आपने कभी न कभी भारतेंदु हरिश्चंद्र के बारे में तो जरूर सुना होगा, क्योंकि यह कोई छोटा मोटा नाम नहीं है। भारतेंदु हरिश्चंद्र एक बहुत बड़े कवि, लेखक और नाटककार थे। यदि आप 11वी या 12वी कक्षा में पढ़ रहे है, तो आपके किस भारतेंदु हरिश्चंद्र के जीवन परिचय के बारे में जान लेना काफी महत्वपूर्ण होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर इन कक्षाओं में भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जीवन से जुड़ी प्रश्न पूछे जाते है।
ऐसे में अगर आप भी परीक्षा में अच्छे अंक लाना चाहते हैं, तो आपको भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जीवन परिचय से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी होनी बहुत जरूरी है। बस भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने हेतु आपको हमारे आज के लेख को अंत तक पढ़ने की आवश्यकता होगी। क्योंकि आज के लेख में आप सभी को सरल शब्दों में भारतेंदु हरिश्चंद्र कौन थे से जुड़ी जानकारी प्रदान की जाने वाली है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र कौन थे?
यदि हम भारतेंदु हरिश्चंद्र कौन थे इसकी चर्चा करें, तो यह एक भारतीय लेखक, कवि और नाटककार थे। वही यदि हम इनके जन्म के बारे में चर्चा करें, तो इनका जन्म 9 सितंबर साल 1850 में हुआ था। भारतेंदु हरिश्चंद्र जी का जन्म एक सामान्य परिवार में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पिता जी का नाम गोपालचंद्र थे, जो की काशी के सुप्रसिद्ध सेठ माने जाते थे। भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को बचपन से काव्य प्रतिभा में काफी दिलचस्पी थी।
जब भारतेंदु हरिश्चंद्र जी केवल पांच वर्ष के ही थे, तब ही वे निम्न दोहा रचकर अपने पिता गोपालचंद्र जी को सुनाया करते थे और अपने पिता जी से ही इन्होंने सुकवि होने का भी आशीर्वाद लिया करते थे। यदि हम भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के शिक्षा की बात करें, तो चूंकि इनके पिता जी का हाथ इनके सर से 10 वर्ष की उम्र में ही उठ गया। जिसकी वजह से इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा घर से ही प्राप्त किया था।
भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय | bhartendu harishchandra ki jivani
![भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय एवं रचनाएँ | bhartendu harishchandra ka jeevan parichay aur rachna](https://hindineed.com/wp-content/uploads/2022/12/MY-Smart-suggestion-1024x576.jpg)
नाम | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |
मूल नाम | हरिश्चन्द्र |
उपाधि | भारतेन्दु |
उपनाम | रासा |
जन्म तिथि | 9 सितम्बर, 1850 |
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत) |
मृत्यु तिथि | 6 जनवरी, 1885 |
मृत्यु स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश (भारत) |
आयु (मृत्यु के समय) | 34 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | लेखक, कवि, उपन्यासकार, नाटककार |
अवधि/काल | आधुनिक काल |
विषय | आधुनिक हिन्दी साहित्य |
भाषा | हिन्दी, ब्रज भाषा एवं खड़ीबोली |
विधा | नाटक, काव्यकृतियाँ, अनुवाद, निबन्ध संग्रह |
रचनाएँ | ‘प्रेम-तरंग’ , ‘प्रेम माधुरी’ , ‘प्रेममालिका’ , ‘भारत दुर्दशा’, ‘अंधेर नगरी’ |
पिता का नाम | गोपाल चन्द्र |
माता का नाम | पार्वती देवी |
पत्नी का नाम | मन्नो देवी |
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के बचपन का नाम क्या था?
