बॉन्ड क्या होते हैं – बाज़ार में मुख्य रूप से दो प्रकार के निवेशक होते हैं, पहले वे जो स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव को पसंद नहीं करते और इसीलिए वे शेयर मार्केट में invest भी नहीं करते। दूसरे वो investor होते हैं जो अपने पोर्टफोलियो को diversification देना चाहते हैं और अपने पैसे को अलग-अलग जगह निवेश करते हैं।
इन दोनों ही type के investors के लिए बॉन्ड् बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। Bonds आपको स्टॉक मार्केट से कम पर बैंक FD से ज्यादा रिटर्न देते हैं। पर बहुत से लोग जानते नही है कि बॉण्ड क्या होते हैं? बोंड्स मे कैसे निवेश करे?
ये आर्टिकल पूरी तरह से bond पर आधारित हैं एक smart investor होने के नाते आपको Bonds के बारें में सही जानकारी होनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं कि बॉण्ड क्या होते हैं? बोंड्स मे कैसे निवेश करे?
बॉन्ड क्या होते हैं?
बॉन्ड एक debt instrument होता हैं। बॉण्ड का हिंदी में अर्थ “प्रतिभूति या ऋणपत्र” होता हैं। बॉन्ड्स के माध्यम से वित्तीय संस्थान और रिटेल investor बॉन्ड जारीकर्ता को Loan उपलब्ध करवाते हैं। Bond को जारी करने वाला जिससे पैसे उधार ले रहा हैं उसे bond जारी करता हैं। इसके बदले में वो एक fix interest rate का भुगतान करने का वादा करता हैं। इन जारी किये bonds पर interest rate लिखी होती हैं जिसे coupon rate रेट भी कहा जाता हैं।
उदाहरण के लिए, राजीव को ₹1,000 की आवश्यकता हैं। ये ₹1,000 लोवित ने उसे उधार दिए हैं। जिसके बदले मे राजीव ने लोवित को 10% ब्याज वाला ₹1,000 का बॉन्ड एक वर्ष की maturity के साथ जारी किया है। एक वर्ष बाद लोवित राजीव को बॉन्ड वापस देंगा और राजीव लोवित को ₹1,000 और 10% ब्याज का भुगतान करेगा q।
Bonds मुख्य रूप से कंपनियों और सरकार के द्वारा जारी किये जाते हैं। निवेश जगत में बॉन्ड्स काफी हद तक safe माने जाते हैं जो collateral द्वारा सुरक्षित होते हैं। कंपनी का bond holder को payment करने का पहला दायित्व होता हैं।
Bond कैसे काम करते हैं?
जब भी सरकार को पैसों की आवश्यकता पड़ती है तो वह बांड जारी करके पैसे जुटा सकती है। इसी प्रकार से यदि किसी कंपनी को भी आर्थिक मदद की आवश्यकता है तो उसके पास भी मुख्य रूप से तीन विकल्प मौजूद होते है :-
पहला : शेयर मार्केट में equity issue करना। इसमें कंपनी के shares dilute हो जाते हैं।
दूसरा : बैंक से लोन लेना यह ज्यादा ब्याज दर होने की वजह से बहुत महंगा पड़ता है।
तीसरा : बॉन्ड जारी करके पैसे जुटाना।
कंपनी मार्केट से जो भी पैसे उठाती है उसकी बदले में वह एक निश्चित ब्याज दर वाले बांड जारी करती है। आजकल यह form डिजिटल फार्म में उपलब्ध होते हैं। इनकी maturity की समय सीमा 3 साल, 5 साल या 10 साल होती है।
बॉन्ड जारी करने वाला bond holder को एक निश्चित समय पर तय किया गया ब्याज का भुगतान करता रहता है और maturity period खत्म हो जाने के बाद bond जारी करने वाला bond holder को principal amount और ब्याज का भुगतान कर देता है।
Bonds के प्रकार
- सरकारी बॉन्ड ( government bonds)
- म्युनिसिपल बॉन्ड ( municipal bonds)
- कॉरपोरेट बॉन्ड ( corporate bonds)
- सिक्योरिटी बॉन्ड ( secured bonds)
- Unsecured bonds
- फिक्स्ड इंटरेस्ट बॉन्ड ( fixed interest bonds)
- फ्लोटिंग इंटरेस्ट बॉन्ड ( floating interest bonds)
- इंफ्लेशन लिंक्ड बॉन्ड ( inflation linked bonds)
- परपेचुअल् बॉन्ड ( perpetual bonds)
बॉन्ड कितना रिटर्न देते है?
Bond जारी करते समय एक fix interest rate तय किया जाता है। बॉन्ड इंटरेस्ट रेट को coupon rate रेट भी कहते हैं। आमतौर पर यह रिटर्न 5 से 14 परसेंट के बीच में होती है। Borrower के पैसे वापस करने की क्षमता के आधार पर bonds को अलग-अलग रेटिंग भी दी जाती है।
जिस bond में ज्यादा रिस्क होता है उसमें आपको ब्याज दर भी अधिक offer की जाती है और कम risk वाले bond में interest rate भी कम रहता है जैसे government बॉन्ड। Bonds का वास्तविक रिटर्न yield to maturity अर्थात YTM होता है।
Bond yield या yield to maturity क्या होता है?
