नमस्कार दोस्तो, जैसा कि आपने अनेक जगहों पर यह सुना होगा कि भारत को प्राचीन काल में सोने की चिड़िया कहा जाता था। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि भारतीय इतिहास का कौन सा काल स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है?, (bhartiya itihas mein kis yug ko swarn yug ke naam se jana jata hai) यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है, (bhartiya itihas ka swarn yug kise kaha jata hai) हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।
स्वर्ण युग से आप क्या समझते हैं? (swarn kal kise kaha jata hai)
भारतीय इतिहास में, गुप्ता काल को स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। इतिहास में, स्वर्ण युग को वह अवधि कहा जाता है जिसमें राज्य और लोगों का चौतरफा विकास होता है। निस्संदेह, भारत की बहुमुखी प्रगति गुप्ता काल के दौरान हुई और हमारे देश का सिर अन्य देशों के सामने ऊंचा हो गया।
भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है? (bhartiya itihas ka swarn yug kise kaha jata hai)
दोस्तों अक्सर कई बार अलग-अलग लोगों से यह सवाल पूछ लिया जाता है कि भारत के इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है, या फिर भारत को सोने की चिड़िया किस समय कहा जाता था यदि आपको इस विषय के बारे में जानकारी नहीं है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि गुप्त काल को प्राचीन भारत के इतिहास में स्वर्ण युग के नाम से जाना जाता है। यानी कि भारत इतिहास का स्वर्ण युग गुप्त काल को कहा जाता है।
गुप्त काल को भारत के इतिहास का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है?
जैसा कि दोस्त हमने यहां पर आपको बताया कि गुप्त काल को भारत के इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है, लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि इसको भारत के इतिहास का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि, इसके पीछे का मुख्य कारण यह है, कि इस युग के अंतर्गत जाना मिली हुई, संस्कृतिया आगे आने वाले कई युगों तक एक प्रेरणा का स्रोत बनी है। आज हम भी जिन संस्कृतियों का पालन करते हैं, तथा जिन संस्कृतियों पर हम चलते हैं, उन सभी संस्कृतियों का जन्म गुप्त काल के अंतर्गत युवा था, इसी कारण गुप्त काल को भारत के इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है।
भारत का स्वर्ण युग कब से कब तक था?
गुप्त साम्राज्य के समय में प्राचीन भारत का स्वर्ण युग तीसरी शताब्दी और छठी शताब्दी सीई के बीच था और दूसरा दक्षिण भारत में चोल वंश के समय 10 वीं और 11 वीं शताब्दी सीई के बीच भारत का स्वर्ण युग था। था।
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आज आपने क्या सीखा
तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि भारत के इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है, (kaun sa kal prachin bharat ke itihaas mein swarn yug mana jata hai), हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत भारत के इतिहास का स्वर्ण युग से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर की है, जैसे कि भारत के इतिहास का स्वर्ण युग किसे कहा जाता है, इस को स्वर्ण युग करने के पीछे का क्या कारण था तथा इस युग के अंतर्गत ऐसा हुआ था, कि इस कारण से स्वर्ण युग कहा गया।
आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
FAQ
स्वर्ण युग किसे कहा जाता है?
शाहजहाँ के शासनकाल को अक्सर मुगल और मध्यकालीन इतिहास के स्वर्ण युग के रूप में वर्णित किया जाता है।
किस गवर्नर जनरल को भारत में स्वर्ण युग की शुरुआत कहा जाता है?
अपनी शक्तियों के चरम के दौरान, गुप्त साम्राज्य ने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को कवर किया। इतिहासकारों ने इसे भारत का स्वर्ण युग बताया है। साम्राज्य की नींव राजा श्री गुप्त ने रखी थी, हालांकि राजवंश के सबसे उल्लेखनीय और प्रसिद्ध शासक चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय हैं।
स्वर्ण युग किस काल का है?
स्वर्ण युग, लैटिन साहित्य में, लगभग 70 ईसा पूर्व से 18 ईस्वी तक की अवधि, जिसके दौरान लैटिन भाषा को एक साहित्यिक माध्यम के रूप में पूर्णता में लाया गया था और कई लैटिन शास्त्रीय कार्यों की रचना की गई थी।
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