नमस्कार दोस्तों, दोस्तों आपने परमाणु के बारे में तो सुना ही होगा या फिर स्कूल में पढ़ा होगा, आपको पता होगा कि परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है। इसमें प्रोटोन परमाणु के नाभिक में स्थित होता है और इस नाभिक के चारों तरफ इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाता रहता है।
दोस्तों क्या आप जानते हैं कि प्रोटॉन की खोज किसने की थी, अगर आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है और अगर आप यह जानना चाहते हैं कि प्रोटॉन की खोज किसने की थी तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से सारी जानकारी मिलने वाली है।
तो चलिए दोस्तों जानते हैं कि प्रोटॉन की खोज किसने की थी।
प्रोटॉन की खोज किसने की थी (proton ki khoj kisne ki)
प्रोटॉन की खोज वैज्ञानिक “अर्नेस्ट रदरफोर्ड” के द्वारा की गई थी, वैज्ञानिक अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने सन 1920 में प्रोटॉन की खोज की थी। अर्नेस्ट रदरफोर्ड परमाणु के नाभिक में भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रोटॉन पाए जाते हैं हाइड्रोजन के नाभिक में प्रोटॉन की संख्या एक होती है।
प्रोटोन किसी भी परमाणु का एक महत्वपूर्ण भाग होता है जो उस परमाणु में बैलेंस बनाकर रखता है, दोस्तों आपको पता होगा कि परमाणु उदासीन होता है, तो किसी भी परमाणु में उसके आवेश को बनाए रखने के लिए प्रोटोन अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने एक परमाणु मॉडल दिया था जिसमें उन्होंने यह बताया था कि परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है जिसका अधिकांश द्रव्यमान उस परमाणु के नाभिक में केंद्रित होता है और उस नाभीक के चारो तरफ इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते रहते हैं। इस मॉडल के बारे में आपने स्कूल में जरूर पढ़ा होगा।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने इसके अलावा भी अपने जीवन में अनेक आविष्कार किए थे तो उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दिया था, वह अपने विद्यार्थियों के साथ अनेक प्रयोग करते थे, उनकी कुछ प्रयोग को आगे चलकर गलत भी सिद्ध कर दिया है तथा कुछ प्रयोग आगे जाकर कारगर भी साबित हुए थे जिनको विज्ञान के इतिहास में काफी बड़ी उपलब्धि माना गया था।
प्रोटॉन की खोज कब हुई?
प्रोटॉन की खोज 1920 में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने अपने गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग के दौरान की थी।
प्रोटॉन की खोज कैसे हुई?
अब तक इस लेख में आपको पता चला है कि प्रोटॉन क्या होता है, प्रोटॉन की खोज किसने की थी (Proton Ki Khoj Kisne Ki) प्रोटॉन की खोज कब हुई थी, आइए अब जानते हैं कि protan ki khoj कैसे हुई और उस पर इससे जुड़े प्रयोग कैसे हुए? समय। हमारा काम हो गया।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड का जीवन परिचय
Name | Ernest Rutherford |
Age | 30 August 1871 |
Birth place | Brightwater, Colony of New Zealand |
Died | 19 October 1937 (aged 66) Cambridge, England |
Citizenship | New Zealand naturalised British subject |
Children | 1 daughter (Eileen Mary Rutherford) |
Known for | Discovery of alpha and beta radioactivity |
Discovery of atomic nucleus | |
Discovery of proton | |
Discovery of radon | |
Artificial disintegration | |
Nuclear transmutation | |
Radiometric dating | |
Rutherford scattering | |
Rutherford backscattering spectroscopy | |
Rutherford gold foil experiment | |
Rutherford model | |
Rutherford (unit) |
अर्नेस्ट रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त 1871 को न्यूजीलैंड में हुआ था। अर्नेस्ट रदरफोर्ड का नाम वैज्ञानिक माइकल फैराडे के बाद दूसरे स्थान पर आता है, जिन्होंने अपनी अधिकतम आयु रासायनिक प्रयोगों में बिताई। भौतिकी में उनकी योग्यता के कारण, 1894 में, अर्नेस्ट रदरफोर्ड को प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर जे जे थॉमसन के अधीन शोध करने का अवसर मिला, जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली।
वह 1898 में कनाडा में मैकगिल विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर और 1907 में इंग्लैंड के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में भौतिकी के व्याख्याता थे। 1919 में थॉमसन की मृत्यु के बाद, अर्नेस्ट रदरफोर्ड कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर और निदेशक बने। अर्नेस्ट रदरफोर्ड एकमात्र वैज्ञानिक थे जिन्होंने भौतिक रसायन विज्ञान के लगभग सभी प्रयोगों में प्रयुक्त अल्फा, बीटा और गामा किरणों के बीच अंतर किया था। उन्हें अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा परमाणु भौतिकी में उनके योगदान के लिए 1908 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
प्रोटॉन (Proton) के रोचक तथ्य
- प्रोटॉन एक परमाणु के नाभिक में धनावेशित कण होते हैं।
- प्रकृति में या प्रयोगशाला में बने प्रत्येक तत्व में कम से कम एक प्रोटॉन होता है।
- एक प्रोटॉन का द्रव्यमान न्यूट्रॉन के समान होता है लेकिन एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से 1840x अधिक होता है।
- ब्रह्मांड में इलेक्ट्रॉनों, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की संख्या के आधार पर विभिन्न प्रकार के परमाणु होते हैं।
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हमने क्या सीखा
दोस्तों हमने इस पोस्ट के माध्यम से जाना कि प्रोटॉन की खोज किसने की थी तथा अर्नेस्ट रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के बारे में में हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है।
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धन्यवाद
FAQ
प्रोटॉन इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?
प्रोटॉन इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि एक परमाणु के नाभिक के अंदर प्रोटॉन नाभिक को एक साथ बांधने में मदद करते हैं। एक सकारात्मक कण होने के कारण, यह नकारात्मक इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करता है, और उन्हें नाभिक के चारों ओर कक्षा में रखता है।
प्रोटॉन की खोज कैसे हुई?
अब तक इस लेख में आपको पता चला है कि प्रोटॉन क्या है, प्रोटॉन की खोज किसने की (Proton Ki Khoj Kisne Ki), प्रोटॉन की खोज कब हुई, आइए अब जानते हैं कि प्रोटॉन की खोज कैसे हुई और उस समय इससे जुड़े प्रयोग कैसे हुए। हमारा काम हो गया।
प्रोटॉन की खोज कब हुई?
प्रोटॉन की खोज 1920 में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने अपने गोल्ड फ़ॉइल प्रयोग के दौरान की थी।
प्रोटॉन की परिभाषा क्या है?
आर्टिकल में हमने सारी जानकारी दिया हैं।
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