कई बार परीक्षाओं में, स्कूल की परीक्षा में, ब्रिटिश काल के बारे में कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे जाते हैं। उन सभी महत्वपूर्ण सवालों में से एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए (british kaal mein mahilaon ki sthiti par prakash daliye)।
जैसा कि हम जानते हैं कि ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति इतनी ज्यादा उन्नत नहीं थी। इसके बजाय महिलाओं की स्थिति और भी अधिक खराब हो चुकी थी, जो कि किसी भी राजशाही सिस्टम से अधिक खराब थी। अगर हम यह कहे कि ब्रिटिश काल में महिलाओं का सर्वाधिक उत्पीड़न किया जाता था तो यह गलत नहीं होगा।
इसीलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति कैसी थी। यदि आप ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति के बारे में जानना चाहते हैं, तो आज के लेख में हमारे साथ अंतर तक बने रहिएगा। क्योंकि आज के लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति कैसी थी। तो चलिए शुरू करते हैं-
ब्रिटिश काल की शुरुआत कैसे हुई?
ब्रिटिश काल की शुरुआत सन 1857 से मानी जाती है। लेकिन पहली बार ब्रिटिश सन 1608 में 24 अगस्त को गुजरात के सूरत में आए थे, और उनका उद्देश्य व्यापार करना था। 31 दिसंबर 1600 को रॉयल चार्टर के अनुसार क्वीन एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडीज के साथ व्यापार करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी को इजाजत दी थी, और व्यापार 1608 से शुरूहो चुका था।
ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए
यदि ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति पर बात की जाए तो ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति मुगल काल की तुलना में सही था अर्थात ब्रिटिश काल में मुगल काल की तुलना में महिलाओं पर कम उत्पीड़न किया जाता था। 1857 से लेकर सन 1950 तक ब्रिटिश काल रहा था, और तकरीबन 200 वर्षों के समय तक अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया था।
मुगल काल के समय महिलाओं को मुगल आक्रांता उसे बचाने के लिए बहुविवाह, विधवा विवाह निषेध, दहेज, प्रथा सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियां समाज को पकड़े हुई थी, जो कि ब्रिटिश शासन में भी लगातार बनी रही।
हालांकि मुगल शासन का सामंतवादी समाज, ब्रिटिश शासन को विरासत में मिला था। हम इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि ब्रिटिश शासन में भी महिलाओं को विलास की वस्तु ही समझा जाता था, जहां पर महिलाओं को अपने विचार रखने की आजादी तक नहीं थी।
ब्रिटिश काल के दौरान एक तरफ सामंतवादी व्यवस्था ने महिलाओं को दवाई हुए रखा था तथा दूसरी और साम्राज्यवादी नीतियों ने राष्ट्रवाद को कुचले हुए रखा था।
क्योंकि शासकों को लगता था कि महिला उत्थान से उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। ऐसी परिस्थिति जिसमें एक महिला पुरुष के ऊपर पूरी तरह से निर्भर हो और एक समाज पूर्ण रूप से पुरुष प्रधान समाज में परिवर्तित कर दिया गया है।
इससे समाज में महिलाओं की उन्नति पर प्रश्नचिन्ह लगा रहता है। हालांकि अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए अंग्रेजी शिक्षा पर दो जोड़ देना शुरू कर दिया। मुस्लिम समाज ने अंग्रेजी शिक्षा के विरोध में फतवे जारी कर दिए।
लेकिन बाकी अन्य समाज और धार्मिक वर्ग के लोगों ने अपने फायदे के लिए अंग्रेजी शिक्षा पर अपने बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। हालांकि अंग्रेजी शिक्षा से महिलाओं के जीवन में कोई अधिक सुधार नहीं हुआ। वह पहले की ही भांति पुरुषों की भोग विलास की वस्तु बनकर रहने लगी थी।
