी हालांकि इसमें मृत्युदंड के क्षमादान का प्रावधान नहीं है।
- अनुच्छेद 163
अनुच्छेद 163 के अंतर्गतयह प्रावधान किया गया है कि राज्य मंत्रिपरिषदअपने मुख्यमंत्री के साथ मेंराज्यपाल को उनकी शक्तियां निर्वहन करने में मदद करेंगे।(इसी के अंतर्गत हमने आपको ऊपर बताया था कि राज्य मंत्री परिषद् खुद राज्य पर निगरानी रखने में गवर्नर की मदद करती है।)
- अनुच्छेद 164
अनुच्छेद164 में यह प्रावधान है कि एक राज्यपाल मुख्यमंत्री को नियुक्त करेगा और मुख्यमंत्रीकीसलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा।
- अनुच्छेद 165
अनुच्छेद 165 मेंबताया गया है कि एक गवर्नर राज्य के एडवोकेट जनरल की नियुक्ति करेगा।
- अनुच्छेद 166
अनुच्छेद166 में यहबताया गया है कि राज्य में होने वाले सभी एग्जीक्यूटिव काम गवर्नर के नाम से किए जाएंगे।
- अनुच्छेद 174
अनुच्छेद 174 में यह प्रावधान है कि एक राज्यपालविधानसभाके सत्र को भुला सकता है, सत्र को भंग कर सकता है, तथा सत्र को निलंबित कर सकता है।
- अनुच्छेद 175
अनुच्छेद 175 में यह प्रावधान है कि यदि गवर्नर चाहे तो वह विधान सभा को संबोधित कर सकते हैं।
- अनुच्छेद 176
अनुच्छेद176 में प्रावधान है किगवर्नर विधानसभा में एक स्पेशल भाषण देंगे।
- अनुच्छेद 200
अनुच्छेद 200 में यह प्रावधान किए गए हैं कि कौनसे कानूनों को बनाने के लिए गवर्नर की इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी, या कहे तो गवर्नर की आज्ञा की आवश्यकता होगी। किन के लिए नहीं होगी और कौन सा बिल बिना गवर्नर की इच्छाके बिना भी पास किया जा सकेगा।
- अनुच्छेद202
अनुच्छेद 202 में यह प्रावधान है किराज्य का गवर्नर, हर वित्त वर्ष में विधानसभा को यह बताएगा कि पिछले वित्त वर्ष में राज्य सरकार द्वारा कितनेखर्चे किए गए हैं।
- अनुच्छेद 203
अनुच्छेद 203 में No Demand for Grant के बारे में जानकारी दी गई है।
- अनुच्छेद 205
अनुच्छेद 205 के अंतर्गत एक राज्यपाल विधानसभा के पटल पर अनुमानित खर्च और तथा रिसिप्ट के बारे में जानकारी देंगे।
- अनुच्छेद 213
अनुच्छेद 213 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि यदि विधानसभा सत्र में ना हो और कानून बनाना जरूरी हो तो एक राज्यपाल एक ऑर्डिनेंस के जरिए कोई भी कानून लागू कर सकता है, जिसकी वैधता 6 महीने के लिए होगीऔर जिसे 6 महीने के अंदर भी समाप्त किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 217
अनुच्छेद 217 के अनुसारएक गवर्नर को हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति करने के सम्बन्ध में कुछ अधिकार होंगे।
Also read: विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय कौन सा है?
राज्यपाल बनने के लिए क्वालिफिकेशन
राज्यपाल बनने के लिए क्वालिफिकेशन के बारे में भारत के संविधान में बताया गया है। भारत के संविधान में कहा गया है कि-
- जो व्यक्ति राज्यपाल बनना चाहता है उसकी आयु 35 वर्ष या फिर इससे अधिक होनी चाहिए।
- एक राज्यपाल विधानसभा, विधान परिषद, या फिर संसद का सदस्य नहीं होना चाहिए।
- जो व्यक्ति गवर्नर बनना चाहता है उसके लिए यह आवश्यक है कि वह भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले किसी भी लाभ के पद को ग्रहण ना करता हों।
- एक गवर्नर को अपना पद हासिल करते समय गोपनीयता की शपथ लेनी होती है।
राज्यपाल की योग्यता
1. वह भारत का नागरिक हो,
2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो,
3. वह राज्य सरकार या केन्द्र सरकार या इन राज्यों के नियंत्रण के अधीन किसी सार्वजनिक उपक्रम में लाभ के पद पर न हो,
4. वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो।
5. वह पागल या दिवालिया घोषित न किया जा चुका हो।
राज्यपाल के क्या काम है?
एक राज्यपाल के विभिन्न प्रकार के काम होते हैं, जैसे कि-
- एक राज्यपाल विधानसभा का सत्र शुरू करता है।
- वह विधानमंडल या राजकीय मंत्रिपरिषद के द्वारा किसी भी विधेयक को कानून के रूप में बदलता है।
- इसके अलावा वह मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है।
- अन्य मंत्रियों को अपोइन्ट करता है।
- सेंट्रल गवर्नमेंट के एजेंट के तौर पर राज्य में कानून व्यवस्था तथा न्याय व्यवस्था की रिपोर्ट समय-समय पर केंद्र सरकार को भेजता है।
- राज्य के सभी विश्वविद्यालयों का कुलपति होता है।
- वह उपकुलपतियों की नियुक्ति करता है।
- इसी के साथ राज्य के हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
Also read: विश्व में कुल कितने महाद्वीप हैं उनके नाम?
राज्यपाल का वेतन
राज्यपाल का सामान्य तौर पर वेतन 3.5 लाख रुपए का होता है, और यदि एक राज्यपाल एक से अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल है तो उसकी सैलरी राष्ट्रपति की सलाह से निर्धारित करते हैं।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने जाना कि राज्यपाल क्या होता है राज्यपाल को कौन नियुक्त करता है, इसके अलावा हमने राज्यपाल से जुड़े कुछ संवैधानिक प्रावधानों, तथा राज्यपाल के कार्य, और अन्य तथ्यों पर आपको जानकारी दी। हम आशा करते हैं कि आज का यह लेख आपके लिए मददगार रहा होगा। यदि आपके मन में कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
FAQ
क्या राज्यपाल मुख्यमंत्री बन सकता है?
मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा। राज्यपाल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य व्यक्ति को राज्य के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त करेगा। किसी राज्य की सरकार की सभी कार्यकारी कार्रवाई राज्यपाल के नाम से की जाने वाली कही जाएगी।
Rajyapal ki niyukti kaun karta hai?
Rajyapal ki niyukti kaun karta hai आर्टिकल में संपूर्ण जानकारी दिया है।
Homepage | Click Hear |
General | Click Hear |
Technology | Click Hear |
Share Market | Click Hear |
Biography | Click Hear |