Bond खरीदते समय return जानने के लिए हमेशा yield to maturity देखनी चाहिए। Bond की interest rate और YTM दोनों अलग-अलग रहते हैं। चलिए कुछ उदाहरण की सहायता से समझते हैं:-
उदाहरण 1
Face value / buying price | 1,00,000 |
Holding period | 12 months |
Maturity period | 12 महीने |
Coupon rate | 10% |
Selling value / face value | 1,00,000 |
Capital gain | 0 |
Interest income | 10,000 |
YTM | 10,000 / 1, 00,000 *100 =10% |
इस case में आप bond को maturity period तक होल्ड कर रहे हो, इसीलिए आपको bond वापस bond जारी करने वाले को ही देना पड़ेगा और इसका face value मूल्य के बराबर ही रहेगा। इसमें yield to maturity प्राप्त इंटरेस्ट के आधार पर निकली जाएगी।
उदाहरण 2
Face value / buying price | 1,00,000 |
Holding period | 12 months |
Maturity period | 60 महीने |
Coupon rate | 10% |
Selling value / face value | 1,20,000 |
Capital gain | 20,000 |
Interest income | 10,000 |
YTM | 30% |
इस केस में bond को hold करने का समय 60 महीने का है, परंतु आपने bond को समय से पहले ही बेच दिया है और वह भी आपने 20 हजार capital gain के साथ बेचा है। इसीलिए इस की YTM प्राप्त ब्याज और capital gain को छोड़कर निकाली जाएगी।
बॉन्ड में accrued interest क्या होता है?
अगर bond धारक अपने bond को अगली interest payment की तारीख से पहले ही bond को बेच देता है तो नए खरीददार को estimated interest का भुगतान करना पड़ता है। इसे accrued interest कहा जाता है।
Bonds मे कैसे निवेश करे?
Bond मे निवेश करने के निम्न तरीके है :-
Debt fund
Debt fund म्युचुअल फंड का एक प्रकार है। इसमें directly इन्वेस्ट किया जा सकता है। Debt fund के माध्यम से यदि आप निवेश करते है तो आपको एक से दो प्रतिशत का access ratio देना पड़ता है जो आपकी रिटर्न को कम करता है। इसीलिए यह तरीका सही नही माना जाता है।
Online platform
आप online direct bond की खरीदारी कर सकते हैं। यह तरीका सुरक्षित भी होता है।
स्टॉक broker के द्वारा
कुछ bond एक्सचेंज के माध्यम से भी trade होते हैं या फिर आप स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से भी bond को खरीद या बेच सकते हैं।
Commercial bank
आप सीधे बैंक के द्वारा bond खरीद सकते हैं।
बॉन्ड पर लगने वाले टैक्स
कुछ bondw टैक्स फ्री भी होते हैं। अक्सर टैक्स फ्री bonds PSU कंपनी के द्वारा जारी किए जाते हैं, जैसे – NHAI, REC इत्यादि।
Listed bonds और unlisted bonds दोनों का tax procedure अलग-अलग होता है। Listed bonds वह होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज पर listed होते हैं। इनकम टैक्स treatment स्टॉक की तरह ही होता है। अगर आप listed bonds को 12 महीने से कम समय के लिए रख कर बेच देते हो तो आप short term capital gain होगा।
वहीं अगर आप unlisted bond के मामले में 36 महीने से कम समय में बेच देते हैं तो यह लाभ आपकी आय में जुड़ जाता है। इसकी वर्तमान tax दर 10% है।
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Bond के फायदे
Bond के निम्न फायदे होते है :-
- लॉन्ग टर्म में बढ़िया रिटर्न मिलता है।
- बॉन्ड मे risk कम होता है।
- इसमें पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन कर सकते हैं जिसके कारण risk कम हो जाता है।
- कई financial institutions आपको bonds को pledge रखने की सुविधा देते हैं।
Bonds के नुकसान
Bonds के निम्न नुकसान होते हैं :-
- Bonds के return share और mutual fund की तुलना मे कम रहते है।
- अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है तो पैसा डूबने का खतरा भी रहता है।
- बॉन्ड की एक maturity period होता है जो पूरा करना होता है। हालांकि bond को मध्यस्थ के माध्यम से बेचा जा सकता है।
- अगर अर्थव्यवस्था में मंदी हो या फिर inflation rate बढ़ जाए तो कम ब्याज दर offer करने लगते हैं।
FAQ’s
Q. 1 सरकारी बॉन्ड क्या है?
Ans. सरकारी बॉन्ड को गवर्नमेंट सिक्योरिटी भी कहते हैं। यह सरकार द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है। इससे सरकार निवेशको से पैसे इकट्ठा करती है। सरकारी बॉन्ड को सुरक्षित माना जाता है।
Q. 2 बॉन्ड पेपर कैसा होता है?
Ans. बॉन्ड पेपर एक प्रकार का लेखन पत्र होता है जो उच्च गुणवत्ता वाला और टिकाऊ दोनों ही होता है। यह बैंक पेपर के बराबर होता है।
Q. 3 What is bond?
Ans. Bond क्या होता है यह जानने के लिए आप ऊपर दिए गए लेख को पढ़ें।
Q. 4 Bond कैसे खरीदें?
Ans. बॉन्ड खरीदने के तरीके ऊपर लेख में बताए गए हैं। आप ऊपर के लेख को पढ़ें और जाने कि bond कैसे खरीदें।
निष्कर्ष
दोस्तों, आपने इस लेख के माध्यम से जाना कि बॉण्ड क्या होते हैं? बोंड्स मे कैसे निवेश करे? हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद आप bond में निवेश करके अच्छा रिटर्न कमाएंगे। इस लेख को अधिक से अधिक लोगों के साथ शेयर करें ताकि वह भी bond की अहमियत को समझ पाए।
अगर ऊपर दिए गए लेख से संबंधित कोई भी सुझाव आपके मन में है या कोई सवाल आप हमसे पूछना चाहते हैं या फिर किसी अन्य विषय पर जानकारी चाहते हैं तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
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