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के बचपन का नाम हरिचंद्र था। इनके पिता जी भी काफी बेहतर कवि थे। भारतेंदु हरिश्चंद्र जब केवल 5 साल के थे, तब उनकी मां गुजर गई थी। बचपन अवस्था में ही मां के गुजर जाने के बार भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के पिता जी का भी देहांत हो गया। इस तरह बचपन में ही मां बाप का साया भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के सर से उठ गया। हरिचंद्र जी का विवाह केवल 13 वर्ष में ही हो गई थी। हरिचंद्र जी का विवाह मन्नो देवी नाम की कन्या के साथ हुआ था।
भारतेंदु हरिश्चंद्र की भाषा शैली क्या है?
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क्या आप सभी को पता है कि भारतेंदु हरिश्चंद्र की भाषा शैली क्या है, यदि नहीं तो कोई बात नहीं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि हरिचंद्र ने मुख्य रूप से अपनी भाषा में चार तरह की शैलियो को स्थान प्रदान किया है।
- अलंकारिक शैली
- शैली व्यंगात्मक शैली
- भावात्मक शैली
- उद्धेधन शैली
भारतेंदु हरिश्चंद्र को कितनी भाषा आती थी?
क्या आप जानते है की भारतेंदु को कितनी भाषा आती थी, यदि नहीं तो आपको इस प्रश्न का जवाब आना जरूरी है। क्योंकि परीक्षा में ये सवाल अक्सर पूछे जाते हैं। तो जानकारी के मुताबिक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी को पद्य में ब्रजभाषा, गद्य में खड़ी बोली, व्याकरण की त्रुटियां इत्यादि भाषाएं आती थी।
भारतेंदु हरिश्चंद्र को भारतेंदु की उपाधि किसने दी थी?
यदि हम भारतेंदु हरिश्चंद्र को भारतेंदु की उपाधि किसने दी की चर्चा करें, तो भारदेंतु की उपाधि काशी के विद्वान ने प्रदान किया था। दरअसल, इन्होंने साल 1880 के दौरान यह उपाधि दिया था।
भारतेंदु हरिश्चंद्र की मृत्यु कैसे हुई थी?
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के शरीर से अस्वस्थ होने की वजह से एवं दुश्चिंताओ की वजह केवल 35 साल की आयु के मृत्यु हो चुकी थी। दरअसल, भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की मृत्यु 6 जनवरी 1885 को हुई थी।
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निष्कर्ष
आशा करता हूं कि आपको हमारा भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय का यह पोस्ट पसंद आया होगा (bhartendu harishchandra ka jeevan parichay par prakash daliye)। आज के लेख में मैंने आप सभी को भारतेंदु हरिश्चंद्र जी कौन थे इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्रदान किया है। इसके साथ ही अगर आपको हमारा आज का यह भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के जीवन परिचय के पोस्ट को पढ़कर कोई सवाल पूछना हो, तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको पोस्ट पसंद आए तो शेयर जरूर करें।
FAQ
भारतेंदु युग का दूसरा नाम क्या है?
भारतेंदु काल को ‘नवजागरण काल‘ भी कहा गया है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र किसकी भक्ति करते थे?
उन्होंने वैष्णव भक्ति के प्रचार के लिए ‘तड़िया समाज’ की स्थापना की थी। राजभक्ति का परिचय देते हुए भी देशभक्ति की भावना के कारण उन्हें ब्रिटिश सरकार का कोप बनना पड़ा। उनकी लोकप्रियता से प्रभावित होकर, काशी के विद्वानों ने उन्हें 1880 में ‘भारतेंदु’ (भारत का चंद्रमा) की उपाधि दी।
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने भारतवर्ष की उन्नति के लिए क्या सुझाव दिए हैं?
बन्धुओं अब तो नींद से जागो, अपने देश की सब प्रकार से उन्नति करो। ऐसी किताबें पढ़ो जिनमें तुम अच्छे हो, ऐसे खेल खेलो, ऐसी बातचीत करो। विदेशी वस्तुओं और विदेशी भाषाओं पर विश्वास न करें। अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करें।
भारतेंदू हरिश्चंद्र को भारतेंदु की उपाधि कब प्राप्त हुई?
भारतेंदु हरिश्चंद्र को भारतेंदु की उपाधि काशी के विद्वानों ने 1880 में दी थी।
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