करुण रस की परिभाषा, अवयव, भेद और उदाहरण

नमस्कार दोस्तो, यदि आप हिंदी विषय के अंतर्गत रुचि रखते हैं, या फिर आप हिंदी साहित्य के अंतर्गत रुचि रखते हैं, तो आपने करुण रस के बारे में तो जरूर सुना होगा जो कि हिंदी साहित्य के अंतर्गत एक काफी महत्वपूर्ण टॉपिक होता है।  दोस्तों क्या आप जानते हैं कि करुण रस की परिभाषा क्या होती है, यदि आपको इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

हम आपको इस पोस्ट के अंतर्गत हम आपको बताने वाले हैं कि करुण रस की परिभाषा क्या होती है (karun ras ka sthayi bhav rahti kya hai), इन के कितने प्रकार होते हैं, इसके अलावा हम आपको इस विषय से जुड़ी हर एक जानकारी इस पोस्ट में देने वाले हैं।

करुण रस की परिभाषा क्या होती है?

जहां पर हमें फिर से मिलने की आशा समाप्त हो जाती है या फिर पुनः मिलने की आशा समाप्त हो जाती है वहां कांग्रेस होता है। यहां पर हमें छाती पीट ना, रोना, भूमि पर गिरना आदि भाव देखने को मिलते हैं।

करुण रस के अवयव

दोस्तों करुण रस के अवयव हमें निम्न प्रकार से देखने को मिलते हैं:-

karun ras udaharan easy
करुण रस का सरल उदाहरण बताइए | karun ras in hindi
  1. करुण रस के अंतर्गत हमें स्थाई रूप या फिर स्थाई भाव के अंतर्गत शोक देखने को मिलता है।
  2. इस रस के अंतर्गत आलंबन के तौर पर विनिस्ट व्यक्ति या वस्तु देखने को मिलती है।
  3. करुण रस के अंतर्गत हमें उद्दीपन के तौर पर आलंबन का दहक्रम, ईस्ट के गुण तथा उससे संबंधित वस्तुएं एवं ईस्ट के चित्र का वर्णन मिलता है।
  4. दोस्तों करुण रस के अंतर्गत हमें अनुभव के तौर पर भूमि पर गिरना, निस्वास, छाती पीटना, रुदन, रोना आदि देखने को मिलता है।
  5. इसके अलावा इस करुण रस में हमें संचारी भाव के रूप में निर्वेद, मोह, व्याधि, ग्लानि, स्मृति, श्रम, निषाद जड़ता आदि देखने को मिलता है।

करुण रस के उदाहरण

दोस्तों करुण रस के अलग-अलग उदाहरण निम्न प्रकार से है:-

1. उदाहरण

हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक

गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक

2. उदाहरण

हुआ न यह भी भाग्य अभागा

किस पर विकल गर्व यह जागा

रहे स्मरण ही आते

सखि वे मुझसे कहकर जाते

3. उदाहरण

अभी तो मुकुट बंधा था माथ

हुए कल ही हल्दी के हाथ

खुले भी न थे लाज के बोल

खिले थे चुम्बन शून्य कपोल

4. उदाहरण

धोखा न दो भैया मुझे, इस भांति आकर के यहाँ

मझधार में मुझको बहाकर तात जाते हो कहाँ

5. उदाहरण

सीता गई तुम भी चले मै भी न जिऊंगा यहाँ

सुग्रीव बोले साथ में सब (जायेंगे) जाएँगे वानर वहाँ

6. उदाहरण

दुःख ही जीवन की कथा रही

क्या कहूँ, आज जो नहीं कहीं

7. उदाहरण

रही खरकती हाय शूल-सी, पीड़ा उर में दशरथ के

ग्लानि, त्रास, वेदना – विमण्डित, शाप कथा वे कह न सके

8. उदाहरण

हाय रुक गया यहीं संसार

बना सिंदूर अनल अंगार

वातहत लतिका वह सुकुमार

पड़ी है छिन्नाधार! — सुमित्रानंदन पंत

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निष्कर्ष

तो इस पोस्ट के अंतर्गत हमने आपको बताया, कि करुण रस की परिभाषा क्या होती है, ओर करुण रस के उदाहरण क्या क्या होते हैं (karun ras ki paribhasha udaharan sahit), इसके अलावा इस विषय से जुड़ी अन्य जानकारी अभी हमने आपके साथ शेयर की है। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई है, फिर तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है।

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