आयुर्वेद क्या है? आयुर्वेद का जनक किसे माना गया है?

नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम आपको आयुर्वेद के बारे में जानकारी देने वाले है। प्राचीन काल में जब ऋषि मुनि व अन्य लोग बीमार होते थे तो उनका इलाज आयुर्वेदिक दवाइयों से किया जाता था और उस समय भी आयुर्वेदिक दवाई लोगों के लिए रामबाण थी और आज के समय में भी आयुर्वेद की दवाइयां लोगों के लिए कारगर और रोग मुक्त साबित होती हैं।

तो आइए मुख्य रूप से जानते है आयुर्वेद क्या है और हम आपको ये भी बताएंगे की आयुर्वेद के जनक किसे माना जाता है (ayurved ka pita kise kaha jata hai)। तो चलिए शुरू करते हैं

आयुर्वेद क्या है? | What is Ayurveda in hindi?

आयुर्वेद क्या है? | What is Ayurveda?
आयुर्वेदिक का जनक किसे कहा जाता है | ayurved ke janak kise kaha jata hai

आयुर्वेद एक चिकित्सा प्रणाली है जो भारत में 5000 वर्ष पहले से उत्पन्न हुई थी और आज भी ये लोगों के लिए कारगर सिद्ध होती है। इसलिए इस चिकित्सा प्रणाली का अनुसरण प्राचीन काल से किया जा रहा है।

आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है “आयुष” जिसका अर्थ है जीवन तथा वेद जिसका संस्कृत मे अर्थ है विज्ञान, दोनों के मेल से आयुर्वेद शब्द की उत्पत्ति हुई थी जिसका हिंदी में अर्थ है जीवन का विज्ञान।

आयुर्वेद के अनुसार केवल बीमारियों या रोगों से मुक्ति पाना ही स्वास्थ्य नहीं है बल्कि शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन भी होना अनिवार्य है। आयुर्वेद चिकित्सा इस विश्वास पर आधारित है कि उपचार का मार्ग शरीर और मानसिक में संतुलन स्थापित करना है। इसी लिए आयुर्वेदिक उपचार में बीमारियों को रोकने के लिए लोगों की जीवनशैली और खानपान में बदलाव करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

आयुर्वेद व्यक्ति के शरीर मन और आत्मा को एक संपूर्ण इकाई के रूप में देखता है और इस आधार पर कार्य करता है कि मन और शरीर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और यह दोनों मिलकर किसी भी बीमारियों को दूर करने में सक्षम है।

आयुर्वेद का जनक किसे माना गया है? | ayurved ke janak kise kahate hain

हम आपको बताएंगे आयुर्वेद का जनक किसे माना गया है, तो आयुर्वेद का जनक भगवान धन्वंतरि (Lord Dhanvantari) को माना जाता है। भगवान धन्वंतरि वैदिक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। आदिकाल आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रह्मा जी से ही शुरू हुई थी और ग्रंथों में रामायण, महाभारत, तथा विविध पुराणों की रचना मे आयुर्वेद के संदर्भ में भगवान धन्वंतरि को ही आयुर्वेद का जनक माना जाता है।

कुछ लोगों का ये भी मानना है कि आयुर्वेद के जनक आचार्य चरक हैं। दुनिया के ऐसे चिकित्सक जिन्होंने आयुर्वेद के माध्यम से दवा में क्रांति ला दी थी। आचार्य चरक एक प्राचीन वैज्ञानिक भी थे। जिन्हे The Father Of Indian Medicine के नाम से भी जाना जाता है।

आयुर्वेद के फायदे क्या हैं?

भारत आयुर्वेद चिकित्सा की एक पारम्परिक प्रणाली को विदेश में होमियो थेरेपी के रूप में जाना जाता है।। इसमें जड़ी-बूटियों का उपचार किया जाता है और इसके साइड साइड भी नहीं होते हैं। इसमें तेल, शाकाहारी, पेड़ पोधो की जड़ो लेकर आए सभी का उपयोग किया है। और आयुर्वेद दूध, दही और हड्डियों का उपयोग भी ओषधि बनाने में किया जाता है।

आयुर्वेद लगभग हर बीमारी का इलाज संभावित रूप से काल से ही आयुर्वेद गारंटी देता है।। आयुर्वेदिक उपचार के समय थोड़ा अधिक लग सकता है पर एलोपैथिक उपचार से काफी सुरक्षित होता है।। यह सब जानते हैं कि जो चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, उसके लिए विज्ञान को जल्दी स्वस्थ करने के लिए किसी व्यक्ति में खोज की जाती है रहती है।

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निष्कर्ष

आशा है या आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया हुआ इस आर्टिकल में हमने बताया (आयुर्वेदिक चिकित्सा का जनक किसे माना जाता है? | ayurvedic ka janak kise kaha jata hai) के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ भी Share कर सकते हैं अगर आपको कोई भी Question हो तो आप हमें Comment कर सकते हैं हम आपका जवाब देने की कोशिश करेंगे।

FAQ

आयुर्वेद किसका उपवेद है?

आयुर्वेद ऋग्वेद का एक उपवेद है। आयुर्वेद चिकित्सा से संबंधित है। इस शब्द का अंग्रेजी में अनुवाद “जीवन का ज्ञान” के रूप में किया जा सकता है। धनुर्वेद यजुर्वेद का एक उपवेद है और धनुष विज्ञान से संबंधित है।

आयुर्वेद का महत्व क्या है?

आयुर्वेद स्वास्थ्य लाता है और दोषों को संतुलित रखता है। कुल मिलाकर, इसका उद्देश्य उम्र की परवाह किए बिना सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखना और सुधारना है। आयुर्वेदिक दर्शन के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों (जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु) से बना है।

आयुर्वेदिक चिकित्सक कैसे बने?

आयुर्वेद में डॉक्टर बनने के लिए आप नीट-यूजी परीक्षा के जरिए बीएएमएस कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। यह कोर्स कई सरकारी, अर्ध-सरकारी और निजी कॉलेजों में पेश किया जाता है। इसकी कुल अवधि साढ़े पांच वर्ष है जिसमें एक वर्ष की इंटर्नशिप शामिल है।

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