मछली एक जलचर प्राणी होती है जो तालाब तथा समुद्रों में पाई जाती है। समुद्र के आस पास वाले इलाकों में मछलियों को पकड़ कर उनका व्यापार किया जाता है। मछलियों का पोषण करना उनका एक प्रमुख स्त्रोत होता है। इस इलाके के लोग मछलियों को खाना भी अधिक पसंद करते हैं। जो मछलियों को खरीदने एवं बेचने का व्यापार करते हैं उन्हें मछुआरा कहा जाता है।
समुद्र में भी कई तरह की मछलियां पाई जाती हैं जो कि कुछ साइज में बड़ी होती हैं तो कुछ साइज में एकदम छोटी होती हैं। और कुछ मछलियां तो इतनी विशालकाय और खतरनाक होती है कि वह मनुष्य को भी खा सकती हैं। पूरी दुनिया में मछलियों की 28500 प्रजातियां उपस्थित है।
इनमें से तो किसी एक मछली को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। आज हम आपको इस लेख में मछली की एक प्रजाति के बारे में जानकारी देने वाले हैं। जिसका नाम Trout fish (ट्राउट मछली) है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह Trout fish क्या है? और ट्राउट मछली कहां पाई जाती है? तो कृपया इस लेख को अंत तक पढ़े। आपको इस सवाल का जवाब अवश्य मिलेगा।
ट्राउट फिश क्या है?
ट्राउट फिश मछलियों की प्रजातियां में से एक प्रजाति है। ट्राउट फिश एक तरह की खेल मछली है। सरल शब्दों में, जो मछलियां हमें ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि हमारे साथ खेलती हैं, उन्हें खेल मछली कहा जाता है। आपने कई तरह की खेल मछलियों के बारे में भी सुना होगा।
ट्राउट मीठे पानी की मछली की प्रजातियां हैं। जो जेनेरा ओन्कोरहिन्चस, साल्मो और साल्वेलिनस से संबंधित हैं, जो कि साल्मोनिडे परिवार के सबफ़ैमिली साल्मोनिनाई हैं। ट्राउट शब्द का प्रयोग कुछ गैर-साल्मोनिड मछलियों के नाम के हिस्से के रूप में भी किया जाता है, जैसे कि सिनोसियन नेबुलोसस, चित्तीदार सीटराउट या धब्बेदार ट्राउट। ट्राउट फिश को आमतौर पर रैंबो ट्राउट स्टील हेड के रूप में भी जाना जाता है। भारत में ट्राउट मछली 1907 ईस्वी में आई थी।
ट्राउट फिश विभिन्न प्रकार की होती है- जैसे रेंबो ट्राउट फिश, गोल्डन ट्राउट फिश, ब्राउन ट्राउट फिश, लेक ट्राउट फिश, डॉली वार्डन ट्राउट फिश, गिला ट्राउट फिश, टाइगर ट्राउट फिश, इत्यादि। ट्राउट मछली में काटे नहीं पाए जाते है। इसके कारण हम इसे बिल्कुल ही आसानी से पका और खा सकते हैं। और इसमें अधिक मात्रा में एनर्जी, प्रोटीन और कोलेस्ट्रोल पाया जाता है। इसलिए यह खाने में सेहत के लिए हानिकारक नहीं होती।
ट्राउट मछली कहां पाई जाती है?
ट्राउट मछली अधिकतर ठंडे पानी एवं ताजा पानी में पाई जाती है। यह केवल ठंडे पानी और ताजे पानी में ही पैदा होती है। और कुछ समय बताने के बाद यह समुद्र या किसी अन्य तालाबों में भी जीवन यापन करने के लिए चली जाती है। लेकिन जब ट्राउट मछलियों को प्रश्न करना होता है। तो यह वापस ताजे एवं ठंडे पानी में आ जाती है, और प्रजनन करती हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है, जब इन्हें बच्चा पैदा करना होता है, तो यह वही वापस आती है जहां पर यह पैदा हुई थी।
भारत में ट्राउट मछलियां सबसे अधिक ठंडी जगह पर पाई जाती हैं। जैसे – हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड यह दोनों ही जगहों का तापमान बहुत ही ठंडा होता है। ट्राउट मछलियों के लिए 10 से 15 डिग्री का तापमान होना चाहिए।
ट्राउट मछलियां पहले भारत में नहीं पाई जाती थी पहले यह केवल विदेशों में केवल ठंडी जगहों पर ही पाई जाती थी। लेकिन 1960 ईस्वी से भारत में ट्राउट मशीनों का आयात शुरू हुआ। ट्राउट मछलियों को खिलाने के लिए एक अलग तरह की बीज भी आती है जिससे ही वह मछलियां ठीक तरह से पनपती हैं। मछलियों को पाला भी जा सकता है लेकिन उसके लिए एक अच्छे व्यवस्थित जगह की जरूरत पड़ती है भारत में कई लोग ट्राउट मछलियों का उत्पादन और व्यापार करते हैं।
Also read:
- विटामिन की खोज किसने की है?
- एक्स-रे की खोज किसने की
- Neutron की खोज किसने की
- प्रोटॉन की खोज किसने की थी
निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (Trout fish in Hindi | ट्राउट मछली) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
FAQ
ट्राउट फिश को हिंदी में क्या कहते हैं?
ट्राउट फिश के बारे मे आर्टिकल मे सारी जानकारी दिया है।
ट्राउट मछली महंगी क्यों होती है?
अन्य मछलियों के विपरीत, ट्राउट को खगोलीय 9 पीपीएम ऑक्सीजन सेवन की आवश्यकता होती है। इसलिए, वे तेजी से बहने वाले, क्रिस्टल साफ पानी में प्रजनन करते हैं। इसके अलावा, “ट्राउट धीमी गति से बढ़ने वाली मछली है और इसलिए बहुत महंगी है,” कुल्लू जिले के पाटलीकुहल में मत्स्य पालन के उप निदेशक आरके कोरला का दावा है।
Homepage | Click Hear |
General | Click Hear |
Technology | Click Hear |
Share Market | Click Hear |
Biography | Click Hear |