लेकिन ऐसे समय में भी कई महिलाएं महिलाओं के अधिकार के लिए अनेकों लड़ाइयां लड़ रही थी। उस समय भारत भयंकर अवनति तथा उद्योगों के नष्ट होने के समय के दौरान से गुजर रहा था। भारत अपने प्राचीन वैभव को भी लगभग हो चुका था।
वेदों की शिक्षाएं सभी के समझ से बाहर हो चुकी थी, तथा यह युग पराधीनता का युग बन चुका था ब्रिटिश शासन के दौरान महिलाओं का शोषण बना रहा। और महिलाओं को शोषित बनाए रखना ब्रिटिश शासन के फायदे में रहा ब्रिटिश काल के दौरान संयुक्त परिवार बिगड़ने लगे थे, तथा ग्रामीणों के बीच गरीबी और अज्ञानता का राज होने लगा था गांव की आबादी शहरों की तरह भागने लगी
महिलाओं का शोषण और भी अधिक बढ़ने लगा। ब्रिटिश काल के दौरान भी बालविवाह, पर्दा प्रथा महिलाओं की शिक्षा में बाधा यह सब कुछ ब्रिटिश काल का चेहरा बन चुका था। महिलाओं का मुख्य कार्य ब्रिटिश काल में भी बच्चे पैदा करना और पति के सभी संबंधों की सेवा करना ही रह गया था।
यदि आर्थिक क्षेत्र के बारे में बात की जाए तो महिलाओं की निर्योग्यता साफ-साफ देखने को मिलती है। ब्रिटिश काल में महिलाओं को न केवल संयुक्त परिवार की संपत्ति के रूप में समझा जाता था बल्कि उन्हें अचल संपत्ति में हिस्सा लेने से भी वंचित रख दिया जाता था।
हम इसे ऐसे समझ सकते है कि, यदि किसी लड़की की शादी होने के पश्चात उसके पति के देहांत हो जाए तो उसे अपने सास और ससुर से किसी भी प्रकार की अचल संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता था।
महिलाएं चाहे भूख से मरे, चाहे प्यास से मरे, या फिर कितने भी पीड़ित क्यों ना हो जाए, किंतु महिलाओं का कोई भी आर्थिक क्रिया करना, उनके स्थिति तथा कुलीनता के विरुद्ध मान लिया जाता था।
इसका यह परिणाम निकला कि ब्रिटिश काल में महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाने लगा, और इसके पश्चात भी उसे पुरुष की दया पर ही आश्रित रहना पड़ता था। ब्रिटिश काल में पर्दा प्रथा बाल विवाह जैसी कुरीतियां विद्यमान थी, और महिलाओं का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना भी असंभव था।
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निष्कर्ष
आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए | british kal mein mahilaon ki sthiti par prakash daliye) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।
FAQ
ब्रिटिश शासन के दौरान महिलाओं की स्थिति में कैसे सुधार हुआ?
महिलाओं की स्थिति में भी कुछ सुधार हुआ। सती प्रथा, बाल विवाह और पर्दा प्रथा में कमी आई और उनकी शिक्षा का विकास हुआ। वेदों के पुनर्अध्ययन और सभी सुधारकों द्वारा संस्कृति के महिमामंडन ने भारतीयों में स्वतंत्रता और राष्ट्रवाद की भावना को और मजबूत किया।
समाज में महिलाओं की क्या स्थिति थी?
भारत में महिलाओं की स्थिति हमेशा एक जैसी नहीं रही है। इसमें समय-समय पर परिवर्तन होते रहे हैं। वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक उनकी स्थिति में कई उतार-चढ़ाव आए हैं और उनके अधिकारों में तदनुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। वैदिक युग में महिलाओं की स्थिति मजबूत थी, परिवार और समाज में उनका सम्मान किया जाता था।
ब्रिटिश भारत में महिलाओं को सर्वप्रथम मताधिकार कब दिया गया?
1919 और 1929 के बीच, सभी ब्रिटिश प्रांतों, साथ ही अधिकांश रियासतों ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया और कुछ मामलों में, उन्हें स्थानीय चुनावों में खड़े होने की अनुमति दी।
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