नमस्कार दोस्तो, किसी भी मंदिर या पूजा स्थल के अंतर्गत वहां पर सबसे महत्वपूर्ण वस्तु भगवान की मूर्ति होती है। इसके अलावा किसी भी मंदिर के अंतर्गत सबसे पवित्र चीज भगवान की मूर्ति को ही माना जाता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि भगवान की मूर्ति किस धातु की बनी होनी चाहिए। यदि आपको इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने वाले हैं, कि भगवान की मूर्ति किस धातु की होनी चाहिए, इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी हर एक जानकारी इस पोस्ट में देने वाले हैं।
भगवान की मूर्ति किस धातु की होनी चाहिए?
अगर दोस्तों आप भी इस विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, कि भगवान की मूर्ति किस धातु की होनी चाहिए तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूंगी कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार किसी भी धातु की मूर्ति रख सकता है। अधिकांश जगहों पर भगवान की मूर्ति के लिए पीतल, तांबा, चांदी, सोना आदि धातु का इस्तेमाल किया जाता है।
आप किसी भी धातु का इस्तेमाल भगवान की मूर्ति के लिए कर सकते हैं, लेकिन आप जब भी भगवान की मूर्ति स्थापित करते हैं, तो आपको वहां पर हमेशा पूजा-अर्चना करनी आवश्यक होती है।
घर में टूटी मूर्ति रखने से क्या हो सकता है?
यदि दोस्तों आप अपने घर के अंतर्गत टूटी मूर्ति रखते हैं तो यह काफी अशुभ संकेत माना जाता है, तथा आपके साथ निम्नलिखित हानियां हो सकती हैं:-
- अगर दोस्तों आपके घर में टूटी हुई मूर्ति रखी होती है, तो इसका यह माना जाता है, कि टूटी हुई मूर्ति आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालकर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश आपके घर के अंतर्गत करवा देती है, जो कि काफी अशुभ संकेत होता है।
- यदि आपके घर के अंतर्गत किसी भी भगवान की टूटी हुई मूर्ति रखी है, तो भगवान आप से काफी नाराज हो सकते हैं।
- यदि आपके घर के अंतर्गत टूटी हुई मूर्ति रखी है, तो यह वास्तु शास्त्र के अनुसार काफी अशुभ माना जाता है।
- किसी भी घर के अंतर्गत यदि टूटी हुई मूर्ति रखी है, तो यह हमारी एकाग्रता की शक्ति को काफी नष्ट कर देता है।
- यदि दोस्तों आपके घर के अंतर्गत टूटी हुई मूर्ति रखी है तो आपकी दिमाग में काफी नेगेटिव तथा कई एसिड विचार आने वाले हैं, और यह आपकी जीवन के अंतर्गत कई अलग-अलग चीजों के अंदर बाधा पैदा कर सकते हैं।
- यदि किसी भी व्यक्ति के घर में टूटी हुई मूर्ति रखी है, तथा वह मूर्ति उसे बार-बार नजर आती है, तो यह उसके लिए काफी नकारात्मक संकेत माना जाता है।
खंडित मूर्ति का विसर्जन कैसे करें?
यदि दोस्तों आप किसी भी खंडित मूर्ति का विसर्जन करना चाहते हैं तो ऐसे में आप उस मूर्ति को किसी भी गुरु के आश्रम के अंतर्गत दे सकते हैं, ताकि उस मूर्ति का इस्तेमाल कर सके।
तो इस पोस्ट के अंतर्गत हमने आपको बताया कि भगवान की मूर्ति किस धातु की होनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई है, फिर तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है।
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निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया भगवान की मूर्ति किस धातु की होनी चाहिए | bhagwan ki murti kis dhatu ki honi chahiye के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
FAQ
घर में कितने फिट की मूर्ति रखनी चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार घर के मंदिर में रखी देवी-देवताओं की मूर्ति का आकार 3 इंच से अधिक नहीं होना चाहिए। मूर्ति को अंगूठे की लंबाई के बराबर रखना चाहिए। घर के मंदिर में अंगूठे के आकार से बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।
पुरानी मूर्तियों का क्या करना चाहिए?
नई मूर्ति की स्थापना के बाद भूलकर भी पुरानी मूर्तियों का अपमान न करें। इन्हें किसी कागज या साफ कपड़े में लपेट कर सुरक्षित रख लें। फिर जब भी मौका मिले इन्हें अपने घर के पास किसी नदी या नहर में विसर्जित कर दें। यदि किसी नदी या नहर का जल गंदा हो तो उसमें पुरानी मूर्तियों को प्रवाहित न होने दें।
क्या भगवान की मूर्ति को दक्षिण दिशा में रख सकते हैं?
जब किसी भी देवी-देवता की मूर्ति स्थापित करने की बात आती है (ऐसी मूर्तियों को घर के मंदिर में न रखें) तो उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। भगवान का मुख दक्षिण दिशा की ओर होने के कारण सूर्य का प्रकाश उनके अंदर प्रवेश नहीं कर पाता और भक्तों में भी सकारात्मक ऊर्जा नहीं आ पाती।
भगवान की मूर्ति का मुंह किधर होना चाहिए?
हिन्दू शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि मंदिर हो या घर भगवान का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। पूर्व दिशा को सकारात्मक ऊर्जा की दिशा माना जाता है। इस दिशा को शुभ माना जाता है क्योंकि यह वह दिशा है जिसमें भगवान सूर्य का उदय होता है।
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